तेजस लड़ाकू विमान में देरी को लेकर क्यों खफा है एयर मार्शल? दुनिया की सबसे खतरनाक लड़ाकू विमानों में से एक है ‘तेजस’

TEJAS
भारत जहां अभी तक तेजस लड़ाकू विमान का इंतजार ही कर रहा है; वहीं चीन 6TH जेनरेशन के लड़ाकू विमानों का परीक्षण कर रहा है. भारत के पास अभी तक पांचवी पीढ़ी तक का विमान नहीं है. ऐसे में भारत के वायुसेना प्रमुख की चिंता वाजिब है.

वायुसेना प्रमुख अमरप्रीत सिंह ने कहा है कि रक्षा क्षेत्र में समय बेहद अहम होता है और अगर समय सीमा का ख्याल न रखा जाए तो तकनीक का फिर कोई उपयोग नहीं होता. भारतीय वायुसेना के पास लड़ाकू विमानों की संख्या कम है. दूसरी तरफ तेजस लड़ाकू विमानों की आपूर्ति में देरी हो रही है.

तेजस लड़ाकू विमान में देरी को लेकर एयर मार्शल खफा है? तो आज हम इस खबर में जानेंगे आखिर क्यों तेजस की इतनी चर्चा हो रही है, क्या हैं इसकी खासियत.. तो जानिए सबकुछ A TO Z… 

तेजस सुपरसोनिक लड़ाकू विमानों की कैटेगरी में सबसे छोटा और हल्का विमान है. इसमें हवा में ईंधन भरने की क्षमता है.  तेजस को तैयार करने के पीछे भारत सरकार की मंशा थी कि साल 1964 में भारतीय वायु सेना में शामिल हुए मिग-21 को इस हल्के लड़ाकू विमान से बदला जाए.

साल 1983 में भारत सरकार यह पता लगाने के लिए कि क्या भारत स्वदेशी विमान बना और विकसित कर सकता है या नहीं, इसको लेकर एक टीम एयरोनॉटिकल डिजाइन एजेंसी (ADA) गठित की. डॉ. कोटा हरिनारायण को उस समूह का नेतृत्व करने का मौका मिला. तेजस प्रोटोटाइप के पूर्ण पैमाने पर डिजाइन और विकास के लिए अंतिम कैबिनेट की मंजूरी 1993 में दी गई थी.

लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट प्रोजेक्ट के तहत साल 1983 में तेजस का निर्माण शुरू हुआ था. विंग कमांडर राजीव कोठियाल ने 4 जनवरी 2001 को 18 मिनट की छोटी उड़ान के लिए आसमान में उड़ान भरी. इस तरह 4 जनवरी 2021 को पहली बार तेजस ने उड़ान भरी थी.

पूर्व पीएम अटल बिहारी बाजपेयी ने दिया ‘तेजस’ नाम

साल 2003 में प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने इसे तेजस नाम दिया था. तेजस को एयरोनॉटिकल डिजाइन एजेंसी (ADA) ने डिजाइन किया और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) ने इसे एयरफोर्स और नेवी के लिए बनाया.

18 मार्च 2016 को राजस्थान के थार रेगिस्तान के पोखरण में आयोजित भारतीय वायुसेना का आयरन फिस्ट अभ्यास था, जहां तेजस ने आधुनिक विमानों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर अमेरिकी और रूसी मूल की मिसाइलें दागीं.

साल 2016 में तत्कालीन एयर चीफ मार्शल अरूप राहा ने 17 मई 2016 को दो सीटों वाले एलसीए ट्रेनर में उड़ान भरी. राहा ने कहा कि यह उड़ान भरने के लिए एक अच्छा विमान है और इसे भारतीय वायुसेना के बेड़े में शामिल किया जाना चाहिए.

भारतीय वायुसेना ने एक जुलाई, 2016 को पहली तेजस यूनिट का निर्माण करके विमान को सेवा में शामिल किया था. तेजस को सबसे पहले वायुसेना के स्क्वाड्रन नंबर 45 ‘फ्लाइंग डैगर्सने शामिल किया था. यह गठन तमिलनाडु के वायु सेना स्टेशन, सुलूर में किया गया.

