South China Sea में धमाका! चीन-फिलीपींस भिड़ंत… पीछे INDIA -AMERICA की बड़ी चाल?

चीन को मिला करारा जवाब… फिलीपींस ने पीछे हटने से किया इनकार

South China Sea एक बार फिर सुलग उठा है. 11 अगस्त 2025 को स्कारबोरो शोल (Scarborough Shoal) के पास चीन और फिलीपींस के जहाज आमने-सामने आ गए. मछुआरों को मदद पहुंचाने गए फिलीपीन तटरक्षक जहाज का रास्ता रोकने के लिए चीनी नौसेना और तटरक्षक के जहाज़ मौके पर पहुंचे. पीछा करने के दौरान दो चीनी जहाज़ आपस में ही टकरा गए, जिससे एक जहाज़ को गंभीर नुकसान पहुंचा और वह unusable हो गया.

फिलीपींस ने इस घटना का वीडियो जारी कर चीन की आक्रामक कार्रवाई की निंदा की है. उनका कहना है कि वे अंतर्राष्ट्रीय समुद्री कानून के दायरे में काम कर रहे थे और केवल मानवीय सहायता दे रहे थे. वहीं चीन ने दावा किया कि उसने अपने “अधिकार क्षेत्र” में फिलीपीन जहाज़ों को हटाया, लेकिन टक्कर की बात पर चुप्पी साध ली.

यह झड़प कोई अकेली घटना नहीं है—पिछले वर्षों में भी दक्षिण चीन सागर के विवादित इलाकों में कई बार दोनों देशों के जहाज़ों में टक्कर, पानी की तोप और लेज़र हमले जैसी घटनाएँ हो चुकी हैं.  यह क्षेत्र अब एशिया का सबसे संवेदनशील ‘समुद्री बारूद का ढेर’ बन चुका है.

चीन इस तरह की हरकतें पहले भी करता रहा है. लेकिन सवाल उठता है कि अचानक चीन ने ऐसा क्यों क्या?  यदि पिछले कुछ दिनों के घटनाक्रम पर नजर डाले तो स्पष्ट पता चलता है कि चीन की तरफ से ये घटना जानबुझ कर किया गया था.

पहली घटना-

भारतीय नौसेना और फिलीपींस की नौसेनाओं ने 30 जुलाई से 4 अगस्त 2025 तक द्विपक्षीय अभ्यास में भाग लिया. इस अभ्यास के समुद्री चरण के दौरान, वायु-रोधी, सतह-रोधी और पनडुब्बी-रोधी अभ्यास किए गए. भारत की तरफ से भारतीय नौसेना के जहाज आईएनएस दिल्ली (गाइडेड मिसाइल डिस्ट्रॉयर), आईएनएस शक्ति (फ्लीट टैंकर) और आईएनएस किल्टन (एंटी सबमरीन वारफेयर कॉर्वेट) ने अभ्यास में बाग लिया. इस नौसैनिक अभ्यास पर चीन ने एतराज जताया था. जिसके बाद फिलीपींस के साथ तनाव बढ़ने के पूरे आसार थे.

दूसरी घटना

चीन को मिला करारा जवाब… फिलीपींस ने पीछे हटने से किया इनकार

भारत के दौरे पर आए फिलीपींस के राष्‍ट्रपति फेरद‍िनांद मार्कोस जूनियर ने ताइवान युद्ध को लेकर बड़ा ऐलान कर दिया. राष्‍ट्रपति मार्कोस ने कहा कि अगर चीन और ताइवान में युद्ध होता है तो फिलीपींस इससे दूर नहीं रह सकता है. उनसे यह सवाल पूछा गया था कि अगर ताइवान युद्ध छिड़ता है तो क्‍या वह अमेरिकी सेना को अपने संसाधन और सैन्‍य अड्डे देंगे ताकि ताइपे की रक्षा की जा सके.

मार्कोस ने अमेरिकी हस्‍तक्षेप को लेकर पूछे गए सवाल का जवाब नहीं दिया लेकिन अपने देश की बेहद अहम भौगोलिक स्थिति का जिक्र जरूर किया. मार्कोस ने भारतीय मीडिया से बातचीत में कहा, ‘इसके बारे में बहुत व्‍यवहारिक होने की जरूरत है. अगर ताइवान को लेकर चीन और अमेरिका में संघर्ष छिड़ता है तो इसका सवाल ही नहीं है कि फिलीपींस इससे बाहर रहे. इसकी वजह हमारी भौगोलिक स्थिति है.’

राष्‍ट्रपति मार्कोस जून‍ियर के इस बयान पर चीन आगबबूला हो गया. मनीला में चीन के दूतावास ने इस बयान को लेकर अपनी आपत्ति दर्ज कराई. साथ ही चीन के विदेश मंत्रालय ने ‘एक चीन नीति’ की याद भी फ‍िलीपींस को दिलाई. मतलब साफ था कि चीन को राष्ट्रपति का बयान पसंद नहीं आया.

फिलीपींस के राष्ट्रपति ने कहा – उनका देश जंग नहीं चाहता

चीन के साथ स्कारबोरो शोल के पास फिर से हुई कोस्टगार्ड मुठभेड़ के बाद फिलीपींस के राष्ट्रपति फर्डिनांड मार्कोस जूनियर ने कहा कि उनका देश जंग नहीं चाहता, लेकिन विवादित क्षेत्रों से अपने जहाज़ कभी पीछे नहीं हटाएगा. मार्कोस ने यह भी कहा कि उन्हें समझ नहीं आ रहा कि चीन के विदेश मंत्रालय ने क्यों चेतावनी दी कि वह ‘आग से खेल रहे हैं.’  उन्होंने बताया कि भारत दौरे के दौरान बस इतना कहा था कि अगर ताइवान को लेकर चीन और अमेरिका के बीच युद्ध हुआ तो फिलीपींस भी अनचाहे ही उसमें शामिल हो जाएगा. उनके मुताबिक, यह सिर्फ एक तथ्य था, न कि किसी को उकसाने की कोशिश.

