C. P. Radhakrishnan बने भारत के नए उपराष्ट्रपति, विपक्षी एकजुटता को बड़ा झटका

सी.पी. राधाकृष्णन बने भारत के नए उपराष्ट्रपति

भारत ने आज अपने 15वें उपराष्ट्रपति का चुनाव कर लिया है. राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के उम्मीदवार C. P. Radhakrishnan ने विपक्षी INDIA ब्लॉक के प्रत्याशी बी. सुदर्शन रेड्डी को हराकर शानदार जीत दर्ज की. संसद भवन में हुए मतदान में राधाकृष्णन को 452 मत मिले, जबकि रेड्डी को 300 वोट ही हासिल हुए.

अचानक हुए चुनाव की वजह

यह चुनाव सामान्य प्रक्रिया के तहत नहीं बल्कि पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफ़े के बाद कराना पड़ा. धनखड़ ने जुलाई 2025 में स्वास्थ्य कारणों से पद छोड़ दिया था. इसके चलते उपराष्ट्रपति पद पर समय से पहले चुनाव हुए.

वोटिंग और नतीजे

कुल 781 सांसद वोट डालने के हकदार थे, जिनमें से 767 ने मतदान किया. 752 मत वैध घोषित हुए और 15 अमान्य पाए गए. मतदान में लगभग 98% की भागीदारी रही, जो लोकतांत्रिक उत्साह को दर्शाती है. कुछ दल जैसे बीआरएस, बीजेडी और शिरोमणि अकाली दल ने वोटिंग से दूरी बनाई.

विशेष बात यह रही कि राधाकृष्णन को उनकी घोषित संख्या से अधिक वोट मिले. यानी विपक्ष के कुछ सांसदों ने क्रॉस-वोटिंग की, जिसने NDA की जीत को और मजबूत किया.

C. P. Radhakrishnan का राजनीतिक सफर

68 वर्षीय सी.पी. राधाकृष्णन तमिलनाडु से आते हैं और वे ओबीसी (कोंगू वेल्लालर) समुदाय से संबंध रखते हैं. वे कोयम्बटूर से दो बार सांसद रह चुके हैं और हाल ही में महाराष्ट्र के राज्यपाल के पद पर कार्यरत थे. उनकी छवि एक सुलझे हुए, गैर-टकराव वाली राजनीति करने वाले नेता की है.

प्रधानमंत्री की बधाई

जीत के तुरंत बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर उन्हें बधाई दी और भरोसा जताया कि राधाकृष्णन संवैधानिक परंपराओं को सशक्त करेंगे तथा लोकतांत्रिक संस्थाओं को नई ऊँचाइयों पर ले जाएंगे.

विपक्ष के लिए संकेत

सुदर्शन रेड्डी की उम्मीदवारी INDIA ब्लॉक की “एकजुटता” को दिखाने का प्रयास थी, लेकिन परिणाम ने यह साफ कर दिया कि विपक्ष के भीतर मतभेद और असंतोष गहरे हैं. क्रॉस-वोटिंग ने भविष्य की राजनीति में विपक्ष की चुनौतियों को और स्पष्ट कर दिया है.

राधाकृष्णन की जीत न सिर्फ NDA के आत्मविश्वास को बढ़ाती है, बल्कि यह आने वाले वर्षों की संसदीय राजनीति का रुख भी तय करेगी. विपक्ष के लिए यह हार एक गंभीर चेतावनी है कि आंतरिक मतभेदों को दूर किए बिना सत्ता की राह आसान नहीं होगी.

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