RAJNATH SINGH ने कहा-भविष्य के युद्ध AI, एल्गोरिदम और ऑटोनॉमस सिस्टम से लड़े जाएंगे

"AI और एल्गोरिदम से लड़े जाएंगे भविष्य के युद्ध — राजनाथ सिंह का बड़ा विजन"

रक्षा मंत्री RAJNATH SINGH ने 7 अक्टूबर, 2025 को विज्ञान भवन में राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन से पहले ‘रक्षा नवाचार संवाद: आईडेक्स स्टार्टअप्स के साथ परस्पर संवाद’ के दौरान कहा “युद्ध का मैदान बदल गया है.

भविष्य के युद्ध एल्गोरिदम, ऑटोनॉमस सिस्टम और कृत्रिम बुद्धिमत्ता से लड़े जाएंगे. ड्रोन, एंटी-ड्रोन सिस्टम, क्वांटम कंप्यूटिंग और निर्देशित-ऊर्जा हथियार भविष्य की रूपरेखा तैयार करेंगे. हमने ऑपरेशन सिंदूर में भी ऐसा ही एक प्रदर्शन देखा है,”.

उन्होंने नवप्रवर्तकों से विद्यमान समाधानों से आगे सोचने और युद्ध को नई परिभाषा देने वाली प्रोद्योगिकियों का विकास करने का आग्रह किया. उन्होंने कहा, “हमें प्रौद्योगिकी में न तो नकलची बनना है और न ही अनुयायी, बल्कि हमें विश्व के लिए सृजक और मानक-निर्धारक बनना है.”

2021-22 में 74,000 करोड़ से 2024-25 में 1.2 लाख करोड़ रुपये हुआ

"AI और एल्गोरिदम से लड़े जाएंगे भविष्य के युद्ध — राजनाथ सिंह का बड़ा विजन"

स्वदेशीकरण में उल्लेखनीय प्रगति को रेखांकित करते हुए, राजनाथ सिंह ने कहा कि घरेलू स्रोतों से रक्षा पूंजी अधिग्रहण 2021-22 में 74,000 करोड़ रुपये से बढ़कर 2024-25 में 1.2 लाख करोड़ रुपये हो गया है. उन्होंने इस बदलाव को “केवल एक सांख्यिकीय परिवर्तन नहीं, बल्कि निर्भरता से आत्मविश्वास की ओर मानसिकता में बदलाव” बताया.

उन्होंने यह भी बताया कि सरकार की सार्वजनिक खरीद नीति के तहत, वार्षिक खरीद का कम से कम 25 प्रतिशत सूक्ष्म और लघु उद्यमों (एमएसई) के लिए आरक्षित है और 350 से अधिक वस्तुएं विशेष रूप से उनके लिए निर्धारित की गई हैं.

रक्षा मंत्री ने कहा, रक्षा में भारत की आत्मनिर्भरता एक नारे से आंदोलन बनी

रक्षा मंत्री ने कहा, “रक्षा में भारत की आत्मनिर्भरता एक नारे से आगे बढ़कर एक आंदोलन बन गई है. नीति से व्यवहार तक और नवाचार से प्रभाव तक, यह परिवर्तन हमारे नवप्रवर्तकों, स्टार्टअप्स और युवा उद्यमियों द्वारा संभव बनाया गया है.”

RAJNATH SINGH ने स्टार्टअप्स को ऊंचे मानक स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित किया और इस बात पर ज़ोर दिया कि भारत में आज 100 से ज़्यादा यूनिकॉर्न हैं, लेकिन रक्षा क्षेत्र में एक भी नहीं है. उन्होंने स्टार्टअप्स से इस स्थिति को बदलने का आह्वान किया.

RAJNATH SINGH ने कहा- सरकार नवप्रवर्तकों और स्टार्टअप्स के साथ मजबूती से खड़ी रहेगी

उन्होंने कहा, “भारत का पहला रक्षा यूनिकॉर्न आपके बीच से निकलना चाहिए. यह न केवल आपके लिए, बल्कि पूरे देश के लिए गर्व की बात होगी.” उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के इस विजन को दोहराया कि सरकार नवप्रवर्तकों और स्टार्टअप्स के साथ मजबूती से खड़ी रहेगी और विचार से लेकर कार्यान्वयन तक हर कदम पर उनके साथ रहेगी.

