रूसी जासूसी उपकरण ने गुप्त रूप से ब्रिटेन के परमाणु SUBMARINE पर रखी नज़र

RUSSIAN SUBMARINE

हाल ही में हुई एक जांच से पता चला है कि ब्रिटिश परमाणु पनडुब्बियों की गतिविधियों पर नज़र रखने के लिए संभवतः रूसी जासूसी सेंसर गुप्त रूप से यूनाइटेड किंगडम के आसपास के समुद्र में लगाए गए हैं.

माना जा रहा है कि सेंसर रॉयल नेवी की वैनगार्ड श्रेणी की पनडुब्बियों को निशाना बना रहे हैं, जो ब्रिटेन की परमाणु मिसाइलों को ले जाती हैं. ये पनडुब्बियाँ ब्रिटेन की निरंतर समुद्री निवारक शक्ति का हिस्सा हैं, जहाँ हर समय कम से कम एक जहाज गश्त पर रहता है.

इन पनडुब्बियों की गुप्त क्षमता राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है, तथा इन पर निगरानी रखने का कोई भी प्रयास एक बड़ा खतरा बन जाता है.

ब्रिटेन में रूस के राजदूत आंद्रेई केलिन से हाल ही में जब बीबीसी वन ने इस बारे में पुछा तो उन्होंन सेंसर के अस्तित्व से इनकार नहीं किया. जब उनसे पूछा गया कि क्या उन्हें दावों पर आपत्ति है, तो केलिन ने जवाब दिया, “नहीं”

उन्होंने आगे कहा, “मैं इससे इनकार नहीं करने जा रहा हूँ, लेकिन मुझे आश्चर्य है कि क्या हमें वास्तव में बहुत पुराने परमाणु हथियारों से लैस सभी ब्रिटिश पनडुब्बियों का पीछा करने में कोई दिलचस्पी है.”

हालांकि, उन्होंने इस विचार को खारिज कर दिया कि रूस ब्रिटेन के लिए कोई खतरा पैदा कर रहा है.  केलिन ने इन चिंताओं को खारिज करते हुए कहा है कि इसे “अत्यधिक बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जा रहा है.”

इन संदिग्ध उपकरणों की उपस्थिति के बारे में सबसे पहले संडे टाइम्स ने खबर दी थी, जिसमें कहा गया था कि ब्रिटिश सेना को कुछ ऐसे उपकरण मिले हैं और वे इन्हें राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए संभावित खतरा मानते हैं.

ये सेंसर रूस की “ग्रे ज़ोन” युद्ध रणनीति का हिस्सा हो सकते हैं, जो संघर्ष का एक ऐसा रूप है जिसमें प्रत्यक्ष सैन्य टकराव के बिना गुप्त ऑपरेशन शामिल होते हैं. इसमें पानी के नीचे की ऊर्जा पाइपलाइनों, बिजली केबलों और इंटरनेट नेटवर्क जैसी महत्वपूर्ण infrastructure को निशाना बनाया जा सकता है.

ब्रिटेन के रक्षा सचिव जॉन हेली ने पहले पुष्टि की थी कि रॉयल नेवी ने ब्रिटिश जलक्षेत्र के निकट रूसी युद्धपोतों पर नज़र रखी थी, जिनमें से एक बोइकी नाम का जहाज भी था. जनवरी में, रक्षा सचिव जॉन हेली ने सांसदों को बताया कि रॉयल नेवी ने यंतर नामक एक रूसी जासूसी जहाज पर निगरानी रखी थी, जब उसे ब्रिटेन के जलक्षेत्र में देखा गया था. उन्होंने आरोप लगाया कि इस जहाज का उपयोग खुफिया जानकारी जुटाने और ब्रिटेन के पानी के नीचे के बुनियादी ढांचे का नक्शा बनाने के लिए किया जा रहा था.

RUSSIA SUBMARINE
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रक्षा मंत्रालय ने कहा है कि इस तरह की गतिविधियों को अनदेखा नहीं किया जाएगा तथा ब्रिटेन की जल-जलीय परिसंपत्तियों की रक्षा करने का वादा किया है.

कहा जा रहा है कि रूस इन अभियानों को अंजाम देने के लिए रूस अपने गहरे समुद्र अनुसंधान प्रभाग का उपयोग कर रहा है, जिसे मुख्य गहरे समुद्र अनुसंधान निदेशालय (जीयूजीआई) के रूप में जाना जाता है.

जीयूजीआई अत्यधिक गहराई तक गोता लगाने वाली, परमाणु ऊर्जा से चलने वाली छोटी पनडुब्बियों का बेड़ा संचालित करता है, जिन्हें समुद्र के अंदर केबलों और अन्य बुनियादी ढांचे को टैप करने, काटने या नष्ट करने के लिए डिज़ाइन किया गया है.

ब्रिटेन में लगभग 60 इंटरनेट केबल हैं जो उसे विश्व के अन्य भागों से जोड़ती हैं, जिनमें से कुछ सुरक्षा कारणों से वर्गीकृत हैं.

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पिछले 15 महीनों में बाल्टिक सागर में कम से कम 11 पानी के नीचे की इंटरनेट केबल क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं, जिसमें से अक्सर जहाजों द्वारा लंगर खींचे जाने के कारण हुई है. ब्रिटेन के अधिकारियों को इस बात की चिंता बढ़ रही है कि ये घटनाएँ रूस द्वारा समन्वित तोड़फोड़ के प्रयास का हिस्सा हो सकती हैं.

इन खतरों के जवाब में ब्रिटेन सरकार निजी ऊर्जा और प्रौद्योगिकी कंपनियों के सहयोग से कैबोट नामक एक नई रक्षा परियोजना पर काम कर रही है. इसका लक्ष्य भविष्य के हमलों से महत्वपूर्ण समुद्री बुनियादी ढांचे की रक्षा करना है.  

रक्षा मंत्रालय का कहना है कि वह एआई जैसी नई प्रौद्योगिकियों का उपयोग करके ब्रिटेन की समुद्री सुरक्षा को बढ़ाने तथा नाटो और सहयोगी सेनाओं के साथ संयुक्त गश्त करने के लिए प्रतिबद्ध है.

ब्रिटेन को इस बात की चिंता है कि रूसी जहाज और विमान ब्रिटेन या नाटो क्षेत्र के पास गुप्त रूप से काम न कर सकें.

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