नई GST दरों से ऑटोमोबाइल, ट्रैक्टर और परिवहन क्षेत्र को बढ़त

भारत सरकार द्वारा हाल ही में घोषित नई GST दरों ने भारी उद्योगों, विशेषकर ऑटोमोबाइल और परिवहन क्षेत्र में नई ऊर्जा भर दी है.
मोटरसाइकिल से लेकर ट्रैक्टर, बस, ट्रक और लग्ज़री कार तक—लगभग हर श्रेणी के वाहनों पर कर दरों में कमी का असर उपभोक्ताओं से लेकर उद्योग जगत तक दिखाई देगा. सस्ती कीमतों से जहाँ आम लोगों की जेब पर बोझ कम होगा, वहीं बढ़ती मांग से ऑटोमोबाइल निर्माता, सहायक उद्योग, डीलरशिप, परिवहन सेवाएँ और एमएसएमई को बड़ा लाभ मिलेगा.
यह कदम न केवल रोज़गार सृजन और निवेश को प्रोत्साहित करेगा बल्कि “मेक इन इंडिया” और “स्वच्छ गतिशीलता” जैसे राष्ट्रीय लक्ष्यों को भी मजबूत बनाएगा.
नई जीएसटी दरों और स्लैब का भारी उद्योगों से जुड़ी कई वस्तुओं पर प्रभाव इस प्रकार है:
नई GST दरों के बाद ऑटोमोबाइल सेक्टर
ऑटोमोबाइल क्षेत्र में जीएसटी दरों में कटौती विभिन्न श्रेणियों में की गई है. इसमें मोटरसाइकिल (350 सीसी तक, जिसमें 350 सीसी की मोटरसाइकिल शामिल हैं), बसें, छोटी, मध्यम और लग्जरी कार, ट्रैक्टर (<1800 सीसी) आदि शामिल हैं.
ऑटो पार्ट्स पर भी जीएसटी दरें कम की जा रही हैं.
कम जीएसटी से मांग बढ़ेगी, जिससे ऑटोमोबाइल निर्माताओं और बड़े सहायक उद्योगों (टायर, बैटरी, घटक, कांच, स्टील, प्लास्टिक, इलेक्ट्रॉनिक्स, आदि) को मदद मिलेगी.
वाहनों की बिक्री बढ़ने से इन घटकों के लिए ऑर्डर बढ़ेंगे, जिससे सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों पर गुणक प्रभाव पड़ेगा, जो इस आपूर्ति श्रृंखला का एक बड़ा हिस्सा है.
संपूर्ण ऑटो उद्योग प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से विनिर्माण, बिक्री, वित्तपोषण, रखरखाव आदि में 3.5 करोड़ से अधिक नौकरियों का सृजन करता है.
मांग में वृद्धि से डीलरशिप, परिवहन सेवाओं, लॉजिस्टिक्स और एमएसएमई क्षेत्रों में नई भर्तियां होंगी .
अनौपचारिक क्षेत्रों (ड्राइवर, मैकेनिक, छोटे सर्विस गैराज) को भी लाभ होगा.
वाहन खरीद भी ऋण-आधारित होती है (एनबीएफसी, बैंक, फिनटेक ऋणदाता). ऑटो बिक्री में सुधार से खुदरा ऋण वृद्धि को बढ़ावा मिलेगा, परिसंपत्ति गुणवत्ता में सुधार होगा और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में वित्तीय समावेशन का विस्तार होगा.
तर्कसंगत जीएसटी दरों से नीतिगत निश्चितता ऑटोमोबाइल क्षेत्र में नए निवेश को प्रोत्साहित करेगी. इससे मेक इन इंडिया और विनिर्माण क्षेत्र को भी बढ़ावा मिलेगा.
जीएसटी दर में कटौती से पुराने वाहनों के स्थान पर नए, ईंधन-कुशल मॉडल को प्रोत्साहन मिलेगा, जिससे स्वच्छ गतिशीलता को बढ़ावा मिलेगा.
