INS Tamal की ऐतिहासिक मोरक्को यात्रा – भारत की समुद्री कूटनीति का नया अध्याय!

भारतीय नौसेना के नवीनतम व अत्याधुनिक युद्धक क्षमताओं से लैस जहाज आईएनएस तमाल ने भारत वापसी यात्रा के दौरान 6-9 अगस्त, 2025 तक मोरक्को के कासाब्लांका बंदरगाह पर अपना पड़ाव पूरा कर लिया है. आईएनएस तमाल को 1 जुलाई, 2025 को रूस में कमीशन किया गया था.
यह युद्धपोत कई यूरोपीय तथा एशियाई बंदरगाहों से होता हुआ अपने गृह बंदरगाह की तरफ वापस लौट रहा है, जिससे भारत की समुद्री कूटनीति को बढ़ावा मिलेगा और द्विपक्षीय संबंधों में भी तेजी आएगी. आईएनएस तमाल पिछले दो वर्षों में कासाब्लांका का दौरा करने वाला भारतीय नौसैना का तीसरा जहाज है.
INS Tamal ने मोरक्को में बढ़ाया नौसैनिक सहयोग
आईएनएस तमाल ने अपने तीन दिवसीय बंदरगाह प्रवास के दौरान, दोनों देशों की नौसेनाओं के बीच सहयोग एवं सहभागिता को बढ़ाने पर केंद्रित अनेक गतिविधियों में भाग लिया. इनमें बंदरगाह यात्रा के दौरान वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों के साथ द्विपक्षीय चर्चा, क्रॉस डेक दौरे, खेल कार्यक्रम और योग शामिल थे. इस दौरान भारत-मोरक्को के बीच मित्रतापूर्ण संबंधों के सम्मान में दोनों पक्षों द्वारा सांस्कृतिक आदान-प्रदान भी किया गया.

जहाज के चालक दल ने मोरक्को के प्रथम नौसेना बेस के कमांडर कैप्टन रशीद सदराजी, सेंट्रल मैरीटाइम सेक्टर के कमांडर कैप्टन-मेजर हसन अकौली, कासाब्लांका क्षेत्र के हथियारों के अधिकारी कमांडर ब्रिगेडियर जनरल जमाल काजतौफ और रॉयल मोरक्कन नौसेना के रियर-एडमिरल इंस्पेक्टर रियर एडमिरल मोहम्मद ताहिन के साथ बातचीत की. मोरक्को में भारतीय राजदूत संजय राणा ने इस जहाज का दौरा किया और उन्होंने मोरक्को की नौसेना के वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों तथा जहाज के चालक दल के साथ बातचीत की.
भारत-मोरक्को रक्षा सहयोग को नई दिशा
आईएनएस तमाल ने कासाब्लांका से प्रस्थान करते समय रॉयल मोरक्कन नौसेना के जहाज मोहम्मद VI के साथ एक समुद्री अभ्यास किया. आईएनएस तमाल ने द्वारा कासाब्लांका बंदरगाह की यह यात्रा इस बात का संकेत देती है कि भारत अपने संबंधों को मोरक्को के साथ और आगे बढ़ाने को कितना महत्व दे रहा है. यह दौरा दोनों देशों के बीच बढ़ते रक्षा सहयोग को पहले से सशक्त करने का प्रयास करता है. इसने दोनों देशों की नौसेनाओं को सर्वोत्तम कार्य प्रणालियों को साझा करने और सहयोग के नए अवसर तलाशने का मार्ग भी प्रशस्त किया.आईएनएस तमाल भारत पहुंचने के रास्ते में कई यूरोपीय और एशियाई बंदरगाहों का दौरा करेगा, जिससे विभिन्न क्षेत्रों में द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ावा मिलेगा.
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