रक्षा मंत्री ने पिछले वित्तीय वर्ष में 1.5 लाख करोड़ रुपये के रक्षा उत्पादन और 23,000 करोड़ रुपये से अधिक के निर्यात में रिकॉर्ड-तोड़ उपलब्धियों में योगदान देने वाले नवप्रवर्तकों के सामूहिक प्रयास की सराहना की.

उन्होंने कहा, “आप एक ऐसे नए भारत के निर्माता हैं जो अपने लिए डिज़ाइन, विकास और उत्पादन में विश्वास रखता है. आपके द्वारा लाई गई ऊर्जा और नवाचार, प्रधानमंत्री के प्रौद्योगिकीय रूप से आत्मनिर्भर भारत के विजन को साकार करने के लिए महत्वपूर्ण हैं.”

"AI और एल्गोरिदम से लड़े जाएंगे भविष्य के युद्ध — राजनाथ सिंह का बड़ा विजन"

2018 में आईडेक्स की शुरुआत का स्मरण करते हुए, राजनाथ सिंह ने इसे एक रूपांतरकारी पहल बताया जिसने भारत में रक्षा नवाचार का लोकतंत्रीकरण किया है. उन्होंने कहा कि जब आईडेक्स की शुरुआत हुई थी, तो इसका विचार सरल लेकिन शक्तिशाली था, जिसका उद्देश्य भारत के युवाओं की प्रतिभा को सशस्त्र बलों की प्रौद्योगिकीय आवश्यकताओं से जोड़ना था.

उन्होंने कहा, “आज केवल सात वर्षों में, 650 से अधिक आईडेक्स विजेता उभरे हैं और 3,000 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य के प्रोटोटाइप की खरीद सुनिश्चित की गई है. यह भारत के रक्षा नवाचार परिदृश्य में एक क्रांति का प्रतीक है.”

रक्षा मंत्री ने रेखांकित किया कि आईडेक्स से पहले, भारतीय प्रतिभाएं, विशेष रूप से आईटी, दूरसंचार और अंतरिक्ष के क्षेत्र में विश्व स्तर पर उल्लेखनीय योगदान दे रही थीं, लेकिन रक्षा क्षेत्र में उनका कम उपयोग हो रहा था. उन्होंने कहा, “आईडेक्स के माध्यम से, हमने यह सुनिश्चित किया कि भारत की प्रतिभाएं भारत की सुरक्षा के लिए काम करें. आज, यह पहल केवल एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि एक आंदोलन है जो भारतीय रक्षा विनिर्माण के भविष्य को आकार दे रहा है.”

राजनाथ सिंह ने इस बात पर ज़ोर दिया कि सरकार ने रक्षा खरीद, उत्पादन और परीक्षण अवसंरचना में सुधारों के माध्यम से स्टार्टअप्स और एमएसएमई की सहायता करने के लिए कई ऐतिहासिक कदम उठाए हैं. उन्होंने बताया कि उदाहरण के लिए, नई रक्षा खरीद नियमावली (डीपीएम-2025) पांच वर्षों के लिए सुनिश्चित ऑर्डर प्रदान करती है, जिसे पांच वर्षों के लिए और बढ़ाया जा सकता है, जिससे नवप्रवर्तकों को बहुप्रतीक्षित स्थिरता और पूर्वानुमानशीलता मिलती है. उन्होंने कहा कि प्रक्रियाओं को सरल बनाने, परीक्षणों में तेज़ी लाने और नवीन समाधानों के लिए सुनिश्चित खरीद सुनिश्चित करने के लिए रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया (डीएपी) में सुधार जारी हैं.

रक्षा नवाचार इको-सिस्टम को मजबूत करने की प्रतिबद्धता सुनिश्चित करते हुए राजनाथ सिंह ने रेखांकित किया “आईडीईएक्स, प्रौद्योगिकी विकास निधि, रक्षा परीक्षण अवसंरचना योजना और स्व-प्रमाणन प्रावधानों के माध्यम से, हम एक व्यापक ढांचा विकसित कर रहे हैं जहां नवाचार को प्रोत्साहित, समर्थित और बढ़ाया जाता है. हमारा उद्देश्य भारत को न केवल एक रक्षा विनिर्माता, बल्कि विश्व के लिए एक रक्षा नवप्रवर्तक बनाना है.”

