वाइस एडमिरल संजय वात्सायन बने नौसेना के 47वें डिप्टी चीफ, संभाला कार्यभार

वाइस एडमिरल संजय वात्सायन ने 01 अगस्त 2025 को नौसेना के 47वें उप प्रमुख (वीसीएनएस) के रूप में पदभार ग्रहण किया.
राष्ट्रीय रक्षा अकादमी, पुणे के 71वें कोर्स के पूर्व छात्र वाइस एडमिरल संजय वात्सायन को 01 जनवरी 1988 को भारतीय नौसेना में कमीशन प्राप्त हुआ था. ये गनरी और मिसाइल प्रणालियों के विशेषज्ञ हैं. उन्होंने तीन दशकों से भी अधिक के अपने विशिष्ट नौसैनिक करियर में विभिन्न प्रकार के कमांड, ऑपरेशनल और स्टाफ कार्यभार संभाले हैं.
जिनमें गाइडेड मिसाइल विध्वंसक आईएनएस मैसूर, आईएनएस निशंक के कमीशनिंग क्रू और तटरक्षक ओपीवी आईसीजीएस संग्राम के प्री-कमीशनिंग क्रू शामिल हैं.

उन्होंने आईएनएस मैसूर के कार्यकारी अधिकारी के रूप में भी कार्य किया है. उन्होंने तटरक्षक जहाज सी-05, मिसाइल पोत आईएनएस विभूति और आईएनएस नाशक, मिसाइल कार्वेट आईएनएस कुठार और गाइडेड मिसाइल फ्रिगेट आईएनएस सह्याद्री (कमीशनिंग कमांडिंग ऑफिसर) की कमान संभाली है. फरवरी 2020 में, उन्होंने पूर्वी बेड़े के फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग का पदभार संभाला और गलवान की घटनाओं के बाद, बढ़ी हुई समुद्री गतिविधि के दौरान कई ऑपरेशनल तैनाती और अभ्यासों का नेतृत्व किया.
डिफेंस सर्विसेज स्टाफ कॉलेज, वेलिंगटन; नेवल वॉर कॉलेज, गोवा; और प्रतिष्ठित नेशनल डिफेंस कॉलेज, नई दिल्ली से स्नातक, फ्लैग ऑफिसर ने प्रमुख रणनीतिक और नीति-उन्मुख स्टाफ भूमिकाओं में भी उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है. नौसेना मुख्यालय में उनकी नियुक्तियों में संयुक्त निदेशक और कार्मिक निदेशक (नीति), नौसेना योजना निदेशक (परिप्रेक्ष्य योजना) और प्रधान नौसेना योजना निदेशक शामिल हैं.

फरवरी 2018 में फ्लैग रैंक पर पदोन्नति के बाद, उन्होंने पूर्वी बेड़े की कमान संभालने से पहले सहायक नौसेनाध्यक्ष (नीति एवं योजना) के रूप में कार्य किया. असाधारण नेतृत्व और अत्यंत उच्च कोटि की सराहनीय सेवा के लिए उन्हें 2021 में अति विशिष्ट सेवा पदक से सम्मानित किया गया. इसके बाद, उन्होंने राष्ट्रीय रक्षा अकादमी के उप कमांडेंट के रूप में कार्य किया और बाद में, दिसंबर 2021 में, उन्हें पूर्वी नौसेना कमान (ईएनसी) का चीफ ऑफ स्टाफ नियुक्त किया गया. इस पद पर रहते हुए, उन्होंने ईएनसी की परिचालन तत्परता, कार्मिक विकास और बुनियादी ढांचे के विस्तार का नेतृत्व किया.

वीसीएनएस का कार्यभार संभालने से पहले, उन्होंने एकीकृत रक्षा स्टाफ (डीसीआईडीएस) के उप प्रमुख – संचालन और उसके बाद आईडीएस मुख्यालय में डीसीआईडीएस (नीति, योजना और बल विकास) के रूप में कार्य किया, जहां उन्होंने संचालन के समन्वय, एकीकरण को बढ़ाने, संयुक्तता, बल विकास और तीनों सेवाओं में स्वदेशीकरण को बढ़ावा देने वाली नीतियों को तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
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