China ने साल 2025 में Defence Budget 7.2% बढ़ाया

China ने साल 2025 में Defence Budget 7.2% बढ़ाया

शांति और संप्रभुता के लिए ताकत जरूरी है, यह बात चीन ने भारत से पहले समझ लिया था. जबकि भारत को यह बात समझने में कई दशक लग गए. यही कारण है कि नेशनल पीपुल्स कांग्रेस (NPC) यानी चीन की संसद के वार्षिक सत्र में जब चीन की सरकार ने चीन की रक्षा BUDGET पेश की तो वह भारत की रक्षा बजट से कई गुणा अधिक था.

5 मार्च को चीन के प्रधान मंत्री ली कियांग ने घोषणा की कि चीन इस साल रक्षा पर अपने खर्च को फिर से 7.2% बढ़ा देगा. प्रधानमंत्री ली कियांग द्वारा चीन की संसद में जो BUDGET पेश की गई है वह 1.784665 ट्रिलियन युआन (लगभग 246 बिलियन अमरीकी डॉलर) है.

चीन के पास अमेरिका के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा सैन्य बजट है. अमेरिका का डिफेंट बजट  2025 में 850 अरब डॉलर है.चीन का रक्षा बजट अभी भी वाशिंगटन के एक तिहाई से भी कम है. वहीं चीन का रक्षा खर्च भारत के 681,210 करोड़ रुपये (78.8 बिलियन अमरीकी डॉलर) से तीन गुना है.

2016 से चीन की वार्षिक रक्षा खर्च लगातार नौ वर्षों तक singal digit में है. वहीं जीडीपी लिहाज से देखें तो चीन का रक्षा व्यय पिछले कई वर्षों से 1.5-1.75 प्रतिशत के बीच रखा गया है. जबकि भारत का 2025 का रक्षा बजट जीडीपी का 1.91 फीसदी था. लेकिन दोनों देशों के कुल जीडीपी में बहुत अंतर है. जिसकी वजह से यह आंकड़ा बढ़ा हुआ है.

YearBillions of US $% of GDP
2022$291.96B1.60%
2021$285.93B1.61%
2020$257.97B1.76%
2019$240.33B1.68%
2018$232.53B1.67%
2017$210.44B1.71%
2016$198.54B1.77%
2015$196.54B1.78%
2014$182.11B1.74%

हालांकि चीन पर डिफेंस बजट को लेकर झूठ बोलने का भी आरोप लगता रहा है. चीन पर आरोप लगता रहा है कि चीन का डिफेंस बजट सिर्फ दुनिया को दिखाने के होता है. क्योंकि इसके अलावा भी चीन अलग-अलग प्रोजेक्ट्स के जरिए अपने डिफेंस सेक्टर पर खर्च करता है. चीन नहीं चाहता है कि दुनिया उसके उपर सैन्य आक्रामकता का आरोप लगाए.

विश्व में बदलती हुई राजनीति में सैन्य शक्ति को मजबूत करना हर देश के लिए जरुरी है. चीन इस बात को अच्छी तरीके से जानता है. तभी चीन के सभी नेताओं ने अपनी देश की सेनाओं को मजबूत करने का हरसंभव प्रयास किया. उन्होंने स्वेदशी और आत्मनिर्भरता की तरफ रुख किया. इस मामले में भारत चीन का अनुकरण नही कर पाया. हालांकि पिछले कुछ सालों में भारत ने मजबूती से इस तरफ कदम बढ़ाए हैं. जिसका असर भी दिखना शुरु हो गया है.

चीन रणनीतिक रुप से अमेरिका से प्रतिस्पर्धा कर रहा है. चीन पिछले कई सालों से अपने सशस्त्र बलों के लिए बेतहाशा खर्च करता आया है. पीएलए नेवी पहले ही युद्धपोतों के निर्माण के मामले में अमेरिका को पीछे छोड़ चुकी है और अब चीन की नजर थल सेना और वायुसेना को भी अत्यधिक ताकवर बनाने की है.  

चीन का भारत समेत कई देशों से हैं सीमा विवाद

चीन का अपने कई पड़ोसी देशों से साथ गंभीर सीमा विवाद है. भारत के साथ सीमा विवाद को लेकर हिंसक झड़पें हो चुकी है. इसके अलावा फिलिपिंस के सैनिक और चीनी सैनिकों के बीच कई बार झड़पे हो चुकी है. इसके अलावा जापान के साथ भी चीन का छत्तीस का आंकड़ा रहता है. दोनों देशों के बीच सेनकाकू द्वीप को लेकर विवाद है. चीन दक्षिण चीन सागर में फिलीपींस, इंडोनेशिया, ब्रूनेई और मलेशिया जैसे देशों के अधिकार को सिरे से खारिज करता है. चीन का दावा है कि दक्षिण चीन सागर पर सिर्फ और सिर्फ उसका अधिकार है. उसने अपने अधिकार को और मजबूत करने के लिए कई आर्टिफिशियल द्वीपों के निर्माण करवाए हैं, जिनका इस्तेमाल वो युद्ध के दौरान बतौर सैन्य प्लेटफॉर्म की तरह कर सकता है.

