India-Australia ने किया बड़ा सुरक्षा समझौता, अब पनडुब्बी बचाव और रक्षा सहयोग होगा और मजबूत

India और Australia ने इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में साझा सुरक्षा और रक्षा साझेदारी को नई ऊंचाई देने के लिए एक अहम सुरक्षा समझौते (Security Agreement) पर हस्ताक्षर किए हैं. इस समझौते के तहत दोनों देश अब पनडुब्बी बचाव (Submarine Rescue Cooperation), रक्षा उद्योग सहयोग, और सैन्य संवाद (Military Talks) को और मजबूत करेंगे.
यह समझौता ऑस्ट्रेलिया में हुए भारत–ऑस्ट्रेलिया रक्षा मंत्रियों की वार्ता (India–Australia Defence Ministers’ Dialogue 2025) के दौरान साइन किया गया.
India के लिए क्या है इस समझौते का मकसद
भारत और ऑस्ट्रेलिया ने यह साझेदारी इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में बढ़ते सामरिक तनाव खासकर चीन के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए की है. समझौते का मुख्य उद्देश्य दोनों देशों की नौसैनिक क्षमताओं को एक-दूसरे के पूरक बनाना है.
इसके तहत —
- दोनों देशों की नौसेनाएँ पनडुब्बी बचाव मिशनों (Submarine Rescue Missions) में एक-दूसरे की मदद करेंगी.
- रक्षा उद्योग और टेक्नोलॉजी ट्रांसफर में सहयोग को बढ़ावा दिया जाएगा.
- हिंद महासागर क्षेत्र में साझा गश्त (Joint Maritime Patrols) और सूचना साझा करने (Information Sharing) की प्रक्रिया को तेज किया जाएगा.
- ऑस्ट्रेलिया ने प्रस्ताव दिया है कि उसके युद्धपोतों की मरम्मत और रखरखाव (Maintenance & Refitting) भारत के शिपयार्ड में की जा सकती है.
बैठक में कौन-कौन रहे शामिल

इस वार्ता में भारतीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और ऑस्ट्रेलिया के रक्षा मंत्री रिचर्ड मार्ल्स (Richard Marles) ने संयुक्त रूप से भाग लिया. यह भारत के किसी रक्षा मंत्री का 2013 के बाद ऑस्ट्रेलिया का पहला आधिकारिक दौरा है.
दोनों मंत्रियों ने बैठक के बाद संयुक्त बयान में कहा,
“भारत और ऑस्ट्रेलिया अब एक ऐसे दौर में हैं जहाँ हमारी साझेदारी सिर्फ़ रणनीतिक नहीं, बल्कि तकनीकी और औद्योगिक सहयोग की दिशा में भी आगे बढ़ रही है.”
इंडो-पैसिफिक में रणनीतिक महत्व
इस समझौते से हिंद महासागर में भारत की स्थिति और मजबूत होगी. चीन की बढ़ती नौसैनिक उपस्थिति के बीच यह साझेदारी AUKUS और QUAD जैसे रक्षा ढाँचों को पूरक मानी जा रही है.
रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, यह कदम न केवल भारत की “सागर सुरक्षा” रणनीति को बल देगा, बल्कि ऑस्ट्रेलिया को भी एशियाई समुद्री सुरक्षा में एक विश्वसनीय साझेदार के रूप में स्थापित करेगा.
भविष्य की योजनाएँ
Submarine Rescue Framework:
भारत और ऑस्ट्रेलिया एक संयुक्त पनडुब्बी बचाव नेटवर्क बनाएंगे जिससे किसी भी संकट के समय एक-दूसरे की मदद की जा सके.
Defence Industry Collaboration:
दोनों देशों के रक्षा उद्योगों के बीच संयुक्त अनुसंधान, प्रोटोटाइप विकास और उत्पादन की संभावनाएँ बढ़ेंगी.
Joint Exercises:
अगले साल से संयुक्त नौसैनिक अभ्यासों (Naval Drills) में सहयोग बढ़ेगा, जिनमें वास्तविक पनडुब्बी बचाव मिशन और सागर निगरानी शामिल होगी.
भारत–ऑस्ट्रेलिया रक्षा सहयोग का यह नया अध्याय हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सामरिक स्थिरता और तकनीकी आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ा कदम है.
यह समझौता न केवल दोनों देशों की सेनाओं को आपसी तालमेल में लाएगा, बल्कि “Aatmanirbhar Bharat” और “Free & Open Indo-Pacific” की साझा दृष्टि को भी मजबूती देगा.