भारतीय नौसेना और DRDO ने K-4 SLBM मिसाइल का किया सफल परीक्षण, जानिए इसकी खासियत
भारतीय नौसेना और DRDO ने हाल ही में अपनी न्यूक्लियर पावर्ड सबमरीन INS Arighaat से पहली बार K-4 SLBM का सफल परीक्षण किया है. किसी पनडुब्बी से के-4 बैलिस्टिक मिसाइल का यह पहला सफल परीक्षण था.
एटॉमिक हथियार ले जाने वाली इस मिसाइल की रेंज 3500 किलोमीटर है. K-4 SLBM एक इंटरमीडियट रेंज की सबमरीन से लॉन्च होने वाली परमाणु बैलिस्टिक मिसाइल है. इसे नौसेना के अरिहंत क्लास पनडुब्बियों में लगाया गया है.
परमाणु ऊर्जा से चलने वाली बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी आईएनएस अरिघाट 29 अगस्त को भारतीय नौसेना के बेड़े में शामिल की गई थी. हिंद महासागर क्षेत्र में चीन के तेजी से बढ़ते कदमों के बीच परमाणु मिसाइलों से लैस पनडुब्बी मिलने से नौसेना की समुद्री सामरिक क्षमता मजबूत हुई है. साथ ही भारत को ‘पानी के युद्ध‘ में और अधिक मिसाइलें ले जाने की क्षमता मिल
गई है.
इससे पहले भारतीय नौसेना K-15 का इस्तेमाल कर रही थी. लेकिन के-4 उससे बेहतर, सटीक, मैन्यूवरेबल और आसानी से ऑपरेट होने वाली मिसाइल है. आईएनएस अरिहंत और अरिघट पनडुब्बियों में चार वर्टिकल लॉन्चिंग सिस्टम हैं. जिससे यह लॉन्च होती है. यह मिसाइल 17 टन वजनी और 39 फीट लंबी है.
इसका व्यास 4.3 मीटर का है. यह 2500 किलोग्राम वजनी स्ट्रैटेजिक न्यूक्लियर हथियार ले कर उड़ान भरने में सक्षम है. दो स्टेज की यह मिसाइल सॉलिड रॉकेट मोटर से चलती है. इसमें सॉलिड प्रोपेलेंट का इस्तेमाल होता है. इसकी ऑपरेशनल रेंज 4000 किलोमीटर है.
30 टॉरपीडो से किया जा सकता लैस
आईएनएस अरिघात को एक बार में 12 के-15, चार के-4 और 30 टॉरपीडो से लैस किया जा सकता है. यह परीक्षण भारत की परमाणु क्षमता के लिहाज से बेहद अहम है और अब भारत समुद्र से भी लंबी दूरी पर परमाणु हमला करने में सक्षम हो गया है. नौसेना द्वारा के-4 बैलिस्टिक मिसाइल के सफल परीक्षण से अब चीन का अधिकर इलाका भारत के परमाणु हथियारों की जद में आ गया है.