रक्षा सचिव Rajesh Kumar Singh ने कहा- निजी उद्योग और स्टार्टअप के बिना आत्मनिर्भर भारत संभव नहीं

रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह ने कहा है कि भारत की सशस्त्र सेनाओं की परिचालन क्षमता को और मजबूत करने के लिए सार्वजनिक एवं निजी उद्योग, डीआरडीओ जैसे अनुसंधान संस्थानों और शिक्षाविदों के बीच व्यापक सहयोग अनिवार्य है.
वह पुणे में दक्षिणी कमान द्वारा आयोजित स्ट्राइड 2025 सेमिनार के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे.
प्रौद्योगिकी बदल रही है युद्ध और रक्षा उद्योग का स्वरूप
अपने संबोधन में रक्षा सचिव ने कहा कि मौजूदा समय में तकनीकी व्यवधान न केवल युद्ध की प्रकृति को बदल रहा है, बल्कि रक्षा उद्योग की कार्यप्रणाली को भी पूरी तरह रूपांतरित कर रहा है.
उन्होंने सभी हितधारकों से नवीनतम तकनीकी रुझानों के साथ तालमेल बिठाने और आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए मिलकर कार्य करने की अपील की.
उन्होंने यह भी जोर देकर कहा कि “तकनीकी श्रेष्ठता और औद्योगिक क्षमता ही अक्सर युद्ध के परिणाम को तय करती है.” इसी दृष्टि से उन्होंने रक्षा उद्योग को देश के विनिर्माण क्षेत्र के साथ तेज़ी से आगे बढ़ने की आवश्यकता बताई ताकि भारत 2047 तक विकसित राष्ट्र और 30 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के लक्ष्य को हासिल कर सके.
नवाचार और निजी क्षेत्र की भागीदारी पर बल
रक्षा सचिव ने कहा कि भारत की स्टार्टअप संस्कृति, औद्योगिक आधार का विस्तार, रोजगार सृजन और दोहरे उपयोग की तकनीकों का लाभ उठाना भविष्य के लिए अहम होगा. उन्होंने निजी उद्योगों से अनुसंधान एवं विकास तथा विनिर्माण क्षमताओं में निवेश बढ़ाने का आग्रह किया.
उन्होंने यह स्वीकार किया कि रक्षा क्षेत्र में ऑर्डर सीमित आधार पर मिलते हैं, लेकिन यदि भारत के पास मजबूत प्रौद्योगिकी और इंजीनियरिंग क्षमता होगी, तो घरेलू और निर्यात ऑर्डरों के संयोजन से देश आत्मनिर्भर और प्रतिस्पर्धी दोनों बन सकेगा.
वैश्विक परिदृश्य और भारत की रणनीति
राजेश कुमार सिंह ने कहा कि दुनिया भर में जारी संघर्षों ने आर्थिक संरक्षणवाद और राष्ट्रवाद को बढ़ावा दिया है, वहीं बहुपक्षीय संस्थाएं कमजोर हुई हैं. इस संदर्भ में उन्होंने कहा कि भारत को अपनी सॉफ्ट पावर को मज़बूत करने की आवश्यकता है, क्योंकि भविष्य में हार्ड पावर और भी अधिक निर्णायक होती जा रही है.
उन्होंने मोदी सरकार की उन नीतिगत पहलों का भी उल्लेख किया, जिनमें रक्षा खरीद मैनुअल 2009 और रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया 2020 में संशोधन शामिल हैं, ताकि प्रक्रियाएं अधिक सक्रिय, लचीली और परिणामोन्मुखी बन सकें.
आत्मनिर्भरता पर जोर
इस मौके पर दक्षिणी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ लेफ्टिनेंट जनरल धीरज सेठ ने भी संबोधित किया और कहा कि रक्षा क्षमताओं में आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए संपूर्ण राष्ट्र दृष्टिकोण की आवश्यकता है.
यह सेमिनार भारत के रक्षा इकोसिस्टम को मजबूत करने और आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को गति देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है.