26 जनवरी 2017 को गणतंत्र दिवस परेड में तेजस को शामिल किया गया. यह तत्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ही थे जिन्होंने न केवल इस अभ्यास को मंजूरी दी बल्कि उस अवसर पर अपनी ताकत दिखाने पर भी जोर दिया.

तेजस ने दुबई एयर शो, सिंगापुर एयर शो, एयरो इंडिया शो सहित विभिन्न अंतरराष्ट्रीय आयोजनों में भाग लिया है. जहा दुनिया ने तेजस की ताकत दिखाई देखीं.

अब जानते है कितना पावरफुल है तेजस

फाइटर जेट तेजस में कई अहम खासियत हैं. तेजस में डिजिटल फ्लाई बाय वायर फ्लाइट कंट्रोल कंप्यूटर (DFCC) लगाया गया है. इसका मतलब है कि ये कंप्यूटर विमान को उड़ाते समय पायलट के मुताबिक संतुलित रखता है. तेजस ध्वनि की गति यानी मैक 1.6 से लेकर 1.8 तक की तेजी से उड़ान भरने में सक्षम है. 52 हजार फ़ीट की ऊंचाई तक उड़ान भर सकता है. एक बार टेकऑफ करने के बाद 3000 किलोमीटर की दूरी तक उड़ान भर सकता है. सभी हथियारों के साथ इसका वजन 13500 किलोग्राम है.

तेजस में कुल मिलाकर 9 हार्ड प्वाइंट्स हैं. इसके अलावा 23 मिलिमीटर की ट्विन-बैरल कैनन लगी है. तेजस हवा से हवा में और हवा से जमीन पर मिसाइल दाग सकता है. ये 6 तरह की हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलों से लैस हो सकता है. इसमें डर्बी, पाइथन-5, आर-73, अस्त्र, ASRAAM और METEOR मिसाइल का इस्तेमाल हो सकता है. इसके अलावा हवा से जमीन पर मार करने वाली मिसाइल ब्रह्मोस-एनजी और ब्रह्मोस-एनजी एंटी शिप मिसाइल भी इसकी ताकत को बढ़ा देती है. इस पर लेजर गाइडेड बमइड बम और क्लस्टर वेपन भी लगाए जा सकते हैं.

यह विमान इलेक्ट्रानिक रडार, दृश्य सीमा से परे (BVR) मिसाइल, इलेक्ट्रानिक वारफेयर (EW) सूट और हवा से हवा में ईंधन भरने (AAR) की महत्वपूर्ण परिचालन क्षमताओं से लैस है. 6,500 किलोग्राम के इस हल्के लड़ाकू विमान में इजरायल का ईएल/एम-2052 रडार लगाया गया है. सबसे बड़ी खासियत यह है कि ये विमान एक साथ 10 टारगेट को ट्रैक करते हुए हमला कर सकता है. इसे टेकऑफ के लिए ज्यादा बड़े रनवे की जरूरत नहीं होती है.

यदि विमान के उन्नत संस्करण, तेजस एमके-1ए की बात करें तो इसमें उन्नत मिशन कंप्यूटर, उच्च प्रदर्शन क्षमता वाला डिजिटल फ्लाइट कंट्रोल कंप्यूटर (DFCC Mk-1A), स्मार्ट मल्टी -फंक्शन डिस्प्ले (SMFD), एडवांस्ड इलेक्ट्रॉनिकली स्कैन्ड ऐरे (AESA) रडार, एडवांस्ड सेल्फ-प्रोटेक्शन जैमर, इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सूट आदि सुविधाएं हैं.   यह फाइटर जेट वैसे तो तेजस एमके-1 की तरह ही है, इसमें कुछ चीजें बदली गई हैं. जैसे इसमें अत्याधुनिक इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सूईट, उत्तम एईएसए राडार,   सेल्फ प्रोटेक्शन जैमर, राडार वॉर्निंग रिसीवर लगा है. इसके अलावा इसमें बाहर से ECM पॉड भी लगा सकते हैं. 

