Australia और Papua New Guinea ने किया ऐतिहासिक रक्षा समझौता, चीन में बढ़ी बेचैनी

एशिया-प्रशांत क्षेत्र में भू-राजनीतिक हलचल एक बार फिर तेज़ हो गई है. Australia और Papua New Guinea (PNG) ने एक ऐतिहासिक द्विपक्षीय रक्षा संधि (Bilateral Defense Treaty) पर हस्ताक्षर किए हैं, जिससे दोनों देशों के बीच सैन्य सहयोग और सुरक्षा साझेदारी को एक नया आयाम मिलेगा.
यह समझौता पापुआ न्यू गिनी के इतिहास में अपनी तरह का पहला बड़ा सुरक्षा समझौता है. इसके तहत दोनों देशों ने यह तय किया है कि यदि किसी देश पर हमला होता है, तो दूसरा देश उसकी रक्षा में मदद करेगा.
Australia और Papua New Guinea समझौते की प्रमुख बातें
दोनों देशों की सेनाएँ अब एक-दूसरे के साथ संयुक्त प्रशिक्षण, खुफिया साझेदारी और रक्षा उपकरणों के आदान-प्रदान में भाग लेंगी. यह समझौता क्षेत्र में बढ़ते चीन के प्रभाव को संतुलित करने की दिशा में ऑस्ट्रेलिया की बड़ी रणनीतिक चाल मानी जा रही है.
पापुआ न्यू गिनी ने हालांकि यह स्पष्ट किया है कि यह समझौता किसी तीसरे देश के खिलाफ नहीं, बल्कि क्षेत्रीय स्थिरता और पारस्परिक सुरक्षा को मजबूत करने के लिए किया गया है.
चीन ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है, यह कहते हुए कि ऐसे समझौते “क्षेत्रीय संतुलन को बिगाड़ सकते हैं” और उसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता.

क्षेत्रीय प्रभाव:
यह संधि न सिर्फ ऑस्ट्रेलिया की सुरक्षा नीति को और मज़बूत करेगी, बल्कि प्रशांत क्षेत्र में चीन के बढ़ते सैन्य और आर्थिक प्रभाव को चुनौती भी देगी. विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले महीनों में यह समझौता इंडो-पैसिफिक की शक्ति-संतुलन रणनीति को गहराई से प्रभावित करेगा.
ऑस्ट्रेलिया और पापुआ न्यू गिनी का यह समझौता एशिया-प्रशांत क्षेत्र की सुरक्षा व्यवस्था में एक नया अध्याय खोल सकता है. यह सहयोग न केवल दोनों देशों की रक्षा क्षमता को बढ़ाएगा, बल्कि चीन जैसी शक्तियों को भी एक स्पष्ट संदेश देगा — कि इस क्षेत्र में अब एक नया सुरक्षा समीकरण बन रहा है.