INDIA-JAPAN ने किया सुरक्षा सहयोग पर ऐतिहासिक समझौता, हिंद-प्रशांत में बदलेगी ताक़त का संतुलन

INDIA के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और JAPAN के प्रधानमंत्री शिगेरु इशिबा की मौजूदगी में भारत और जापान ने सुरक्षा सहयोग पर एक ऐतिहासिक संयुक्त घोषणा की. इस घोषणा से दोनों देशों की विशेष रणनीतिक और वैश्विक साझेदारी को नई दिशा मिलने वाली है. हिंद-प्रशांत क्षेत्र में बदलते सुरक्षा परिदृश्य और उभरती चुनौतियों के बीच यह पहल दोनों देशों की साझा प्रतिबद्धता को मज़बूत करती है.
रक्षा सहयोग को मिलेगा नया आयाम
संयुक्त घोषणा में यह तय किया गया है कि दोनों देश अपनी सेनाओं के बीच इंटरऑपरेबिलिटी (तालमेल) को और मजबूत करेंगे.
- द्विपक्षीय और बहुपक्षीय सैन्य अभ्यासों की संख्या और जटिलता बढ़ाई जाएगी.
- स्पेशल ऑपरेशन यूनिट्स के बीच सहयोग को गहरा किया जाएगा.
- लॉजिस्टिक्स सपोर्ट, मरम्मत और रखरखाव के लिए दोनों सेनाएँ एक-दूसरे की सुविधाओं का उपयोग कर सकेंगी.
- आतंकवाद-रोधी, साइबर सुरक्षा और CBRN खतरों (रासायनिक, जैविक, रेडियोलॉजिकल) से निपटने में सहयोग बढ़ेगा.
हिंद-प्रशांत में समुद्री सुरक्षा पर फोकस
भारत और जापान ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांतिपूर्ण और सुरक्षित समुद्री वातावरण सुनिश्चित करने के लिए सहयोग बढ़ाने पर जोर दिया.
- नौसेना और तटरक्षक बल के जहाजों की अधिक बार यात्राएँ और संयुक्त गश्त होंगी.
- सूचना संलयन केंद्र (IFC-IOR) और IPMDA के जरिये समुद्री निगरानी और सहयोग को मज़बूती मिलेगी.
- समुद्री डकैती और अंतरराष्ट्रीय अपराधों से निपटने के लिए संयुक्त अभियान चलाए जाएंगे.
- तीसरे देशों को भी समुद्री सुरक्षा सहायता देने में दोनों देश मिलकर काम करेंगे.
तकनीक और औद्योगिक साझेदारी

घोषणा में दोनों देशों के बीच रक्षा उत्पादन और तकनीकी सहयोग को मजबूत करने की प्रतिबद्धता जताई गई है.
- रक्षा उपकरणों का सह-विकास और सह-उत्पादन किया जाएगा.
- स्टार्टअप और MSME को रक्षा क्षेत्र में बढ़ावा दिया जाएगा.
- महत्वपूर्ण खनिज (Critical Minerals) के क्षेत्र में तकनीकी सहयोग बढ़ाया जाएगा.
- DRDO और जापान की ATLA मिलकर रक्षा अनुसंधान और विकास करेंगे.
- आपूर्ति श्रृंखला (Supply Chain) को सुरक्षित और लचीला बनाने के लिए साझेदारी बढ़ेगी.
नई और उभरती प्रौद्योगिकियों पर सहयोग
भारत और जापान ने भविष्य की सुरक्षा चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए नई तकनीकों पर सहयोग को प्राथमिकता दी है.
- कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), रोबोटिक्स, क्वांटम, साइबर सुरक्षा, सेमीकंडक्टर और स्पेस टेक्नोलॉजी पर संयुक्त शोध होगा.
- मानवरहित प्रणालियों (Unmanned Systems) और आधुनिक संचार तकनीक पर साझेदारी बढ़ेगी.
- अंतरिक्ष क्षेत्र में सैटेलाइट, स्पेस डेब्रिस प्रबंधन और भू-अवलोकन पर सहयोग किया जाएगा.
वैश्विक स्तर पर साझा एजेंडा
दोनों देशों ने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी एक-दूसरे का समर्थन करने का संकल्प जताया.
- क्वाड (Quad) सहयोग को और मज़बूत करने पर सहमति बनी.
- संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में सुधार और स्थायी सदस्यता के लिए भारत-जापान एक-दूसरे का समर्थन करेंगे.
- NSG (न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप) में भारत की सदस्यता के लिए जापान अपना समर्थन जारी रखेगा.
- आतंकवाद और परमाणु प्रसार के खिलाफ साझा प्रतिबद्धता दोहराई गई.
संस्थागत ढांचे को मज़बूती
घोषणा के अनुसार, दोनों देशों ने नियमित 2+2 मंत्रीस्तरीय वार्ता, NSA-स्तरीय संवाद, तटरक्षक सहयोग, और रक्षा उद्योग मंच जैसी संरचनाओं को और मजबूत करने का निर्णय लिया है.
निष्कर्ष
भारत और जापान की यह संयुक्त घोषणा केवल एक कागज़ी दस्तावेज़ नहीं, बल्कि दोनों देशों के बीच गहरे सुरक्षा सहयोग की दिशा में उठाया गया ठोस कदम है. यह साझेदारी न केवल हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति और स्थिरता के लिए अहम है, बल्कि यह संदेश भी देती है कि भारत और जापान मिलकर किसी भी उभरती चुनौती का सामना करने के लिए तैयार हैं.