दोपहिया वाहन (28 प्रतिशत से 18 प्रतिशत)

जीएसटी की दरों में कमी से मोटरसाइक की कीमतें कम हो जाएंगी, जिससे वे युवाओं, पेशेवरों और निम्न-मध्यम वर्ग के परिवारों के लिए मोटरसाइकिल खरीदना अधिक सुलभ होगा.
ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में मोटरसाइकिल परिवहन का प्राथमिक साधन है; सस्ती मोटरसाइकिल से किसानों, छोटे व्यापारियों और दैनिक मजदूरों को सीधा लाभ होगा.
दोपहिया वाहन ऋण के लिए लागत और ईएमआई में कमी के माध्यम से गिग श्रमिकों की बचत को बढ़ावा मिलेगा.
छोटी कारें (जीएसटी 28 प्रतिशत से घटकर 18 प्रतिशत हुआ)
किफायती श्रेणी की कारें सस्ती हो जाने से पहली बार कार की खरीद को प्रोत्साहन मिलेगा और घरेलू गतिशीलता का विस्तार होगा.
जीएसटी में कमी से छोटे शहरों और कस्बों में छोटी कार की बिक्री को बढ़ावा मिलेगा.
अधिक बिक्री से कार डीलरशिप, सेवा नेटवर्क, ड्राइवरों और ऑटो-वित्त कंपनियों को लाभ होगा.
(इसमें 1200 सीसी से कम और 4 मीटर से अधिक लंबाई वाली पेट्रोल इंजन कारें और 1500 सीसी से कम और 4 मीटर से अधिक लंबाई वाली डीजल कार शामिल हैं)
बड़ी कारें (उपकर हटाकर जीएसटी को 40 प्रतिशत कर दिया गया)
अतिरिक्त उपकर को हटाने से न केवल दरें कम हुई हैं, बल्कि कराधान भी सरल हो गया है.
उपकर हटाकर 40 प्रतिशत जीएसटी दर से बड़ी कारों पर प्रभावी कर कम हो जाएगा, जिससे वे अपेक्षाकृत अधिक किफायती हो जाएंगी.
कर की दर को 40 प्रतिशत तक लाने और उपकर को हटाने से यह भी सुनिश्चित होगा कि ये उद्योग पूरी तरह से आईटीसी के लिए पात्र हैं, जबकि पहले आईटीसी का उपयोग केवल 28प्रतिशत तक ही किया जा सकता था और उपकर घटक के लिए नहीं.
ट्रैक्टर (<1800 सीसी, 12 प्रतिशत से घटकर 5प्रतिशत
सेमी-ट्रेलरों के लिए सड़क ट्रैक्टर (1800 सीसी से अधिक इंजन क्षमता 28 प्रतिशत से घटकर 18 प्रतिशत की गई)
ट्रैक्टर के पुर्जों की कीमत घटाकर 5 प्रतिशत कर दी गई
भारत दुनिया के सबसे बड़े ट्रैक्टर बाजारों में से एक है; जीएसटी कटौती से घरेलू और निर्यात दोनों क्षेत्रों में मांग बढ़ेगी.
ट्रैक्टर निर्माण के लिए टायर, गियर आदि पर भी केवल 5 प्रतिशत कर लगेगा.
इंजन, टायर, हाइड्रोलिक पंप और ट्रैक्टर के पुर्जें बनाने वाली सहायक एमएसएमई कंपनियों को उत्पादन बढ़ने से लाभ होगा. जीएसटी में कटौती से भारत की वैश्विक ट्रैक्टर निर्माण केंद्र के रूप में स्थिति भी मज़बूत होगी.
ट्रैक्टरों की किफ़ायती कीमतों से कृषि क्षेत्र में मशीनीकरण बढ़ेगा. इससे धान, गेहूं आदि प्रमुख फसलों की उत्पादकता में सुधार होगा.
बसें (10+ सीटर) (जीएसटी 28 प्रतिशत से घटाकर 18 प्रतिशत किया गया)
जीएसटी के कम होने से बसों और मिनी बसों (10+ सीटर) की प्रारंभिक लागत कम हो जाएगी.