ताइवान को लेकर चीन का अमेरिका और पश्चिमी देशों से तकरार रहता है. चीन ताइवान को अपना अंग मानता है और किसी भी कीमत पर वो ताइवान को चीन में मिलाने की बात करता है. जबकि अमेरिका ताइवान को सुरक्षा का आश्वासन देता है. इसके अलावा अमेरिका लगातार ताइवान को एक से बढ़कर एक हथियार दे रहा है. जिसे चीन पसंद नहीं करता है. इस कारण से वह लगातार ताइवान के खिलाफ आक्रामक शक्ति प्रदर्शन करता रहता है. अमेरिका के इस कदम को चीन आंतरिक हस्तक्षेप मानता है. इसी को ध्यान में रखते हुए चीन अपनी सेना को अमेरिका से शक्तिशाली बनाना चाहता है. अमेरिका को हर मोर्चे पर चीन चुनौती देना चाहता है.   

वहीं बात भारत की करें तो केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार 1 फरवरी 2025 को भारत के रक्षा क्षेत्र के लिए 6,81,210 करोड़ रुपये आवंटित किए गए है. रक्षा बजट कुल बजट का 13.44 फीसदी है.

years Budget( in crore) Party
2013203,672congress
2014229,000Bjp
2015246,727Bjp
2016249,099Bjp
2017262,389Bjp
201829 5,511Bjp
2019318,931Bjp
2020337,553Bjp
2021478,196Bjp
2022525,100Bjp
2023593,500Bjp

रक्षा बजट अगर GDP के परसेंटेज के हिसाब से देखें तो 2014 में GDP का 2.5% हिस्सा रक्षा क्षेत्र के लिए आवंटित किया गया था. जबकि 2024 में रक्षा बजट GDP के 2% हिस्से से भी कम 1.9% रहा. मतलब GDP के हिस्से के तौर पर रक्षा बजट में कमी आई है. वैसे बता दें 1988 में भारत GDP का 3.7% तक रक्षा पर खर्च कर रहा था. लेकिन इकोनॉमिक रिफॉर्म्स-1991 के बाद रक्षा बजट को 2-3% के तय वैश्विक पैमाने से मिलाने की कोशिश की गई. इस बीच भारत की अर्थव्यवस्था ने भी तेजी से विकास किया, जिसके चलते कम परसेंटेज के बावजूद जरूरत का पैसा आवंटित हो पाया.

जैसा की मैंने पहले ही कहा है कि चीन के नेताओं ने शुरु से ही आत्मनिर्भरता की तरफ ध्यान दिया है. इस मामले में उनका डिफेंस सेक्टर काफी आगे है. जबकि भारत के नेताओं में दूरदर्शिता की कमी साफ देखी गई. जिस वजह भारतीय डिफेंस सेक्टर अपने पैरों पर खड़ी नहीं हो सकी है. हालांकि कोशिश जारी है. अभी तक भारतीय वायुसेना विमानों की कमी से जुझ रही है. वायु सेनाध्यक्ष सार्वजनिक तौर पर अपनी नाराजगी जता चुके हैं.

हालांकि नरेन्द्र मोदी सरकार आत्मनिर्भर भारत को बढ़ावा दे रही है. इसके लिए जरुरी माहौल तैयार हो रहा है, जिससे देश के अंदर डिफेंस सेक्टर को मजबूती मिले. रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, पीएम नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत विजन के तहत देश का घरेलू रक्षा उत्पादन 1.27 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया है. पिछले 10 सालों में इसमें 174 फीसदी की वृद्धि हुई है. मंत्रालय ने कहा कि मेक इन इंडिया पहल और नीति सुधारों के माध्यम से सरकार ने घरेलू उत्पादन को बढ़ावा दिया है. वहीं विदेशी खरीद पर निर्भरता कम की है.

मंत्रालय ने कहा कि भारत चालू वित्त वर्ष में रक्षा उत्पादन में 1.75 लाख करोड़ रुपये का लक्ष्य हासिल करने की राह पर है. वित्त वर्ष 2014-15 के मुकाबले वित्त वर्ष 2023-24 में रक्षा निर्यात 21,083 करोड़ रुपये रहा. वर्ष 2022-23 की तुलना में रक्षा निर्यात में 32.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. 2004 से 2014 तक देश का रक्षा निर्यात 4,312 करोड़ रुपये का था. मगर पिछले 10 साल में इसमें 21 गुना की वृद्धि दर्ज की गई है. 2014 से 2024 तक रक्षा निर्यात 88,319 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है.

इन सबके बावजूद भारत को चीन के मुकाबले अपनी सेना और संसाधन को मजबूत बनाने के लिए बजट और रिसर्च पर ज्यादा खर्च करना होगा.

चीन की आक्रामक सैन्या नीति भारत समेत उसके पड़ोसी देशों को चिंता में डाल रहा है. इसके लिए खुद को मजबूत बनाना ही एक मात्र लक्ष्य होना चाहिए.. अमेरिका या बाकि यूरोपीय देशों से उम्मीद करना बेमानी होगी.

https://indeepth.com/2025/02/donald-trump-%e0%a4%95%e0%a5%87-%e0%a4%ab%e0%a5%88%e0%a4%b8%e0%a4%b2%e0%a5%87-%e0%a4%95%e0%a5%87-%e0%a4%ac%e0%a4%be%e0%a4%a6-%e0%a4%95%e0%a5%8d%e0%a4%af%e0%a4%be-%e0%a4%97%e0%a4%bc%e0%a4%9c%e0%a4%bc/