पाकिस्तान के Nur Khan एयरबेस से अमेरिकी C-17 Globemaster का टेक-ऑफ, क्या है गुप्त रणनीति?

पाकिस्तान के रावलपिंडी स्थित Nur Khan एयरबेस से अमेरिकी वायुसेना का C-17 Globemaster III अचानक टेक-ऑफ करता हुआ देखा गया. यह वही एयरबेस है जो हाल ही में भारत की ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान निशाने पर आया था. अमेरिकी सैन्य परिवहन विमान की मौजूदगी और गतिविधि ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं कि आखिर पाकिस्तान और अमेरिका के बीच पर्दे के पीछे क्या चल रहा है.
U.S. Embassy Islamabad ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर दी जानकारी

U.S. Embassy Islamabad ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर कहा, विनाशकारी बाढ़ से निपटने के लिए पाकिस्तानी सेना के अनुरोध पर अमेरिकी सैन्य विमानों ने आवश्यक राहत सामग्री पहुँचाई गई है. इस दौरान नूर खान एयरबेस पर अमेरिकी दूतावास की चार्ज डी’अफेयर्स (CDA) बेकर ने पाकिस्तान के लोगों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त की, जिनका जीवन इस व्यापक और भीषण बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित हुआ है.
हालांकि अमेरिका के कथनी और करनी में साफ अंतर पता चल रहा है.
Nur Khan एयरबेस क्यों है खास?

यह एयरबेस पाकिस्तान वायुसेना की एयर मोबिलिटी का प्रमुख केंद्र है. यहां C-130 ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट और एयरबोर्न सर्विलांस सिस्टम्स जैसी अहम सैन्य क्षमताएं मौजूद हैं.
एयरबेस की नजदीकी में पाकिस्तान का Strategic Plans Division (SPD) भी है, जो अनुमानित 170 परमाणु हथियारों की सुरक्षा और नियंत्रण संभालता है. ऐसे में अमेरिकी C-17 की मौजूदगी ने सुरक्षा और संप्रभुता पर गंभीर बहस छेड़ दी है.
C-17 Globemaster क्या है?

अमेरिकी वायुसेना का यह हैवी-लिफ्ट ट्रांसपोर्ट विमान है. यह सैनिकों, सैन्य वाहनों, टैंकों और भारी हथियारों को लंबी दूरी तक ले जाने की क्षमता रखता है. आपातकालीन हालात में यह ह्यूमैनिटेरियन मिशन और खास ऑपरेशनों में भी तैनात किया जाता है.
पाकिस्तान में इसकी मौजूदगी यह संकेत देती है कि कोई विशेष लॉजिस्टिक या स्ट्रेटेजिक ऑपरेशन चल रहा था.
क्यों उठ रहे हैं सवाल?
पारदर्शिता की कमी – पाकिस्तानी अधिकारियों ने इस उड़ान या अमेरिकी विमान की मौजूदगी पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है.
रणनीतिक निकटता – Nur Khan एयरबेस का SPD मुख्यालय के पास होना अमेरिकी गतिविधियों को और संदिग्ध बनाता है.
भारत का संदर्भ – भारत-पाक हालिया तनाव और “ऑपरेशन सिंदूर” के बाद यह घटना और भी अहम हो जाती है.
गुप्त सहयोग? – रक्षा विश्लेषकों का मानना है कि यह संकेत हो सकता है कि अमेरिका और पाकिस्तान किसी नए सैन्य समझौते या गुप्त ऑपरेशन में शामिल हैं.
विशेषज्ञों की राय
विशषज्ञों का कहना है कि अमेरिकी विमानों की यह गतिविधि पूरी तरह पारदर्शी नहीं है और इसके पीछे कोई बड़ा एजेंडा हो सकता है. यदि अमेरिका पाकिस्तान के साथ किसी खास परमाणु या सैन्य लॉजिस्टिक सहयोग में है, तो यह दक्षिण एशिया की सुरक्षा पर सीधा असर डालेगा.
अमेरिकी C-17 Globemaster का पाकिस्तान के Nur Khan एयरबेस से उड़ान भरना सिर्फ एक साधारण मूवमेंट नहीं माना जा रहा. यह घटना कई सवाल खड़े करती है—क्या अमेरिका पाकिस्तान को लेकर कोई नई रणनीति बना रहा है? क्या यह दक्षिण एशिया में बदलते सामरिक समीकरणों का संकेत है? या फिर यह सिर्फ एक नियमित लॉजिस्टिक मिशन था?
आने वाले दिनों में इस पर और खुलासे हो सकते हैं, लेकिन फिलहाल इतना तय है कि इस घटना ने भारत, पाकिस्तान और अमेरिका के बीच रणनीतिक चर्चाओं की गर्मी बढ़ा दी है.
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