INDIA में कैसे आया ‘जगुआर फाइटर जेट’, जिसने भारत को कई युद्ध जीतने में मदद की

WORLD की चौथी सबसे बड़ी मिलिट्री ताकत भारत की बात करें तो भारतीय वायु सेना का सामने जो भी आया उसने मुंह की खाई है.
भारतीय वायुसेना ने 1965, 1971, 1999 कारगिल युद्ध हो या बालाकोट स्ट्राइक हो भारतीय वायुसेना अपनी क्षमता का लोहा मनवाया है. लेकिन हम आपको आज भारतीय वायुसेना एक ऐसे फाइटर जेट के बारे में बताते है. जिसने भारत को कई युद्ध जीतने में मदद की.. लेकिन इसकी चर्चा काफी कम होती है.
उस फाइटर जेट का नाम है- जगुआर… यह अपने नाम की तरह ही तेज़ भी है.
जगुआर की पहली उड़ान 8 सितम्बर 1968 को इस्ट्रेस (फ्रांस) में हुई, जिसका संचालन बर्नार्ड विट ने किया था. जिसे इंग्लैंड और फ्रांस ने संयुक्त रुप से बनाया था. दरअसल इसी समय भारत को भी जगुआर जैसे एक फाइटर जेट की जरुरत थी.
हुआ यूं था कि जनवरी 1970 में HF-24 Mk1R के एक हादसे में हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) के मुख्य परीक्षण पायलट की मौत हो गई. इसे यह लगने लगा कि HF-24 DPSA आवश्यकताओं को पूरा नहीं कर पाएगा. बाद में HF-24 का नाम बदलकर मारुत कर दिया गया.
27 जुलाई 1979 को पहले दो जगुआर विमान भारत में उतरे
साल 1978 के मार्च की बात है, जब भारत के रक्षा सचिव के नेतृत्व में एक भारतीय दल ने फ्रांस, स्वीडन और इंग्लैंड का दौरा किया. वहां से आकर उसने भारत सरकार को एक रिपोर्ट दी. इसकी रिपोर्ट प्राप्त करने के बाद भारत सरकार ने अन्य दो विमानों को नजरअंदाज कर जगुआर हासिल करने के लिए BAE के साथ अनुबंध करने का निर्णय लिया. जगुआर के चयन की औपचारिक घोषणा सरकार ने 6 अक्टूबर 1978 को की.
भारतीय वायु सेना (आईएएफ) ने 1978 में 40 जगुआर खरीदने के लिए 1 बिलियन डॉलर का ऑर्डर दिया. आखिरकार भारत में 27 जुलाई 1979 को पहले दो जगुआर विमान भारत में उतरे. यह भारतीय वायु सेना की विमानन क्षमताओं में एक नए युग की शुरुआत थी. 40 जगुआर के दूसरे बैच की डिलीवरी 1981 में शुरू हुई. 45 विमानों की असेंबली किट वाले तीसरे बैच को मई 1981 में एचएएल में ले जाया गया. भारतीय वायुसेना ने 1999 में 17 जगुआर और 2001 और 2002 के बीच 20 और जगुआर खरीदे. एचएएल ने 90 जगुआर बनाए हैं, जिनमें से कई अभी भी सेवा में हैं.
भारतीय वायुसेना जगुआर का उपयोग करने वाली दुनिया की एकमात्र सेना
वर्तमान समय में भारतीय वायु सेना जगुआर का संचालन करने वाली दुनिया की एकमात्र वायु सेना है. भारत ने जगुआर को अपग्रेड करके उसकी उम्र में इजाफा किया है. इस विमान में नए अटैक और नेविगेशन एवियोनिक्स लगाए गए हैं. हालांकिअब भारत सरकार ने धीरे-धीरे 2035 तक जगुआर को अपने बेड़े से हटाने का निर्णय लिया है.
1968 से 1981 तक दुनिया में कुल 573 जगुआर फाइटर जेट बनाए गए. इनमें से कुल मिलाकर एसईपीईसीएटी, बीएई और भारत के एचएएल ने 543 जगुआर विमानों का निर्माण किया. राफेल के पहले तक यह परमाणु हमला करने में सक्षम भारत का एकमात्र एयरक्राफ्ट था.
जगुआर की खासियत

भारतीय वायुसेना के पास 160 जगुआर विमान हैं, जिनमें से 30 ट्रेनिंग के लिए हैं. इसका मुख्य काम ही ग्राउंड अटैक करना है. भारत में इसे हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड बनाती है. इस विमान के कई वैरिएंट्स हैं. किसी को एक पायलट उड़ाता है. तो किसी को 2 पायलट मिलकर उड़ाते हैं. वर्तमान समय में भारत ने इस पर कई आधुनिक हथियार को फिट किया है. जिससे यह और भी खतरनाक हो गया है.
55.3 फीट लंबे विमान का विंगस्पैन 28.6 फीट है. जबकि ऊंचाई 16.1 फीट है. टेकऑफ के समय इसका अधिकतम वजन 15,700 किलोग्राम होता है. इसमें 2 रोल्स रॉयस टर्बोमेका अडोर एमके.102 के इंजन लगा है. इसमें 4200 लीटर फ्यूल आता है. इसके अलावा 1200 लीटर के ड्रॉप टैंक्स भी लगाए जा सकते हैं.
