रूसी विदेश मंत्री Sergey Lavrov ने कहा, रूस-भारत-चीन (RIC) ढांचे को फिर से सक्रिय करने में रुचि दिखाएं

रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव स्पूतनिक

भारत और रूस की दोस्ती काफी पुरानी और प्रगाढ़ है, जिसकी मिसाल हमने हाल ही में ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भी देखा है. जब रुसी एस-400 ने दुश्मनों के इरादों को पस्त कर दिया. हालांकि जैसा समर्थन रुस से मिलने की उम्मीद था वैसा समर्थन इस बार रुस से देखने को नहीं मिला. हालांकि रुस खुद पिछले तीन सालों से युद्ध लड़ रहा है.

भारत रुस को एक अहम साझेदार देश के रुप में तवज्जों देता है. इस बात को रुस भी जानता है. लेकिन रुस के साथ कई दिक्कतें भी है. रूस का चीन से भी उतना ही अच्छा संबंध है, जितना उसका भारत के साथ है. साथ ही वो चीन के साथ सीमा साझा भी करता है.

ऐसे में चीन के लिए उस वक्त निर्णय लेना काफी कठिन हो जाता है जब मामला सीधे चीन और भारत से जुड़ी हुई हो. हाल ही में जब भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ ऑपरेशन सिंदूर चलाया उस वक्त चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग रुस में आयोजित बिक्ट्री डे परेड में शामिल हो रहे थे.

रुस का भारत और चीन दोनों से है अच्छा रिश्ता

जहां उनका जोरदार स्वागत हुआ.. ऐसे में जब चीन का राष्ट्रपति रुस में हो और भारत की सेना पाकिस्तानी हथियारों को ठिकाने लगा रही हो, जोकि पाकिस्तान द्वारा चीन से खरीदा गया था. ऐसे में रुस ने भारत और पाकिस्तान के बीच चले संक्षिप्त युद्ध से थोड़ी दूरी बनाना ही ठीक समझा. हालांकि रूसी समर्थन फिर भारत की तरफ ही था.    

पाकिस्तान पर भारत के एयरस्ट्राइक को लेकर रूस की प्रतिक्रिया भी काफी संतुलित था. रूसी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता ने आतंकवाद की आलोचना करते हुए दोनों पक्षों से संयम बरतने साथ ही दोनों पक्षों को कूटनीतिक तरीके से मामले को सुलझाने की अपील की.

रूसी विदेश मंत्री Sergey Lavrov का एक बयान काफी महत्वपूर्ण था, जिसमें उन्होंने कहा था कि पश्चिमी देश भारत और चीन को एक दूसरे के खिलाफ खड़ा कर रहे हैं. लावरोव ने न सिर्फ पश्चिमी देशों की रणनीति की आलोचना की, बल्कि यूरेशियन सुरक्षा के लिए एक नया ढांचा बनाने की भी मांग की.

अपनी इसी मांग को ध्यान में रखते हुए एक बार फिर रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने ऐसा बयान दिया है, जिसकी गूंज पूरी दुनिया में सुनाई देगी. इस बार उन्होंने रूस, भारत, चीन संबंध को लेकर एक बड़ा बयान दिया है. हालांकि यह इतना आसान नहीं है.

रूस के पर्म शहर में यूरेशिया (यूरोप और एशिया) में सुरक्षा और सहयोग पर आधारित एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के दौरान रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने कहा कि रूस-भारत-चीन (RIC) ढांचे को फिर से सक्रिय करने में रुचि दिखाई है.

रूस की सरकारी एजेंसी TASS के मुताबिक, लावरोव ने कहा है कि, ‘मैं रूस, भारत, चीन के प्रारूप में काम को जल्द से जल्द फिर से शुरू करने में हमारी रुचि को जाहिर करना चाहूंगा, जिसकी स्थापना कई साल पहले पूर्व रूसी प्रधान मंत्री येवगेनी प्रिमाकोव की पहल पर हुई थी. RIC को फिर से एक्टिव करने का समय आ गया है.

लावरोव ने कहा, मैं समझता हूं कि भारत और चीन के बीच सीमा पर स्थिति को कैसे आसान बनाया जाए, इस पर समझ बन गई है.

उन्होंने नाटो पर भारत को चीन विरोधी साजिशों में फंसाने की खुलेआम कोशिश करने का आरोप भी लगाया. लावरोव ने कहा कि भारत भी इस बात को समझता है और नाटो की इस साजिश को एक बड़ी उकसावे वाली बात के रूप में देखता है. मैं यह बात उनके साथ गोपनीय बातचीत के आधार पर कह रहा हूं.

क्या वर्तमान परिस्थितियों में संभव है भारत, चीन और रुस के एक साथ आना

रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने जो RIC को फिर से सक्रिय करने में जो रूचि दिखाई है, क्या वो वर्तमान परिस्थितियों में संभव है! जिस जिस तरह से हर मोर्चा पर भारत के खिलाफ खड़ा नजर आता में है ऐसे में तो संभव नहीं लगता है. बात चाहे पाकिस्तान को हथियार देने की हो या फिर यूएन में हाफिज सईद जैसे आंतकियों की बचाव करने की…. चीन हमेशा पाकिस्तान के साथ खड़ा दिखाई पड़ता है. तीन के साथ भारत की बस एक मुद्दा पाकिस्तान ही नहीं है.

चीन और भारत के बीच सीमा पर विवाद किसी से छुपी हुई नहीं है. दोनों देशों के बीच इसको लेकर युद्ध हो चुका है. चीन समय समय पर अरुणाचल प्रदेश समते कई ईलाकों पर अपना दावा करता है. जिसका वह नाम भी बदलता रहता है. ऐसे में चीन के साथ संबंध उस लेवल का होना, जैसा कि रुस के विदेश मंत्री चाहते है.. मौजूदा परिस्थितियों में संभव नहीं दिखता है. लेकिन आने वाली कुछ दशकों में यह संभव है.. क्योंकि विश्व की राजनीति और कूटनीति बहुत तेजी से बदल रही है.

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