रक्षा मंत्रालय ने खर्च किया ₹92,000 करोड़! वित्त वर्ष 2025-26 में आधे से ज़्यादा पूंजीगत बजट का उपयोग

रक्षा मंत्रालय ने सितंबर 2025 तक ₹1.8 लाख करोड़ के कुल पूंजीगत बजट में से ₹92,211 करोड़ का उपयोग किया।

रक्षा मंत्रालय (MoD) ने चालू वित्त वर्ष 2025-26 के दौरान सितंबर 2025 के अंत तक अपने कुल पूंजीगत व्यय (Capital Expenditure) का 50% से अधिक उपयोग कर लिया है.

आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, ₹1,80,000 करोड़ रुपये के कुल आवंटन में से ₹92,211.44 करोड़ रुपये (51.23%) का उपयोग किया जा चुका है.

पिछले वित्त वर्ष 2024-25 में मंत्रालय ने अपने ₹1,59,768.40 करोड़ रुपये के पूंजीगत बजट का 100% उपयोग किया था.

मुख्य व्यय क्षेत्र

इस वर्ष अधिकांश पूंजीगत व्यय विमानों और हवाई इंजनों पर हुआ है, इसके बाद थल सेना, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध उपकरण, आयुध और प्रक्षेपास्त्रों पर निवेश दर्ज किया गया है.

रक्षा मंत्रालय का यह तेज़ व्यय देश के सशस्त्र बलों के आधुनिकीकरण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है, जिससे विमान, जहाज, पनडुब्बी और हथियार प्रणालियों की समय पर आपूर्ति सुनिश्चित होगी.

आर्थिक प्रभाव और आत्मनिर्भरता

पूंजीगत व्यय (CapEx) केवल सैन्य क्षमता नहीं बढ़ाता, बल्कि घरेलू रक्षा उद्योग, अनुसंधान एवं विकास (R&D) और सीमावर्ती अवसंरचना विकास को भी प्रोत्साहित करता है. इससे राष्ट्रीय सुरक्षा, आर्थिक विकास और रोज़गार सृजन पर गुणात्मक प्रभाव पड़ता है.

वित्त वर्ष 2025-26 में सरकार ने घरेलू रक्षा उद्योगों के लिए ₹1,11,544.83 करोड़ रुपये अलग रखे हैं. अब तक इस राशि का लगभग 45% व्यय दर्ज किया जा चुका है.

इसका उद्देश्य ‘आत्मनिर्भर भारत’ के तहत रक्षा निर्माण में MSME और स्टार्टअप्स की भागीदारी बढ़ाना है.

निरंतर वृद्धि का रुझान

पिछले पाँच वर्षों में रक्षा मंत्रालय के पूंजीगत आवंटन में लगभग 60% की वृद्धि हुई है. इस वर्ष का ₹1.8 ट्रिलियन का CapEx बजट, पिछले वित्त वर्ष के वास्तविक व्यय से 12.66% अधिक है.

रक्षा मंत्रालय का कहना है कि वह चालू वित्त वर्ष के अंत तक पूंजीगत बजट का 100% उपयोग सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है, और आगामी संशोधित बजटीय अनुमानों (RE 2025-26) पर भी सक्रिय रूप से काम कर रहा है.

भारत का रक्षा मंत्रालय तेज़ी से आधुनिकीकरण और आत्मनिर्भरता की दिशा में बढ़ रहा है. पूंजीगत व्यय की यह गति न केवल भारत की रणनीतिक क्षमताओं को मजबूत करेगी बल्कि देश के रक्षा उद्योग को भी एक नई दिशा देगी.

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