सुडान की सेना ने 2 साल से चल रहे भीषण गृहयुद्ध के बाद राष्ट्रपति भवन पर कब्जा किया

SUDAN

सुडान की सेना ने दो साल से चल रहे भीषण गृहयुद्ध के बाद राजधानी खार्तूम स्थित राष्ट्रपति भवन पर कब्जा कर लिया है. सूडानी सेना ने शुक्रवार को राष्ट्रपति भवन को पूरी तरह से अपने नियंत्रण में ले लिया, जिसके बाद राजधानी के कई इलाकों में गोलीबारी की आवाजें भी सुनाई दीं है.

पिछले दो सालों से सूडान में गृहयुद्ध की स्थिति बनी हुई है, जिसमें एक तरफ सूडान की सेना और दूसरी तरफ रैपिड सपोर्ट फोर्स (RSF) आमने-सामने हैं. दोनों पक्षों का उद्देश्य देश की सत्ता पर कब्जा करना है. राष्ट्रपति भवन पर सेना के कब्जे के बाद, अब सेना RSF के लड़ाकों की तलाश में महल के आसपास के इलाकों में तलाशी अभियान चला रही है.

इस युद्ध में अब तक हजारों नागरिकों की जान जा चुकी है और सूडान में गंभीर मानवीय संकट उत्पन्न हो गया है.

अप्रैल 2023 में सूडान में युद्ध शुरू होने के बाद RSF ने राष्ट्रपति भवन और राजधानी के कई हिस्सों पर अपना कब्जा कर लिया था. हालांकि, हाल के महीनों में सूडान की सेना ने अपना प्रभाव बढ़ाया और RSF को पीछे धकेलते हुए नील नदी के किनारे की ओर बढ़ने लगी है. RSF अभी भी राजधानी खार्तूम के कई इलाकों के साथ-साथ पड़ोसी ओमदुरमन और पश्चिमी सूडान पर अपना नियंत्रण बनाए हुए है.

ये संघर्ष सेना के कमांडर जनरल अब्देल-फतह बुरहान और पैरामिलिट्री फोर्स के प्रमुख जनरल मोहम्मद हमदान डगालो के बीच हो रहा है. जनरल बुरहान और जनरल डगालो, दोनों पहले साथ ही थे. मौजूदा संघर्ष की जड़ें अप्रैल 2019 से जुड़ी हैं.

उस समय सूडान के तत्कालीन राष्ट्रपति उमर अल-बशीर की सत्ता को उखाड़ फेंक दिया गया था. बशीर को सत्ता से बेदखल करने के बावजूद विद्रोह थमा नहीं. बाद में सेना और प्रदर्शनकारियों के बीच एक समझौता हुआ. समझौते के तहत एक सोवरेनिटी काउंसिल बनी और तय हुआ कि 2023 के आखिर तक चुनाव करवाए जाएंगे. उसी साल अबदल्ला हमडोक को प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया.

लेकिन इससे भी बात नहीं बनी. अक्टूबर 2021 में सेना ने तख्तापलट कर दिया. जनरल बुरहान काउंसिल के अध्यक्ष तो जनरल डगालो उपाध्यक्ष बन गए. जनरल बुरहान और जनरल डगालो कभी साथ ही थे, लेकिन अब दोनों एक-दूसरे के खिलाफ हो गए हैं. इसकी वजह दोनों के बीच मनमुटाव होना है. दोनों के बीच सूडान में चुनाव कराने को लेकर एकराय नहीं बन सकी. ये भी कहा जा रहा है कि सेना ने प्रस्ताव रखा था जिसके तहत आरएसएफ के 10 हजार जवानों को सेना में ही शामिल करने की बात थी. 

लेकिन फिर सवाल उठा कि सेना में पैरामिलिट्री फोर्स को मिलाने के बाद जो नई फोर्स बनेगी, उसका प्रमुख कौन बनेगा. इन सब मुद्दों को लेकर जनरल अब्देल-फतह बुरहान और पैरामिलिट्री फोर्स के प्रमुख जनरल मोहम्मद हमदान डगालो के बीच युद्ध शुरु हो गया.

बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, जनरल डगालो का कहना है कि 2021 का तख्तापलट एक गलती थी और वो खुद को जनता के साथ दिखाने की कोशिश कर रहे हैं. 

हालांकि, सूडान की पैरामिलिट्री फोर्स का ट्रैक रिकॉर्ड खराब रहा है. इसका गठन 2013 में हुआ था. लेकिन इस पर मानवाधिकारों के उल्लंघन के कई आरोप हैं, जिसमें जून  2019 का नरसंहार भी शामिल हैं. उस नरसंहार में 120 प्रदर्शनकारियों को मार डाला गया था. वहीं, जनरल बुरहान का कहना है कि वो सिर्फ चुनी हुई सरकार को ही सत्ता सौंपेंगे. इस लडाई के पीछे सबसे बड़ी वजह दोनों नेताओं का अपना-अपना प्रभाव भी है.

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