ऑपरेशन सिंदूर में अपनी भूमिका के लिए सम्मानित किए गए रेफी एम. फाइबर और ग्रेविटी सिस्टम्स जैसे आईडेक्स विजेताओं की उपलब्धियों की सराहना करते हुए, राजनाथ सिंह ने कहा कि भारतीय स्टार्टअप्स द्वारा विकसित नवाचार अब वैश्विक सराहना प्राप्त कर रहे हैं. उन्होंने कहा, “यह बहुत गर्व की बात है जब हमारे सैनिक भारत की धरती से निर्मित नवाचार की सराहना करते हैं. कई भारतीय स्टार्टअप अब दुबई एयरशो 2025 जैसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अपनी क्रांतिकारी प्रौद्योगिकियों का प्रदर्शन कर रहे हैं. दुनिया भारत की नवोन्मेषण क्षमता पर ध्यान दे रही है.”

रक्षा मंत्री ने रेखांकित किया कि रक्षा मंत्रालय, स्टार्टअप्स को संपूर्ण सहायता प्रदान करने के लिए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग और प्रमुख वित्तीय संस्थानों के साथ रणनीतिक गठजोड़ कर रहा है. उन्होंने कहा, “हमारा उद्देश्य एक ऐसा इको-सिस्टम बनाना है जहां हर विचार को एक व्यवहार्य उत्पाद के रूप में विकसित होने का और हर प्रोटोटाइप को उत्पादन में विस्तार का अवसर मिले तथा हर नवाचार भारत की रक्षा में योगदान दे.”

राजनाथ सिंह ने बताया कि आत्मनिर्भर भारत के तहत रक्षा विनिर्माण अब निजी निवेश, अनुसंधान एवं विकास तथा रोजगार सृजन के लिए सबसे आशाजनक क्षेत्रों में से एक बन गया है. उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि एक मज़बूत स्वदेशी रक्षा उद्योग न केवल एक रणनीतिक आवश्यकता है, बल्कि एक आर्थिक गुणक भी है.

रक्षा मंत्री ने कहा कि भारत की रक्षा नवाचार यात्रा अवधारणा से सृजन और विजन से विजय की ओर निरंतर आगे बढ़ रही है. उन्होंने इस तथ्य पर ज़ोर दिया कि सभी मिलकर भारत को न केवल आत्मनिर्भर बनाएंगे, बल्कि रक्षा प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में वैश्विक रूप से अग्रणी भी बनाएंगे. उन्होंने यह भी दोहराया कि भारत का रक्षा स्टार्टअप इको-सिस्टम देश के सुरक्षित और आत्मनिर्भर भविष्य को आकार देने में निर्णायक भूमिका निभाएगा.

रक्षा मंत्रालय के रक्षा उत्पादन विभाग (डीडीपी) के तत्वावधान में आईडेक्स द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में आईडेक्स और अदिति के तहत विकसित अत्याधुनिक रक्षा नवाचारों को दर्शाने वाली करने वाली एक प्रदर्शनी भी आयोजित की गई, जहां रक्षा मंत्री ने नवप्रवर्तकों से परस्पर बातचीत की और उनकी प्रौद्योगिकीय उपलब्धियों की सराहना की.

रक्षा स्टार्टअप्स का विस्तार, नवोन्मेषण और उत्पादन को जोड़ना तथा अनुसंधान एवं विकास सहयोग के माध्यम से आत्मनिर्भरता को गति देना जैसे विषयों पर पैनल चर्चाएं और अनुभव-साझाकरण सत्र आयोजित किए गए.

इस अवसर पर चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान, रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव और डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ. समीर वी. कामत, सचिव (रक्षा उत्पादन) संजीव कुमार के साथ-साथ रक्षा मंत्रालय, रक्षा विकास विभाग, नवप्रवर्तक, स्टार्टअप्स, एमएसएमई, उद्योग जगत के अग्रणी व्यक्ति, सशस्त्र बलों के प्रतिनिधि और विभिन्न रक्षा सार्वजनिक उपक्रमों के अधिकारी भी उपस्थित थे.

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