पेरिस से लेकर पूरे France तक प्रदर्शन: लेकोर्नू की ताजपोशी के साथ ही गहराया संकट

France इन दिनों दोहरी चुनौतियों से जूझ रहा है— एक तरफ राजनीतिक अस्थिरता और दूसरी तरफ सड़कों पर भड़का असंतोष. राष्ट्रपति एमैन्युएल मैक्रों ने अचानक प्रधानमंत्री फ्रांस्वा बयारू का इस्तीफ़ा स्वीकार करते हुए रक्षा मंत्री सेबस्टियन लेकॉर्नू को नया प्रधानमंत्री नियुक्त किया. लेकिन जिस दिन लेकोर्नू ने पद संभाला, उसी दिन राजधानी पेरिस से लेकर कई शहरों तक “ब्लॉक एवरीथिंग” (Block Everything) नामक आंदोलन ने सरकार को सख्त चुनौती दी.
France में ‘ब्लॉक एवरीथिंग’ आंदोलन क्या है?
यह कोई औपचारिक संगठन नहीं, बल्कि सोशल मीडिया से निकला एक असंगठित जन आंदोलन है. इसका मकसद है सरकार की कठोर बजट नीतियों, पेंशन सुधार और सामाजिक सुविधाओं में कटौती का विरोध. प्रदर्शनकारियों का संदेश साफ है—अगर सरकार हमारी आवाज़ नहीं सुनेगी तो हम पूरे देश को रोक देंगे.
आज के प्रदर्शन की स्थिति
आंदोलन की कॉल पर पेरिस, टूलूस, मॉन्टपेलिए, नांतेस और अन्य शहरों में सड़क जाम, बस-रेल सेवाओं में बाधा और आगजनी की घटनाएँ हुईं.
सरकार ने हालात काबू में रखने के लिए 80,000 सुरक्षाकर्मी तैनात किए, जिनमें से 6,000 पुलिसकर्मी सिर्फ पेरिस में मौजूद थे. अब तक 75 से अधिक लोगों की गिरफ्तारी हुई है. कई जगहों पर प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़प भी दर्ज की गई.
France में राजनीतिक संकट गहराया
बयारू का प्रस्तावित बजट पहले ही संसद में गिर चुका था, जिसके चलते उन्हें इस्तीफ़ा देना पड़ा. यह मैक्रों के कार्यकाल में महज़ एक साल के भीतर तीसरे प्रधानमंत्री का बदलाव है. लगातार बदलते नेतृत्व और कमजोर बहुमत के चलते संसद की स्थिरता पर सवाल उठ रहे हैं.
नए प्रधानमंत्री लेकोर्नू की चुनौती
सेबस्टियन लेकोर्नू अब एक ऐसे समय में पद पर आए हैं जब संसद में गठबंधन बेहद नाज़ुक है. विपक्ष जनता के गुस्से को हवा दे रहा है और “ब्लॉक एवरीथिंग” जैसे स्वतःस्फूर्त आंदोलन सड़कों पर सरकार के खिलाफ माहौल बना रहे हैं. उनके सामने सबसे बड़ी परीक्षा होगी जनता का भरोसा वापस पाना और बजट पारित कराना.
फ़्रांस आज एक चौराहे पर खड़ा है—राजनीतिक अस्थिरता और सामाजिक असंतोष का संगम. नए प्रधानमंत्री लेकोर्नू को न सिर्फ संसद में समीकरण साधने होंगे बल्कि सड़कों पर उतरे आम लोगों के भरोसे को भी जीतना होगा. अगर यह असंतोष गहराता गया तो “ब्लॉक एवरीथिंग” आंदोलन सरकार के लिए भविष्य का सबसे बड़ा सिरदर्द साबित हो सकता है.
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