भारतीय वैज्ञानिकों ने बनाया Ultra-Low Power Gas Sensor – Hydrogen रिसाव और जहरीली गैस का तुरंत पता लगाएगा

भारतीय वैज्ञानिकों ने बनाया अल्ट्रा-लो पावर स्मार्ट गैस सेंसर – हाइड्रोजन रिसाव और NO₂ का करेगा तुरंत पता

कल्पना कीजिए… आप एक हाइड्रोजन फ्यूल स्टेशन पर हैं — चारों तरफ़ भविष्य की ग्रीन एनर्जी की हलचल है — और अचानक, हवा में अदृश्य, लेकिन बेहद ख़तरनाक हाइड्रोजन गैस का एक छोटा रिसाव हो जाता है. आंखों से न दिखने वाला यह रिसाव, कुछ सेकंड में ही विस्फोट का कारण बन सकता है. लेकिन अब, भारतीय वैज्ञानिकों ने एक ऐसी तकनीक बना दी है जो इस खतरे को पलक झपकते ही पकड़ लेगी!

तिरुवनंतपुरम स्थित IISER के वैज्ञानिकों ने अल्ट्रा-लो पावर, लघु-आकार का स्मार्ट सेंसर तैयार किया है, जो न सिर्फ़ पर्यावरण-अनुकूल हाइड्रोजन के छोटे से छोटे रिसाव का पता लगा सकता है, बल्कि गैस स्टोव या केरोसिन स्टोव से निकलने वाली जहरीली नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO₂) की मामूली मात्रा को भी डिटेक्ट कर सकता है.

जहाँ पारंपरिक गैस सेंसरों को उच्च तापमान और अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है, वहीं यह नया सेंसर कमरे के तापमान पर ही तेज़, सटीक और चयनात्मक तरीके से काम करता है. इसका रहस्य छुपा है निकल ऑक्साइड (NiO) और जिंक ऑक्साइड (ZnO) जैसी नैनो-संरचनाओं में, जिन्हें इस तरह तैयार किया गया है कि हल्की सी हाइड्रोजन की मौजूदगी भी इसकी विद्युत चालकता में नाटकीय बदलाव ला देती है.

वैज्ञानिकों ने इसे AI-सक्षम भी बनाया है, ताकि यह अलग-अलग गैसों को पहचान सके और IoT तकनीक के साथ रियल-टाइम में डेटा भेज सके. इससे न सिर्फ़ ईंधन स्टेशन, औद्योगिक प्लांट और वाहन सुरक्षित रहेंगे, बल्कि प्रदूषित शहरों में भी वायु गुणवत्ता की निगरानी आसान हो जाएगी.

मज़े की बात यह है कि, जहां आज के हाइड्रोजन सेंसर महंगी पैलेडियम धातु से बनते हैं, वहीं यह सेंसर निकल से बना है — जिसकी कीमत पैलेडियम से दस गुना कम है, लेकिन प्रदर्शन में कहीं बेहतर.

इसकी लाइटवेट और स्केलेबल डिज़ाइन इसे एयरोस्पेस, डिफेंस और ग्रीन एनर्जी सेक्टर के लिए भी परफेक्ट बनाती है। यानी, भारत ने सिर्फ़ एक सेंसर नहीं बनाया… बल्कि गैस सुरक्षा और निगरानी की एक नई पीढ़ी की शुरुआत कर दी है. ये इनोवेशन आने वाले समय में हादसों को रोकेगा, ज़िंदगियां बचाएगा और भारत के ग्रीन ट्रांजिशन को तेज़ करेगा!

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