Russia MiG-31 विमानों ने Estonia के हवाई क्षेत्र का किया उल्लंघन

Tensions Rise as Russian Fighters Violate NATO Member Estonia’s Airspace

बाल्टिक क्षेत्र में तनाव एक बार फिर बढ़ गया है. शुक्रवार को रूस के तीन MiG-31 इंटरसेप्टर जेट्स ने NATO सदस्य देश Estonia के हवाई क्षेत्र में घुसपैठ की. यह घटना गल्प ऑफ फिनलैंड (Gulf of Finland) के ऊपर हुई और रिपोर्ट्स के अनुसार, रूसी जेट्स लगभग 12 मिनट तक एस्टोनियाई एयरस्पेस के भीतर रहे.

इस घटना की पुष्टि Estonia के विदेश मंत्री मार्गस त्साह्कना (Margus Tsahkna) ने की है. उन्होंने अपने आधिकारिक X (Twitter) अकाउंट पर बयान जारी करते हुए इसे NATO की सुरक्षा और अंतरराष्ट्रीय नियमों का गंभीर उल्लंघन बताया.

Estonia की घटना पर NATO की प्रतिक्रिया

NATO के एयर पुलिसिंग मिशन ने तुरंत स्थिति पर नज़र रखी. ऐसे मामलों में आमतौर पर सक्रैम्बल फाइटर्स (fighter jets) को अलर्ट पर रखा जाता है, ताकि संभावित खतरे से निपटा जा सके.

यह घटना ऐसे समय में हुई है जब NATO और रूस के बीच यूक्रेन युद्ध और बाल्टिक सुरक्षा को लेकर पहले से ही तनाव चरम पर है.

रूस का संदेश या उकसावे की रणनीति?

Tensions Rise as Russian Fighters Violate NATO Member Estonia’s Airspace

रूस अक्सर NATO सदस्य देशों के एयरस्पेस के पास या भीतर अपनी सैन्य उड़ानें संचालित करता है.

विशेषज्ञों के अनुसार, यह कदम रूस की मनोवैज्ञानिक दबाव रणनीति (psychological pressure tactic) है.

बाल्टिक क्षेत्र (एस्टोनिया, लातविया, लिथुआनिया) NATO का सबसे संवेदनशील मोर्चा है, जहां किसी भी छोटी घटना से बड़ा संघर्ष भड़क सकता है.

एस्टोनिया का सख्त रुख

विदेश मंत्री त्साह्कना ने कहा कि एस्टोनिया इस मुद्दे को NATO के स्तर पर उठाएगा.

उन्होंने यह भी दोहराया कि एस्टोनिया की संप्रभुता पर हमला, पूरे NATO पर हमला माना जाएगा – जो NATO की Article 5 प्रतिज्ञा का हिस्सा है.

रूस द्वारा एस्टोनिया के एयरस्पेस का उल्लंघन एक खतरनाक संकेत है. यह न केवल NATO और रूस के बीच तनाव को बढ़ाता है, बल्कि बाल्टिक क्षेत्र को एक संभावित फ्लैशपॉइंट (Flashpoint) बना देता है. ऐसे में आने वाले दिनों में NATO अपनी एयर डिफेंस और निगरानी क्षमता को और मजबूत कर सकता है.

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