क्या आप जानते है चीन की खुफिया एजेंसी के बारे में, जानिए कैसे काम करती है चीनी खुफिया एजेंसी

आपने भारत की खुफिया एजेंसी रॉ, अमेरिका की एफबीआई, इंग्लैंड की एमआई-6 इजरायल की मोसाद और पाकिस्तान की आईएसआई का नाम तो जरुर सुना होगा… कई फिल्मों में इनका जिक्र और इसके कारनामे में आपने देखा होगा.. इनके जासूसों पर कई फिल्में बन चुकी है.
लेकिन आपने कभी चीन की जासूसी एजेंसी के बारे में सुना है? या किसी फिल्मों में देखा है? ऐसा रेयर ही होता है कि इनका नाम सार्वजनिक तौर पर लिया जाता है.
चीन बाकि देशों के मुकाबले अपने खुफिया तंत्र का जिक्र काफी कम करता है. यहां तक कि ज्यादातर लोगों को वहां के खुफिया विभाग के प्रमुख तक की जानकारी नहीं होती है. भारत में भी कई लोगों को चीन की खुफिया एजेंसी का नाम तक पता नहीं है.
तो आज हम आपको बताते है. चीन की खुफिया एजेंसी के बारे में.
चीन की खुफिया एजेंसी का नाम मिनिस्ट्री ऑफ स्टेट सिक्योरिटी है. इसे एमएसएस (MSS) के नाम से भी जानते हैं. इसकी स्थापना 1 जुलाई 1983 में की गई थी. यह चीन की सेंट्रल नेशनल सिक्योरिटी कमीशन को रिपोर्ट करती है. एमएसएस का मुख्यालय बीजिंग में है.
यह चीन के लिए काउंटर-इंटेलिजेंस, विदेशी इंटेलिजेंस के साथ-साथ घरेलू और विदेशी धरती पर खुफिया तंत्र द्वारा जानकारी जुटाने, निगरानी रखने और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए जिम्मेदार है.
ये एजेंसी चीन के लिए सीआइए और एफबीआई दोनों ही एजेंसियों की तरह काम करती हैं. एमएसएस, चीन के कैबिनेट के तहत अन्य मंत्रालयों की तरह काम करता है. एमएसएस के पास पूरे चीन में विशाल नेटवर्क है. एजेंसी अपनी किसी भी तरह की जानकारी साझा नहीं करती है. जासूसी एजेंसी के उप-मंत्रियों के नामों का भी खुलासा कभी नहीं किया जाता है. अपवाद स्वरुप ही नाम सामने आ जाए तो जाए…
चीन की खुफिया एजेंसी के पास व्यापक शक्तियां है.
साल 2017 में लागू किए गए राष्ट्रीय खुफिया कानून के तहत, एमएसएस के पास अन्य खुफिया तंत्रों के साथ-साथ देश और विदश दोनों जगहों पर जासूसी गतिविधियां संचालन करने की अनुमति हैं. एमएसएस के पास किसी भी विदेशी या घरेलू व्यक्ति या संस्थानों पर निगरानी और जांच करने की व्यापक शक्तियां हैं. एमएसएस किसी भी व्यक्ति या संस्थान को खुफिया गतिविधियों में शामिल होने के लिए भी आदेश दे सकता है.
एमएसएस किसी भी ऐसे व्यक्ति को 15 दिनों तक प्रशासनिक हिरासत में ले सकती है जो किसी भी प्रकार से खुफिया तंत्र के काम या जानकारी को बाधित करता है.
चीन के आपराधिक प्रक्रिया कानून के अंतर्गत, एमएसएस और नियमित पुलिस को राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े अपराधों के लिए लोगों को गिरफ्तार करने या हिरासत में लेने के लिए एक समान अधिकार हैं.
चीन में कई विदेशी लोगों की भी हो चुकी हैं गिरफ्तारी
एमएसएस ने इन्हीं शक्तियों का प्रयोग कर कई विदेशी लोगों पर आरोप लगा कर चीन में गिरफ्तारी की है. कनाडा के पूर्व राजनायिक और व्यवसायी को कथित तौर पर राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बता कर हिरासत में लिया गया था.
इसके अलावा स्वीडन के एक व्यक्ति को भी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बता कर गिरफ्तार किया जा चुका है. बाद में उन्हें राष्ट्रीय चैनल पर अपराध स्वीकार कर माफी मांगने के बाद निर्वासित कर दिया गया था.
इस एजेंसी पर देश के अंदर राजनीतिक प्रतिद्वंद्धी को निपटाने का आरोप भी लग चुका है. इससे साफ पता चलता है कि चीन की खुफिया एजेंसी किस तरह काम करती है.
एमएसएस का संगठन पूर्व केजीबी के समान है, जिसमें विदेशी खुफिया, प्रति-खुफिया और वैज्ञानिक और तकनीकी खुफिया जानकारी के संग्रह के लिए जिम्मेदार ब्यूरो हैं.
चीनी ख़ुफ़िया अभियानों का संचालन राजनयिक कवर के तहत अधिकारियों के साथ-साथ व्यापारियों और विद्वानों के रूप में गैर-आधिकारिक कवर के तहत किया जाता है. खासकर संयुक्त राज्य अमेरिका में इसका संचालन काफी सफल रहा है.
चीन एजेंटों ने अमेरिका से चुरा ली ICBM से संबंधित जानकारी
साल 2000 में अमेरिकी कांग्रेस समिति ने एक रिपोर्ट में कहा था कि चीनी खुफिया एजेंसी ने “वर्तमान में तैनात प्रत्येक अमेरिकी अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल (आईसीबीएम) और पनडुब्बी से प्रक्षेपित बैलिस्टिक मिसाइल (एसएलबीएम) से संबंधित जानकरी चुरी ली है.
एमएसएस औद्योगिक और साइबर जासूसी में सक्रिय है. अनुमान है कि एजेंसी में कम से कम 110,000 कर्मचारी हैं, जिनमें से 10,000 सीधे एमएसएस मुख्यालय से जुड़े हुए हैं और 100,000 इसकी दर्जनों प्रांतीय शाखाओं में फैले हुए है.
इस तरह हम देखते है कि चीन की खुफिया एजेंसी एमएसएस (MSS) अपने मिशन को काफी गंभीरता से लेती है.. एमएसएस (MSS) काफी गुप्त तरीके से काम करती है.