Donald Trump के फैसले के बाद क्या ग़ज़ा अब इतिहास का हिस्सा बनकर रह जाएंगा!

डोनाल्ड ट्रंप और नेतन्याहू (फोटो- गुगल) |
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने साफ शब्दों में कहा है कि यदि शनिवार तक ग़ज़ा पट्टी में बंधक बनाए गए सभी लोगों को रिहा नहीं किया जाता है तो हमास के साथ युद्धविराम समझौते को रद्द कर दिया जाना चाहिए.
ट्रंप की धमकी के बाद एक बार फिर इजरायल और हमास के बीच युद्ध के भड़कने के आसार तेज़ हो गया है. ट्रंप का बयान बंधकों की रिहाई रोकने की हमास की धमकी के बाद आया है, जिससे 19 जनवरी को प्रभावी हुए 6 सप्ताह के युद्धविराम पर खतरा मंडराने लगा है. ट्रंप ने युद्ध विराम को लेकर निर्णय लेने की आजादी इजरायल को दे दी है. ट्रंप ने कहा कि जहां तक मेरा सवाल है, मैं कहूंगा कि अगर शनिवार 12 बजे तक सभी बंधकों को वापस नहीं किया जाता है तो मुझे लगता है कि यह उचित समय है कि इसे रद्द कर दिया जाए.
ट्रंप ने कहा कि सभी बचे हुए बंधकों को एक बार में रिहा किया जाना चाहिए. हम उन सभी को वापस चाहते हैं. इजरायल इसे रद्द कर सकता है. उन्होंने अपनी धमकी के बारे में कहा कि ‘हमास को पता चला जाएगा कि मेरा क्या मतलब है.‘ यह पूछे जाने पर कि क्या वे अमेरिकी सेना की संभावित भागीदारी से इनकार कर रहे हैं, ट्रंप ने जवाब दिया, हम देखेंगे कि क्या होता है.
इस बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने मध्य पूर्व के अपने सहयोगियों मिस्र और जॉर्डन को भी सहायता रोक देने की धमकी दी है, अगर वे ग़ज़ा पर कब्जा करने की अमेरिका की योजना के तहत फिलिस्तीनियों को अपने देश में लेने से इनकार करते हैं. मंगलवार को व्हाइट हाउस में जॉर्डन के राजा अब्दुल्ला से मुलाकात में ये बात दोहराई है. उन्होंने कहा कि अमेरिका ग़ज़ा पर नियंत्रण करेगा और फिलिस्तीनी लोग ग़ज़ा से अलग किसी सुरक्षित जगह पर भेजे जाएंगे. ट्रंप का कहना है कि अमेरिका ग़ज़ा के पुनर्निमाण में योगदान करेगा. ट्रंप ने कहा कि जॉर्डन और मिस्र में कुछ हिस्से तय किए जाएंगे, जहां ग़ज़ा से जाने वाले फिलिस्तीनी रहेंगे.
ट्रंप ने कहा, हम ग़ज़ा को लेने जा रहे हैं
यरुशलम पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, किंग अब्दुल्ला और उनके बेटे से व्हाइट हाउस में बैठक के बाद ट्रंप ने साफ कहा कि हम ग़ज़ा को लेने जा रहे हैं. उन्होंने स्पष्ट किया कि फिलिस्तीनियों को ग़ज़ा के अलावा किसी और सुरक्षित जगह पर बसाया जाएगा. अमेरिका ग़ज़ा को खरीदेगा नहीं बल्कि इसे अच्छे से चलाएगा. ट्रंप ने ये भी कहा कि अमेरिका जॉर्डन और मिस्र को बहुत पैसा देता है लेकिन इसे धमकी ना समझा जाए. ग़ज़ा को लेकर ट्रंप और नेतन्याहू के इस फैसले को इस्लामी देशों के बीच कितना स्वीकार्यता मिलती है यह तो आने वाला वक्त ही बताएंगा. लेकिन इतना तो तय है कि इस फैसेल ने ग़ज़ा की भविष्य को लगभग खत्म सा कर दिया है. आने वाले कुछ दशकों में ग़ज़ा इतिहास बनकर न रह जाए.
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