वहीं, दूसरी तरफ फिलीपींस ने एक वीडियो फुटेज जारी करते हुए कहा कि सोमवार (11 अगस्त, 2025) को दक्षिण चीन सागर में फिलीपींस की गश्ती बोट का पीछा करते वक्त एक चीनी नौसेना पोत अपने ही तट रक्षक पोत से टकरा गया. इस टकराव की पुष्टि चीनी कोस्ट गार्ड के प्रवक्ता गान यू ने भी की. हालांकि, इस घटना के बारे में उन्होंने ज्यादा जानकारी नहीं दी.

चीन और फिलिपींस के बीच विवाद नया नहीं है… साल 2024 में भी चीनी तटरक्षक बल के पोत ने फिलीपींस की एक नौका को टक्कर मारी थी. इस टक्कर में फिलीपींस का एक नागरिक घायल भी हुआ था. इसके अलावा चीनी तटरक्षक ने दक्षिण चीन सागर के विवादित द्वीप के समीप तैनात फिलीपींस के नौसेनिकों पर चाकू जैसे धारदार हथियार से हमला भी किया था. तब दोनों देशों के बीच विवाद का नया केंद्र सबीना शोल बना था. चीन सबीना शोल और उसके निकटवर्ती जल क्षेत्र सहित पूरे स्प्रैटली द्वीप समूह पर अधिकार का दावा करता है. स्प्रैटली द्वीप समूह को चीन में नान्शा द्वीप समूह, जबकि सबीना शोल को जियानबिन रीफ के नाम से जाना जाता है.

चीन हजारों किलोमीटर में फैले दक्षिण चीन सागर के विवादित द्वीपों का सैन्यीकरण कर रहा है. हालांकि, चीन के इस दावे को दक्षिण चीन सागर के किनारे बसे देश हमेशा से खारिज करते रहे हैं. चीन और कई दक्षिण-पूर्व एशियाई देश दक्षिण चीन सागर पर अपना दावा करते हैं. 2016 में, हेग में एक अंतरराष्ट्रीय न्यायाधिकरण ने एक ऐतिहासिक समुद्री विवाद में फिलीपींस के पक्ष में फैसला सुनाया, जिसमें निष्कर्ष निकाला गया कि चीन के पास दक्षिण चीन सागर के बड़े हिस्से पर ऐतिहासिक अधिकारों का दावा करने का कोई कानूनी आधार नहीं है.

दोस्तों, आपके मन में एक सवाल जरुर आया होगा कि आखिर मनीला ने किसके बल पर चीन को खुली चुनौती दी है. आखिर फिलीपींस को कौन मदद कर रहा है?

इसके पीछे का मुख्य कारण है- 1951 की वो समझौता, जिसने फिलीपींस को वो ताकत दी है, जिस वजह से वो चीन को भी खुली चुनौती देता रहता है.

यदि चीन फिलीपींस के खिलाफ आक्रामक कार्रवाई करता है तो यह संभावित रुप से अंतरराष्ट्रीय घटना बन सकती है. वाशिंगटन और मनीला 1951 में हस्ताक्षरित एक पारस्परिक रक्षा संधि से बंधे हैं जो अभी भी लागू है. जिसमें यह निर्धारित किया गया है कि यदि किसी तीसरे पक्ष द्वारा हमला किया जाता है तो दोनों पक्ष एक-दूसरे की रक्षा करने में मदद करेंगे.

दक्षिण चीन सागर क्यों मायने रखता है?

आपके मन में एक सवाल जरुर उठता होगा कि आखिर दक्षिण चीन सागर इतना महत्वपूर्ण क्यों है.. जिसमें थोड़ी सी भी हरकत हो तो चीन बौखला जाता है.

दरअसल, दक्षिण चीन सागर का 1.3 मिलियन वर्ग मील का जलमार्ग अंतरराष्ट्रीय व्यापार के लिए महत्वपूर्ण है, जहां से हर साल खरबों डॉलर मूल्य की वैश्विक शिपिंग का एक तिहाई हिस्सा गुजरता है. यह विशाल उपजाऊ मछली पकड़ने के मैदानों का भी घर है, जिस पर कई लोगों का जीवन और आजीविका निर्भर करती है. हालांकि, इसका अधिकांश हिस्सा अभी इस्तेमाल नहीं किया गया है. अमेरिकी ऊर्जा सूचना एजेंसी के अनुसार, जलमार्ग में कम से कम 190 ट्रिलियन क्यूबिक फीट प्राकृतिक गैस और 11 बिलियन बैरल तेल है.

दोस्तों, चीन हिन्द महासागर में एकछत्र राज्य करना चाहता है, जहां उसे भारतीय नैसेना से चुनौती मिलनी शुरु हो गई है. जिसे चीन बर्दाश्त नहीं कर पा रहा है. लेकिन वो भारत के बदले फिलीपींस को धमका रहा है. क्योंकि वह अच्छे से जानता है कि वह फिलीपींस नहीं अमेरिका को चुनौती दे रहा है.

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