DRDO ने लाइट टैंक से Nag Mk-II एंटी-टैंक मिसाइल का सफल फायरिंग टेस्ट किया

भारत की रक्षा तकनीक में आत्मनिर्भरता (Atmanirbharta) की दिशा में एक और बड़ा कदम बढ़ाते हुए, रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) के चेन्नई स्थित कॉम्बैट व्हीकल्स रिसर्च एंड डेवलपमेंट इस्टैब्लिशमेंट (CVRDE) ने लाइट टैंक के विकास में एक अहम मील का पत्थर हासिल किया है.
DRDO द्वारा डिज़ाइन और लार्सन एंड टुब्रो (L&T) द्वारा निर्मित इस स्वदेशी लाइट टैंक से Nag Mk-II एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल (ATGM) का सफल परीक्षण किया गया है.
इस ट्रायल के दौरान टैंक ने अपनी सभी प्रदर्शनात्मक क्षमताओं को साबित किया, चाहे वह रेंज (range) हो, मैन्यूवरबिलिटी (maneuverability) या फिर टॉप अटैक मोड में सटीकता (accuracy in top attack mode). मिसाइल ने लक्ष्य को उच्च सटीकता से भेदा, जिससे DRDO की डिज़ाइन और एकीकृत हथियार प्रणाली की तकनीकी श्रेष्ठता साबित हुई.
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस उपलब्धि पर DRDO और L&T की टीम को बधाई दी है. उन्होंने कहा कि यह उपलब्धि ‘आत्मनिर्भर भारत’ के विज़न को मज़बूती प्रदान करती है और भारत की टैंक निर्माण तकनीक को नई दिशा देगी.
5 किलोमीटर दूर से दुश्मनों के टैंक व बख्तरबंद वाहनों को कर सकता है नष्ट
Nag Mk-II मिसाइल, भारत द्वारा विकसित तीसरी पीढ़ी की एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल है, जो “फायर एंड फॉरगेट” क्षमता से लैस है. यह 5 किलोमीटर तक की दूरी से दुश्मन के टैंक या बख्तरबंद वाहनों को सटीकता से नष्ट कर सकती है.
लाइट टैंक प्रोजेक्ट का लक्ष्य भारतीय सेना को ऐसे मोबाइल, हल्के और घातक टैंक मुहैया कराना है जो पहाड़ी और कठिन इलाकों में आसानी से काम कर सकें. माना जा रहा है कि यह टैंक भविष्य में लद्दाख, अरुणाचल और ऊंचाई वाले सीमावर्ती क्षेत्रों में तैनाती के लिए आदर्श साबित होगा.
यह सफलता न केवल DRDO के लिए गौरव का क्षण है, बल्कि यह संकेत भी देती है कि भारत जल्द ही पूरी तरह स्वदेशी लाइट टैंक क्षमता हासिल कर लेगा, जो चीन और पाकिस्तान के खिलाफ रणनीतिक बढ़त सुनिश्चित करेगा.