समुद्री सतह के ऊपर इसकी अधिकतम गति 1350 किलोमीटर प्रतिघंटा है. जबकि, 36 हजार फीट की ऊंचाई पर यह 1700 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से उड़ान भर सकता है. सारे फ्यूल टैंक अगर भरे हों तो यह 1902 किलोमीटर की रेंज कवर करता है. अधिकतम 46 हजार फीट की ऊंचाई तक जा सकता है. ये मात्र डेढ़ मिनट में 30 हजार फीट पहुंच जाता है. यह 600 मीटर के छोटे रनवे पर से भी टेकऑफ या लैंडिंग कर लेता है.
कई खतरनाक हथियारों से लैस है जगुआर
इसमें 30 मिलिमीटर के 2 कैनन लगे है, जो हर मिनट 150 गोलियां दागते हैं. इसमें कुल मिलाकर 7 हार्ड प्वाइंट्स हैं. 4 अंडर विंग, 2 ओवर विंग और एक सेंट्रल लाइन में. यह 4500 किलोग्राम वजनी हथियार उठाकर उड़ान भर सकता है. इसमें 8 Matra रॉकेट पॉड्स के साथ 68 मिलिमीटर के 18 SNEB रॉकेट लगा रहता है.
इसमें एक एंटी-राडार मिसाइल, 2 हवा से हवा में मार करने वाली AIM-9 साइड विंडर मिसाइल, RudraM-1 एंटी-रेडिएशन मिसाइल, हार्पून एंटी-शिप मिसाइल, सी-ईगल एंटी -शिप मिसाइल, प्रेसिशन गाइडेड म्यूनिशन, स्मार्ट एंटी-एयरफील्ड वेपन, कई तरह के गाइडेड या अनगाइडेड बम, परमाणु बम लगाए जा सकते हैं.
इस तरह हम देखते है कि जगुआर भारत का एक महत्वपूर्ण साथी रहा है. जगुआर के कई वेरिएंट हैं
जगुआर के प्रमुख वेरिएंट
ब्रेगेट बीआर.121 – फ्रेंच मॉडल की डिजाइन
• जगुआर ए – एक सीट वाला, फ्रांसीसी उपयोग के लिए जमीन पर हमला करने वाला लड़ाकू विमान जिसका हर मौसम में इस्तेमाल किया जा सकता है
• जगुआर बी – दो सीट वाला ट्रेनर विमान
• जगुआर ई – दो सीट वाला ट्रेनर विमान
• जगुआर एस – सिंगल सीट, हर मौसम में जमीन पर हमले वाला लड़ाकू विमान
• जगुआर जीआर.एमके 1 – रॉयल एयर फोर्स (आरएएफ) जगुआर एस
• जगुआर जीआर.एमके 1 ए – अपग्रेड जीआर.एमके 1 मॉडल
• जगुआर जीआर.एमके 1 बी – टीआईएएलडी-सक्षम अपग्रेड जीआर.एमके 1 मॉडल
• जगुआर जीआर.एमके 3 – जीआर.एमके 1 ए और जीआर.एमके 1 बी मॉडल जगुआर 96 एवियनिक्स सिस्टम में अपग्रेड किए गए
• जगुआर जीआर.एमके 3 ए – जीआर.एमके 3 मॉडल जगुआर 97 एवियनिक्स सिस्टम में अपग्रेड किया गया.
• जगुआर टी.एमके 2 – आरएएफ दो सीट वाला, ट्रेनर जगुआर बी पर आधारित
• जगुआर टी.एमके 2 ए – टी.एमके 2 ट्रेनर विमान, जीआर.एमके 1ए मानक में अपग्रेड किया गया
• जगुआर टी.एमके 2 बी – टीआईएलडी क्षमता के साथ अपग्रेडेड टी.एमके 2 ए मॉडल
• जगुआर टी.एमके 4 – टी.एमके 2 ए ट्रेनर मॉडल जगुआर 96 मानक में अपग्रेड किए गए
• जगुआर एम – प्रस्तावित सिंगल सीट नेवी लड़ाकू विमान; मूल्यांकन के लिए एक प्रोटोटाइप तैयार किया गया, जिसका कभी उत्पादन नहीं हुआ
• जगुआर एसीटी – “सक्रिय नियंत्रण प्रौद्योगिकी” अनुसंधान के लिए प्लेटफॉर्म बदलाव
• जगुआर “इंटरनेशनल” – जगुआर बी और जगुआर एस मॉडल का निर्यात संस्करण
• जगुआर ईएस – इक्वाडोर के लिए निर्यात किया गया जगुआर एस मॉडल
• जगुआर ईबी – इक्वाडोर के लिए निर्यात किया गया जगुआर बी मॉडल
• जगुआर ओएस – ओमान के लिए निर्यात किया गया जगुआर एस मॉडल
• जगुआर ओबी – ओमान के लिए निर्यात किया गया जगुआर बी मॉडल
• जगुआर आईएस – भारत के लिए निर्यात किया गया और भारत में स्थानीय रूप से निर्माण किया गया जगुआर, जिसका उत्पादन बीएई और एचएएल ने किया. यह हर मौसम में जमीन पर हमला करने और रणनीतिक तौर पर भारत के लिए मुफीद है
• जगुआर आईटी – भारत के लिए निर्यात किया गया और स्थानीय रूप से उत्पादित जगुआर दो सीट ट्रेनर मॉडल (बीएई और एचएएल द्वारा उत्पादन)
• जगुआर आईएम – भारतीय वायु सेना के लिए अंतरराष्ट्रीय एंटी-शिपिंग मॉडल
• जगुआर एसएन – नाइजीरिया के लिए निर्यात किया गया जगुआर एस मॉडल
• जगुआर बीएन – नाइजीरिया के लिए निर्यात किया गया जगुआर बी मॉडल
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