मार्क-1A पिछले वैरिएंट से थोड़ा हल्का है. लेकिन यह आकार में उतना ही बड़ा है. इसकी लंबाई 43.4 फीट और ऊंचाई 14.5 फीट है. यह अधिकतम 2200 km/hr की स्पीड से उड़ान भर सकता है. इसकी कॉम्बैट रेंज 739 किलोमीटर है. वैसे इसका फेरी रेंज 3000 किलोमीटर है. यह विमान अधिकतम 50 हजार फीट की ऊंचाई तक जा सकता है. इसमें कुल मिलाकर 9 हार्ड प्वाइंट्स हैं. इसके अलावा 23 मिलिमीटर की ट्विन-बैरल कैनन लगी है. हार्डप्वाइंट्स में 9 अलग-अलग रॉकेट्स, मिसाइलें, बम लगा सकते हैं. या फिर इनका मिश्रण कर सकते हैं.

अब बात करते है कि आखिर तेजस की डिलीवरी में क्यों हो रही है देरी

भारतीय वायु सेना ने हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड को बड़े पैमाने पर तेजस लड़ाकू विमानों का ऑर्डर दिया था. रक्षा मंत्रालय ने वर्ष 2021 में एचएएल के साथ 83 तेजस मार्क-1ए विमानों की खरीद के लिए 48000 करोड़ रुपये का सौदा किया था.

इसके बाद एचएएल ने उसी वर्ष 2021 में 99 विमानों के लिए एफ-404 इंजन की खरीद के लिए जीई के साथ करार किया. GE ने इंजनों की आपूर्ति मार्च 2023 में शुरू करने की बात कही थी. लेकिन अब तक ये समय पर डिलीवरी नहीं हो पाए हैं.

जेनरल मोटर्स इंजन देने में लगा रहा अड़ंगा

जेनरल मोटर्स इंजन देने में अड़ंगा लगा रहा है. इसके लिए वह इंजन के लिए जरूरी कल पूर्जा में देरी की बात कह रहा है, जो उसे दक्षिण कोरिया की कंपनी से मिलता है. इससे भारतीय वायु सेना को नई रणनीति अपनानी पड़ी है. इस देरी के कारण भारतीय वायु सेना को पुराने रिजर्व इंजनों के साथ परीक्षण जारी रखना पड़ा है. इससे न केवल लड़ाकू क्षमता पर प्रभाव पड़ा है, बल्कि सैन्य तैयारियों में भी देरी हो रही है.

एचएएल ने भारतीय वायुसेना की बढ़ती जरूरतों को पूरा करने के लिए एलसीए एमके-1ए के लिए नासिक में एक नई उत्पादन लाइन स्थापित की है. बेंगलुरु में हर साल 16 एलसीए एमके-1ए का निर्माण कर सकती है और नासिक लाइन से उसे 24 जेट विमानों का उत्पादन बढ़ाने में मदद मिलेगी.

तेजस मार्क 1A में 65 प्रतिशत कलपूर्जे स्वदेश निर्मित हैं, जबकि तेजस मार्क 1 में यह आंकड़ा 58 फीसदी है. 

दुनिया की चौथी सबसे बड़ी वायुसेना है भारत के पास

दुनिया की चौथी सबसे बड़ी वायु सेना भारतीय वायुसेना को लगभग 350 एलसीए (एमके-1, एमके-1ए और भविष्य के एमके-2) संचालित करने की उम्मीद है, जिनमें से एक तिहाई का ऑर्डर पहले ही दिया जा चुका है और कुछ को शामिल भी किया गया है. वायु सेना के आधुनिकीकरण का रोडमैप और आने वाले वर्षों में अनुबंधित होने की उम्मीद है.

तेजस में दुनिया की दिलचस्पी

भारत के फाइटर जेट तेजस में दुनिया के कई देश दिलचस्पी दिखा रहे हैं. अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, नाइजीरिया, अर्जेंटीना, इंडोनेशिया, फिलीपींस समेत कई देश तेजस मार्क वन को खरीदने में रूचि दिखा चुके हैं. कुछ देशों के साथ भारत का करार भी हो चुका है. जिसे तेजस के लिए एक बड़ी उपलब्धी कहा जासकता है.

लेकिन देरी की वजह से यह अपनी प्रासंगिकता खो सकता है. वायुसेना प्रमुख अमरप्रीत सिंह ने ठीक ही कहा है कि रक्षा क्षेत्र में समय बेहद अहम होता है और अगर समय सीमा का ख्याल न रखा जाए तो तकनीक का फिर कोई उपयोग नहीं होता है.

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