अमेरिका ने रोकी UKRAINE की हथियार सप्लाई! यूक्रेन को मिसाइलें भेजनी बंद, अब क्या होगा?

अब युद्ध में रूस का पलड़ा भारी?

अमेरिका ने बहुत बड़ा कदम उठाया है, जिसका असर रुस और यूक्रेन के बीच हो रहे युद्ध में देखने को मिल सकता है.

पेंटागन ने यूक्रेन को महत्वपूर्ण वायु रक्षा मिसाइलों और सटीक-निर्देशित युद्ध सामग्री की शिपमेंट पर रोक लगा दी है.  इसका प्रमुख कारण हथियारों के घटते अमेरिकी भंडार है. इस निर्णय ने वैश्विक रक्षा हलकों में हलचल मचा दी है.

रक्षा सचिव पीट हेगसेथ द्वारा 1 जुलाई, 2025 को घोषित इस रोक से महत्वपूर्ण हथियार प्रणालियों पर असर पड़ेगा, जिसमें पैट्रियट वायु रक्षा प्रणालियों के लिए इंटरसेप्टर, सटीक तोपखाने के गोले और F-16 लड़ाकू जेट के लिए मिसाइलें शामिल हैं. ये सभी बढ़ते रूसी हमलों के खिलाफ यूक्रेन की रक्षा के लिए महत्वपूर्ण रहे हैं. ऐसे में इस पर रोक लगाने से यूक्रेन की युद्ध में हालत खराब हो सकती है.

व्हाइट हाउस ने इस कदम को “अमेरिका के हितों को प्राथमिकता” देने के रूप में परिभाषित किया है. यह निर्णय नीति प्रमुख एलब्रिज कोल्बी के नेतृत्व में पेंटागन की समीक्षा के बाद लिया गया है, जिसमें पता चला है कि तोपखाने के गोले, वायु रक्षा मिसाइलों और सटीक हथियारों के अमेरिकी भंडार गंभीर रूप से निम्न स्तर पर पहुंच गए हैं.

घोषणा से कुछ ही दिन पहले, ट्रम्प ने हेग में नाटो की बैठक के दौरान यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की से मुलाकात की थी. इस दैरान अमेरिकी भंडार को कम करने के लिए सतर्क दृष्टिकोण का संकेत दिया था. यह रोक एक व्यापक चुनौती को रेखांकित करती है.

पैट्रियट इंटरसेप्टर… JDAM किट… सब बंद!

रोके गए शिपमेंट में कई उन्नत हथियार शामिल हैं, जो यूक्रेन की रक्षा रणनीति के लिए महत्वपूर्ण रहे हैं. उनमें से पैट्रियट एयर डिफेंस सिस्टम के लिए इंटरसेप्टर हैं, जिन्हें बैलिस्टिक और क्रूज मिसाइलों का मुकाबला करने के लिए डिज़ाइन किया गया है. ये इंटरसेप्टर यूक्रेनी शहरों को रूसी इस्कंदर और किंजल मिसाइलों से बचाने में सहायक रहे हैं. 155 मिमी सटीक आर्टिलरी शेल, जो रूसी जमीनी बलों के खिलाफ सटीक फायर सपोर्ट प्रदान करते हैं. इसके अलावा एजीएम-88 हार्म, जेडीएएम किट और एआईएम-120 एएमआरएएएम जैसी मिसाइलें है, जो हाल ही में यूक्रेन की वायु सेना में एकीकृत किए गए एफ-16 फाइटर जेट के संचालन के लिए अभिन्न अंग हैं.

यूक्रेन के नए खरीदे गए F-16 के लिए, AGM-88 HARM, JDAM किट और AIM-120 AMRAAM ज़रूरी हैं. HARM, एक एंटी-रेडिएशन मिसाइल है, जो दुश्मन के रडार सिस्टम को निशाना बनाती है, जिससे S-400 जैसी रूसी वायु रक्षा प्रणाली दब जाती है. JDAM किट बिना निर्देशित बमों को सटीक निर्देशित हथियारों में बदल देती है, जिससे कमांड पोस्ट जैसे उच्च-मूल्य वाले लक्ष्यों पर हमला करना संभव हो जाता है. AIM-120 AMRAAM, अपने सक्रिय रडार मार्गदर्शन के साथ, दृश्य-सीमा से परे हवा से हवा में मार करने की क्षमता प्रदान करता है, जिससे F-16s 180 किलोमीटर तक की दूरी पर Su-35 जैसे रूसी विमानों से भिड़ सकते हैं.

पेंटागन ने ब्रेक क्यों लगाया?

पेंटागन द्वारा गोला-बारूद की खेप को रोकने का निर्णय एक गंभीर वास्तविकता से उपजा है. यू.एस. के खुद के हथियार के भंडार कम होते जा रहे हैं. पेंटागन के नीति प्रमुख एल्ब्रिज कोल्बी के नेतृत्व में की गई समीक्षा ने निष्कर्ष निकाला कि तोपखाने के गोले, वायु रक्षा मिसाइलों और सटीक-निर्देशित गोला-बारूद के भंडार उस स्तर तक पहुँच गए हैं जो अन्य वैश्विक आकस्मिकताओं के लिए अमेरिका की तत्परता को कमज़ोर कर सकते हैं.

अमेरिका ने इजरायल और अन्य भागीदारों को भी महत्वपूर्ण संसाधन दिए हैं, जिससे उसके भंडार में और वृद्धि हुई है. लेकिन अमेरिकी हथियार भंडार में कमी आईं है.

पेंटागन का डर है कि निरंतर कमी इसे बहु-मोर्चे के संकट के लिए तैयार नहीं छोड़ सकती है, एक ऐसा परिदृश्य जो चीन, रूस और ईरान द्वारा अपने सैन्य सहयोग को मजबूत करने के कारण तत्काल बढ़ गया है.

क्या ट्रंप की चाल है शिपमेंट रोकना!

कुछ विश्लेषकों का सुझाव है कि शिपमेंट में ठहराव यूक्रेन को वार्ता की ओर धकेलने का एक जरिया हो सकता है, जो संघर्ष को समाप्त करने के ट्रंप के घोषित लक्ष्य के साथ संरेखित है.

यूक्रेन शिपमेंट में रोक एक अस्थायी उपाय हो सकता है, लेकिन यह उन कमजोरियों को उजागर करता है जो अगर अनसुलझे छोड़ दिए गए तो अमेरिकी सैन्य तैयारियों को कमजोर कर सकती हैं.

यह निर्णय वैश्विक सुरक्षा भागीदार के रूप में अमेरिका की विश्वसनीयता पर भी सवाल उठाता है. ताइवान जैसे हिंद-प्रशांत क्षेत्र के मित्र देश इस पर कड़ी नजर रख रहे हैं, क्योंकि उनकी अपनी रक्षा अमेरिका की प्रतिबद्धताओं पर निर्भर है. यदि अमेरिका यूक्रेन को समर्थन जारी नहीं रख पाता है, तो अन्यत्र किए गए वादों को पूरा करने की उसकी क्षमता पर संदेह बढ़ सकता है, जिससे चीन और रूस जैसे विरोधियों का हौसला बढ़ सकता है.

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