आखिर कब तक सहेंगे हम भारतीय, क्या यूं ही मरते रहेंगे!

कश्मीर के पहलगाम में पाकिस्तान प्रायोजित आंतकी संगठन के हमले में 27 लोगों की मौत हो गई है, जबकि कई घायल है.
कश्मीर में न यह पहला हमला है और न ही आखिरी! क्योंकि नेहरू जी से लेकर मोदी जी तक के शासन में भारत का पाकिस्तान और कश्मीर को लेकर कोई ठोस नजरिया नहीं रहा है. वह कन्फयूज रहे है कि क्या करना है क्या नहीं. बस छोटा मोटा ‘एयर स्ट्राइक’ और ‘करारा जवाब मिलेगा’ कह कर इतिश्री कर लेते है.
वरना, एक पिद्दी सा देश पाकिस्तान हम पर चार बार हमला नहीं कर पाता. आए दिन आंतकी घटनाओं को तो लोगों ने गिनना ही छोड़ दिया है. यदि भारत के सरकारों में हिम्मत होती तो अब तक पाकिस्तन का नामोनिशान मिट गया होता. लेकिन नहीं! पाकिस्तान से किसी भी तरह का संबंध होना ही नहीं चाहिए. एकदम उत्तर कोरिया और दक्षिण कोरिया की तरह. भाड़ में जाएं दुनिया! आप खुद में समर्थ और सक्षम रहेंगे और कार्रवाई करेंगे तो दुनिया को कोई मतलब नहीं है कहां क्या हो रहा है. इजरायल ने फिलिस्तीन में और अमेरिका ने ईराक में सद्दाम हुसैन को ठोक दिया तो किसने रोक लिया!
अमेरिका और इजरायल का लक्ष्य क्लियर है. भारत आज तक अपना लक्ष्य ही तैयार नहीं कर पाया है कि पाकिस्तान से उसका संबंध कैसा होना चाहिए? कभी मन किया तो बातचीत शुरु हो गई कभी कोई घटना हुई तो बातचीत बंद. जैसे ही कुछ दिन कुछ साल हुआ फिर सब सामान्य. भारत के सरकारों ने आम जनता को गुलाम समझ लिया है. मुझे तो सेना का भी समझ में नहीं आता है कि जितने सैनिक युद्ध में शहीद नहीं हुए उससे ज्यादा कश्मीर में शहीद हो चुके है, लेकिन फिर उसी रणनीति पर काम कर रही है. अरे, भाई साफ-साफ सरकार को कहो- बहुत हुआ, दुनिया से एक देश कम करना है. यदि सरकार फिर भी सेकुलर राजनीति करती है तो देश को बताओं.. देश के लोग इतने बेवकूफ नहीं है.
कब तक अपने हथियारों को 26 जनवरी के परेड में दिखाते रहोगे. या फिर भारत दुनिया की चौथी सबसे बड़ी सेना है- यह सुनने में अच्छा लगता है. इसी का झुनझुना पकड़े रहोगे. भारत की सरकार और सेना भी यह गारंटी नहीं दे सकती है कि कश्मीर में कोई आतंकी हमला नहीं होगा.. आप इसी से समझ सकते है कि मामला कितना गंभीर है.
आखिर कब तक सहते रहेंगे भारती के लोग, कब तक अपनी जान देते रहेंगे भारत के लोग. इसके लिए जरुरी है पाकिस्तान को सबक सिखाना. लेकिन उससे पहले कश्मीर और कश्मीर के लोगों को सबक सिखाना जरुरी है. क्योंकि ये जितने भोले बन रहे है उतने है नहीं. ये बहुत चालाक है. आज कैंडल मार्च निकाल रहे है. क्योंकि इन्हें पता है कि आतंकी तो धर्म पूछ कर मार रहे है. और हम मरने वाले धर्म से नहीं है. इसलिए कैंडल मार्च निकालो या सड़क पर बिरयानी खाओ हमे क्या. हमें बस थोड़ी एक्टिंग करनी है वो भी कुछ दिनों के लिए.. इसके बाद आम भारतीय भी भूल जाएंगे.. बस याद रहेगा तो कश्मीर धरती का स्वर्ग है.
इससे ज्यादा मुझे भारत के आम आदमी से भरोसा भी नहीं है. जब कश्मीर से कश्मीरी हिन्दुओं को निकाल फेंका गया तो क्या वो लोग मंगल ग्रह से आये हुए लोग थे? पहले कश्मीर की सफाई अभियान जरुरी है; फिर पाकिस्तान की, नहीं तो यह आतंकी सिलसिला रुकने वाला नहीं है.
दुनिया की चौथी सबसे सेना होने का क्या मतलब, जब तुमने से एक पिद्दी सा देश जो दुनिया के दस सबसे बड़ी सेना में भी नहीं है. उसने तुम्हारे उपर चार बार हमला किया. भारतीय सेना आज तक पाकिस्तान के उपर पहले हमला नहीं कर सकी है. पहले हमला होने का इंतजार करती है. जह हमला होने का इंजतार करोगे तो मरोगे भी… इसलिए आगे बढ़कर हमला करो और खत्म करो इस झंझट को… भाड़ में जाए दुनिया की कोई भी संगठन, जब बात अस्तित्व की आ जाए तो मानवाधिकार नहीं देखा जाता है.
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