भारत का स्वदेशी Nuclear Submarine INS Arighat नौसेना में शामिल
दोस्तों, पिछले कुछ वर्षों में भारत के अपने पड़ोसी चीन और पाकिस्तान के साथ रिश्ते तनावपूर्ण रहे हैं. ऐसे में अपनी सुरक्षा को पुख्ता करने की तैयारी में भारत जुट चुका है.
इसी क्रम में भारतीय नौसेना को एक और स्वदेशी परमाणु पनडुब्बी आईएनएस अरिघाट (INS Arighat) मिल चुकी है. इसे स्ट्रैटेजिक फोर्सेस कमांड में शामिल कर लिया गया है. जितने भी न्यूक्लियर वेपन हैं वे सब स्ट्रैटजिक फोर्सेस कमांड के तहत आते हैं, जो सीधे पीएमओ को रिपोर्ट करती है.
भारतीय नौसेना को एक और स्वदेशी परमाणु पनडुब्बी आईएनएस अरिघाट (INS Arighat) मिल चुकी है.
भारतीय नौसेना की दूसरी परमाणु ईंधन से चलने वाली और परमाणु बैलिस्टिक मिसाइलों से लैस यह सबमरीन अरिहंत क्लास की अत्याधुनिक SSBN है. भारत में परमाणु ऊर्जा से चलने वाली लंबी दूरी की बैलिस्टिक पनडुब्बियों को ‘अरिहंत श्रेणी’ का नाम दिया गया है.
संस्कृत शब्द है अरिहंत, इसका मतलब है 'शत्रु का नाश करने वाला'.
भारत ने 1980 में शुरु किया था अरिहंत प्रोजेक्ट
भारत ने अडवांस्ड टेक्नॉलजी प्रोजेक्ट (ATV) 1980 में शुरु किया था और इसका पहला प्रोजेक्ट था अरिहंत. अरिहंत को 2009 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने लॉन्च किया था. सी ट्रायल के बाद अरिहंत को अगस्त 2016 में कमिशन कर दिया था. यह 6000 टन की है.
INS अरिघात को विशाखापत्तनम स्थित शिपबिल्डिंग सेंटर में बनाया गया है. इसका डिस्प्लेसमेंट 6000 टन है. लंबाई करीब 113 मीटर है. बीम 11 मीटर और ड्राफ्ट 9.5 मीटर का है. यह पानी के अंदर 980 से 1400 फीट की गहराई तक जा सकती है. रेंज असीमित है. यानी खाने की सप्लाई और मेंटेनेंस रहे तो असीमित समय तक समंदर में रह सकती है.
क्या है INS Arighat की खूबियां
भारत तीन ब्लॉक्स में बनने वाली छह परमाणु हमलावर पनडुब्बियों के साथ-साथ पांच अरिहंत श्रेणी की पनडुब्बियों पर काम कर रहा है. भारत तीसरी स्वदेशी परमाणु पनडुब्बी आइएएनएस अरिदमन का निर्माण भी कर रहा है. यह पनडुब्बी 3,500 किलोमीटर तक मार करने वाले के-4 मिसाइली से लैस होगी. अगले वर्ष यह पनडुब्बी नौसेना के बेड़े में शामिल हो सकती है.
चीन बढ़ रहा है अपनी क्षमता
चीन ने 2012 से 2022 के बीच दो एयरक्राफ़्ट कमीशन किए हैं. वह लगातार इस दिशा में काम कर रहा है. चीन ने अपनी नौसेना की क्षमता में बड़ा इज़ाफ़ा किया है. इस मामले में चीन ने अमेरिकी नौसेना को भी पीछे छोड़ दिया है. अमेरिकी नौसेना के पास कुल 71 पनडुब्बियों का बेड़ा है, जिसमें 14 बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बियां हैं. वहीं भारत ने साल 2022 में दिसंबर महीने में पी15बी मिसाइल विध्वंसक युद्धपोत को भारतीय नौसेना के बेड़े में शामिल किया था. साल 2022 सितम्बर में भारत ने अपने बड़े जंगी जहाज़ ‘विक्रांत’ को अपने बेड़े में शामिल किया था. भारत के पास जर्मन निर्मित एचडीडब्ल्यू पनडुब्बियां और फ्रांसीसी-डिज़ाइन की स्कॉर्पीन पनडुब्बियां भी हैं. इस मामले में भारत लगातार अपनी क्षमता बढ़ाने की कोशिश में लगा है.
दो तरह की होती हैं न्यूक्लियर सबमरीन
दोस्तों, आपको बता दें कि न्यूक्लियर सबरमीन दो तरह की होती है. न्यूक्लियर अटैक सबमरीन (SSN) और न्यूक्लियर मिसाइल सबमरीन (SSBN).
न्यूक्लियर मिसाइल सबमरीन न्यूक्लियर वेपन कैरी करती हैं. यह न्यूक्लियर डिटरेंस के लिए होती है और इनका रोजमर्रा का ऑपरेशनल रोल नहीं है. न्यूक्लियर अटैक सबमरीन में न्यूक्लियर वेपन नहीं होता है. यह किसी भी कंवेंशनल सबमरीन की तरह होती है लेकिन इसे ऊर्जा न्यूक्लियर ईंधन से मिलती है. न्यूक्लियर सबमरीन में एक छोटा न्यूक्लियर रिएक्टर होता है. जिसमें ईंधन के रूप में यूरेनियम का इस्तेमाल करते हुए बिजली पैदा की जाती है. इससे पूरी सबमरीन को पावर की सप्लाई की जाती है. ये लंबे समय तक गहरे पानी के नीचे छिपी रह सकती हैं. इनमें इतनी ताकत होती है कि पानी की प्रेशर के बावजूद ये अंदर ही अंदर 60 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड को पकड़ सकती हैं.
अभी इंडियन नेवी के पास एक भी न्यूक्लियर अटैक सबमरीन (SSN) नहीं है.
Conclusion
भारतीय नौसेना ने आने वाले खतरों से निपटने के लिए तैयारी शुरुकर दी है,जिसका असर कुछ सालों में दिखाई देने लगेगा
Post a Comment