TU-160 व्हाइट स्वान बमबारी में अमेरिकी B-52 से भी सुपर, क्या भारत खरीदेगा यह रूसी विमान?

भारत अपनी सैन्य शक्ति में इजाफा करने के लिए रूस से टीयू-160 बमवर्षक विमान को खरीदने पर विचार कर रहा है. Tu-160 व्हाइट स्वान (सफेद हंस) के नाम से भी जाना जाता है. यह विमान रूसी न्यूक्लियर ट्रायड का हिस्सा है. यह विमान एक उड़ान में पूरी दुनि या का चक्कर लगा सकता है. यह बॉम्बर इतना खतरनाक है कि इसकी उड़ान पर अमेरिका खासतौर पर सैटेलाइटों की मदद से नजर रखता है. टीयू-160 को रूस ने सिर्फ भारत को ही इसे खरीदने का ऑफर दिया है.
Tupolev और कज़ान एयरक्राफ्ट प्रोडक्शन एसोसिएशन द्वारा निर्मित Tu-160 सुपरसोनिक रणनीतिक बमवर्षक (strategic bomber) और मिसाइल वाहक को परमाणु और पारंपरिक हथियार देने के लिए डिज़ाइन किया गया है. यह मुख्य रूप से रूसी वायु सेना द्वारा संचालित है और आठ प्रकारों में उपलब्ध है.
टीयू-160 विमान ने पहली बार दिसंबर 1981 में उड़ान भरी और अप्रैल 1987 में सेवा में प्रवेश किया. यह सभी मौसमों, दिन-रात की परिस्थितियों में काम कर सकता है साथ ही यह सभी भौगोलिक अक्षांशों पर काम कर सकता है.
यह विमान 40t तक फ्री-फॉल बम ले जा सकता है और इसमें दो हथियार बे (Bays) हैं, जो 12 Kh-55MS मिसाइल और 24 Kh-15P कम दूरी की परमाणु मिसाइल रख सकते हैं. इसमें इन-फ्लाइट ईंधन भरने की प्रणाली है और यह चार कुज़नेत्सोव NK-32 टर्बोफैन इंजन (Kuznetsov NK-32 turbofan engines) द्वारा संचालित है.
TU-160 ब्लैक जैक बॉम्बर की खासियतें
टीयू 160 ब्लैक जैक बॉम्बर को व्हाइट स्वान (White Swan) भी कहा जाता है. यह एक सुपरसोनिक वैरिएबल स्वीप विंग हैवी स्ट्रैटेजिक बॉम्बर है. टीयू-160 ब्लैक जैक बॉम्बर 40,026 फीट की ऊंचाई पर अधिकतम 2220 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से उड़ सकता है. यह एक बार में 12,300 किलोमीटर तक की ऊड़ान भर सकता है. लेकिन इसे 960 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से उड़ाया जाता है.
यह विमान 177.6 फीट लंबा है. इसका विंगस्पैन 182.9 फीट हैं, ऊंचाई 43 फीट है. खाली एयरक्राफ्ट का वजन 1.10 लाख किलोग्राम है. टेकऑफ के समय अधिकतम वजन 2.75 लाख किलोग्राम तक पहुंच जाता है. टीयू-160 ब्लैक जैक बॉम्बर को चार लोग मिलकर उड़ाते हैं. इसमें एक पायलट, एक को-पायलट, एक बमबॉर्डियर और चौथा डिफेंसिव सिस्टम ऑफिसर होते हैं.
इसकी कॉम्बैट रेंज 2000 किलोमीटर
युद्ध के समय इसकी कॉम्बैट रेंज 2000 किलोमीटर होती है, जिसे सबसोनिक गति में बढ़ाकर 7300 किलोमीटर किया जा सकता है. यह अधिकतम 52 हजार फीट की ऊंचाई तक उड़ सकता है. आसमान में ऊपर चढ़ने की इसकी गति 14 हजार फीट प्रति मिनट है.
रूस ने टीयू-160 को दोबारा क्यों तैनात किया
रूस ने साल 1995 में टीयू-160 बमवर्षक को एक्टिव ड्यूटी से हटा दिया था. उस समय कारण बताया गया था कि इस बमवर्षक की परिचालन लागत काफी ज्यादा है, जिसे रूस विघटन के बाद के हालात के कारण वहन नहीं कर सकता है. 17 अगस्त 2007 को, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने 1991 में बंद की गई रणनीतिक विमानन उड़ानों को फिर से शुरू करने की घोषणा की. 2015 में रूसी स्ट्रैटजिक बॉम्बर्स की घटती फ्लीट को देखते हुए टीयू-160 को अपग्रेड कर दोबारा सर्विस में शामिल कर लिया गया.
यूक्रेन युद्ध के बीच रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने सबसे घातक और आधुनिक सुपरसोनिक परमाणु बॉम्बर Tu-160 में उड़ान भरकर दुनिया खासकर पश्चिमी देशों को बड़ा संदेश दिया है.
भारत को क्यों है बमवर्षक की जरूरत
भारत लंबे समय से बमवर्षक विमान की तलाश कर रहा है, इसका प्रमुख कारण एक साथ दो मोर्चों पर तनातनी है. भारत का चीन और पाकिस्तान के साथ सीमा विवाद है और ये दोनों देश आपस में मित्र हैं. ऐसे में भारत एक ऐसा बमवर्षक ढूंढ रहा है, जो एक ही उड़ान में लंबी दूरी तक पहुंचकर बम गिरा सके और उसकी मेंटीनेंस और ऑपरेटिंग कॉस्ट भी कम हो. रूसी टीयू-160 इन सभी पैमानों पर खरा उतरता है.
डिफेंस एक्सपर्ट ऐसा मानते हैं कि दो देशों के बीच युद्ध में यह विमान बड़ी भूमिका निभा सकता है. अगर भारत Tu-160 बॉम्बर विमान खरीदता है तो इससे चीन पाकिस्तान की मुश्किलें बढ़ना तय हैं. यह विमान चीन और पाकिस्तान के समुद्री पोतों को मिनटों में तबाह कर सकता है और सीमा में घुसकर मारने में सक्षम है. यदि ये विमान भारत के बड़े में शामिल हो जाता है तो भारत की डिफेंस लाइन और मजबूत हो जाएगी.