HAL को मिला तीसरा GE-404 इंजन, तेजस Mk1A की डिलीवरी का रास्ता साफ़

HAL Receives Third GE-404 Engine, Speeds Up Tejas Mk1A Delivery Preparations

भारत के स्वदेशी लड़ाकू विमान कार्यक्रम में एक और बड़ी प्रगति दर्ज हुई है. हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) को अमेरिका निर्मित तीसरा GE-404 इंजन प्राप्त हो गया है. यह इंजन हल्के लड़ाकू विमान तेजस Mk1A में लगाया जाएगा. चौथे इंजन की डिलीवरी भी इस महीने (सितंबर 2025) के अंत तक होने वाली है.

तेजस के लिए क्यों अहम है यह इंजन?

तेजस Mk1A का एयरफ्रेम और अधिकांश तकनीक भारत में विकसित है, लेकिन इसकी शक्ति का मूल स्रोत GE-404 इंजन है. सप्लाई चेन में आई दिक्कतों के चलते इस इंजन की डिलीवरी में देरी हो रही थी, जिससे विमान निर्माण की गति प्रभावित हुई. अब जैसे-जैसे इंजन समय पर मिलने लगे हैं, HAL की उत्पादन क्षमता और भारतीय वायुसेना को विमान सौंपने की प्रक्रिया तेज होगी.

डिलीवरी का अगला चरण

HAL को अब तक तीन इंजन मिल चुके हैं. चौथा इंजन सितंबर के अंत तक भारत पहुंच जाएगा.

HAL का लक्ष्य है कि अक्टूबर-नवंबर 2025 से वायुसेना को पहले बैच के तेजस Mk1A सौंप दिए जाएं. इस वित्तीय वर्ष में भारत को कुल 12 GE-404 इंजन मिलने की उम्मीद है.

भारतीय वायुसेना को मिलने वाला ताकत

HAL Receives Third GE-404 Engine, Speeds Up Tejas Mk1A Delivery Preparations

तेजस Mk1A, मौजूदा Mk1 वर्ज़न से कहीं ज़्यादा उन्नत है. इसमें बेहतर एवियोनिक्स, इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सिस्टम, हवा से हवा में मार करने वाली लंबी दूरी की मिसाइल क्षमता और अत्याधुनिक रडार लगे हैं. इंजन उपलब्ध होते ही HAL इन विमानों का उत्पादन तेज़ करेगा, जिससे आने वाले वर्षों में भारतीय वायुसेना की ताक़त और बढ़ेगी.

बड़ी तस्वीर

उत्पादन में रफ़्तार – इंजन सप्लाई सामान्य होते ही HAL तय समय पर विमानों की डिलीवरी कर सकेगा.

रणनीतिक संतुलन – पाकिस्तान और चीन के साथ बढ़ते तनाव के बीच भारतीय वायुसेना को नई तकनीक से लैस लड़ाकू विमानों की ज़रूरत है.

आत्मनिर्भरता की ओर कदम – एयरफ्रेम और तकनीकी प्रणालियों का स्वदेशीकरण भारत को रक्षा क्षेत्र में मज़बूती देता है.

HAL को तीसरा GE-404 इंजन मिलना सिर्फ़ एक तकनीकी डिलीवरी नहीं, बल्कि भारतीय वायुसेना की भविष्य की तैयारी का संकेत है. जैसे ही चौथा इंजन भी सितंबर में मिल जाएगा, तेजस Mk1A की डिलीवरी का रास्ता लगभग साफ़ हो जाएगा. इससे भारत को एक मजबूत और आत्मनिर्भर हवाई शक्ति हासिल करने में मदद मिलेगी.

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