ER-ASR: भारत का देसी Submarine Killer, अब समंदर में मचेगी तबाही!

User trials of Extended Range Anti-Submarine Rocket successfully carried out from INS Kavaratti

एक और बड़ी कामयाबी भारत के हाथ लगी है… और ये कामयाबी समंदर की गहराइयों में दुश्मन की पनडुब्बियों को ढूंढकर खत्म करने वाली है!

आज हम बात कर रहे हैं — भारत के पहले पूर्णतः स्वदेशी एंटी-सबमरीन रॉकेट — ER-ASR की!

भारतीय नौसेना के अत्याधुनिक युद्धपोत INS कवरत्ती से स्वदेश में विकसित एक्सटेंडेड रेंज एंटी सबमरीन रॉकेट  (ER-ASR) के यूज़र ट्रायल 23 जून से 7 जुलाई 2025 के बीच सफलतापूर्वक पूरे किए गए. यह ट्रायल नौसेना के गोवा तट के पास किए गए, जिसमें कुल 17 रॉकेट्स को अलग-अलग रेंज और स्थितियों में दागा गया.

यह रॉकेट भारतीय नौसेना को वह ताकत देगा जिसकी ज़रूरत लंबे समय से थी — यानी बिना किसी विदेशी मदद के, समंदर के अंदर छिपी दुश्मन की पनडुब्बियों का शिकार करेगा!

ER-ASR क्या है?

ER-ASR यानी Extended Range Anti-Submarine Rocket एक पनडुब्बी रोधी हथियार प्रणाली है, जिसे भारतीय रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) के आर्मामेंट रिसर्च एंड डेवलेपमेंट स्टेब्लिशमेंट  (ARDE), पुणे द्वारा डिजाइन किया गया है. इस परियोजना में DRDO की दो और प्रयोगशालाओं — High Energy Materials Research Laboratory (HEMRL) और Naval Science & Technological Laboratory (NSTL) — ने भी सहयोग किया है. इस रॉकेट को भारतीय नौसेना के युद्धपोतों पर तैनात Indigenous Rocket Launcher (IRL) से दागा जा सकता है. इसे खास गहराई पर पनडुब्बियों को रोकने के लिए डिजाइन किया गया है.

यह रॉकेट पुराने रूसी सिस्टम RGB को पूरी तरह रिप्लेस करने जा रहा है — और यही है आत्मनिर्भर भारत की असली ताकत! भारत का यह “Submarine Killer” अब हिंद महासागर से लेकर हर जलसीमा में हमारी सुरक्षा का कवच बनेगा.

अब जानते है इसकी विशेषताएँ

रॉकेट में दो मोटर लगे हैं, जिससे यह विभिन्न रेंजों तक दुश्मन की पनडुब्बियों को लक्ष्य बना सकता है. यह आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक तकनीक रॉकेट को समय के अनुसार विस्फोट करने की क्षमता देती है, जिससे लक्ष्य पर सटीक प्रहार सुनिश्चित होता है. सभी परीक्षणों में ERASR ने उच्च स्तर की सटीकता और परिणामों की स्थिरता प्रदर्शित की है.

इस प्रणाली का उत्पादन पूरी तरह भारत में किया जा रहा है. INS कवरत्ती से किए गए 17 ट्रायल में कई चीजों को परखा गया, जिसमें यह खरा उतरा.

इसमें रॉकेट की रेंज प्रदर्शन, इलेक्ट्रॉनिक टाइम फ्यूज़ की कार्य क्षमता, वारहेड के विस्फोट का प्रभाव समेत कई ऐसी चीजे थी जो काफी महत्वपूर्ण है.

सभी ट्रायल पूरी तरह सफल रहे, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि यह प्रणाली नौसेना के उपयोग के लिए तैयार है. इससे भारत की पनडुब्बी रोधी पारंपरिक युद्ध क्षमता में बड़ा इजाफा होगा.

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने दी बधाई

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने DRDO, भारतीय नौसेना और सिस्टम के विकास और परीक्षणों में शामिल उद्योग को बधाई दी है. उन्होंने कहा कि इस प्रणाली को भारतीय नौसेना में शामिल करने से इसकी मारक क्षमता में वृद्धि होगी. रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव और डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ. समीर वी. कामत ने भी ईआरएएसआर के डिजाइन और विकास में शामिल टीमों की सराहना की.

दोस्तों, ये रॉकेट सिर्फ एक हथियार नहीं, बल्कि ‘आत्मनिर्भर भारत’ की असली मिसाल है. अब भारत अपने समुद्री क्षेत्रों की रक्षा बिना किसी विदेशी सहारे के कर सकेगा.दुश्मन चाहे ज़मीन पर हो, आसमान में, या समंदर की गहराइयों में — भारत अब हर मोर्चे पर तैयार है!

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