इससे o बेड़े संचालकों, कॉरपोरेट्स, स्कूलों, टूर ऑपरेटरों और राज्य परिवहन उपक्रमों की ओर से मांग बढ़ेगी.
यात्रियों के लिए किफायती टिकट किराया (विशेषकर अर्ध-शहरी/ग्रामीण मार्गों पर ).
निजी वाहनों से अधिक सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा मिलने से भीड़भाड़ और प्रदूषण में कमी आएगी.
बेड़े के विस्तार और आधुनिकीकरण को प्रोत्साहन मिलेगा.
सार्वजनिक परिवहन के उपयोग को बढ़ावा मिलेगा.
वाणिज्यिक माल वाहन (ट्रक, डिलीवरी वैन, आदि) (जीएसटी 28 प्रतिशत से घटाकर 18 प्रतिशत किया गया)
ट्रक देश की आपूर्ति श्रृंखला की रीढ़ हैं (माल यातायात का 65 प्रतिशत-70 प्रतिशत हिस्सा ढोते हैं).
जीएसटी की दर कम होने से ट्रकों की अग्रिम पूंजीगत लागत कम हो जाती है, जिससे प्रति टन-किमी माल ढुलाई दर कम हो जाती है .
इससे कृषि उत्पादों, सीमेंट, स्टील, एफएमसीजी और ई-कॉमर्स डिलीवरी की आवाजाही सस्ती हो जाएगी. इससे मुद्रास्फीति का दबाव कम होगा.
एमएसएमई ट्रक मालिकों को सहायता प्रदान करता है , जो देश के सड़क परिवहन क्षेत्र का एक बड़ा हिस्सा हैं.
सस्ते ट्रक सीधे तौर पर रसद लागत को कम करने में मदद करते हैं , जिससे निर्यात प्रतिस्पर्धा में सुधार होता है .
माल परिवहन के तृतीय पक्ष बीमा पर आईटीसी के साथ जीएसटी को 12प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत करना भी इन प्रयासों का पूरक है.
इसमें ‘रेफ्रिजरेटेड मोटर वाहन’ शामिल नहीं हैं (इनका एक अलग वर्गीकरण है).
प्रधानमंत्री गति शक्ति और राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति लक्ष्यों के साथ संरेखित करने में सहायता मिलेगी.
ऑटो घटक
मोटर कार और मोटर मोटरसाइकिल के निर्माण में उपयोग होने वाले अधिकांश घटकों, अर्थात् ऑटो घटकों, पर भी कर की दर घटाकर 18 प्रतिशत कर दी गई है.
यह भी ध्यान देने योग्य है कि माल और यात्रियों के परिवहन से जुड़ी सेवाओं में भी महत्वपूर्ण परिवर्तन और युक्तिकरण हुआ है. जीएसटी की दरों में कटौती और इसके व्यापक प्रभाव से बचने के लिए आईटीसी को बढ़ावा दिया गया.
इसके अलावा, सड़क मार्ग से सम्पूर्ण माल परिवहन और यात्री परिवहन 5 प्रतिशत या 18 प्रतिशत जीएसटी स्लैब को अपने व्यवसाय की आवश्यकता के अनुसार चुन सकते हैं.
नई GST दरों का यह सुधार केवल टैक्स स्ट्रक्चर में बदलाव नहीं है, बल्कि भारत की औद्योगिक और आर्थिक गतिशीलता को नई दिशा देने वाला बड़ा कदम है. इससे एक ओर किसानों और छोटे व्यापारियों के लिए ट्रैक्टर और दोपहिया वाहन सस्ते होंगे, तो दूसरी ओर सार्वजनिक परिवहन और लॉजिस्टिक्स सेक्टर को गति मिलेगी.
इससे महँगाई पर अंकुश, निर्यात प्रतिस्पर्धा में सुधार और ग्रामीण से शहरी भारत तक नई रोज़गार संभावनाओं का सृजन होगा. कुल मिलाकर, यह बदलाव उद्योग, उपभोक्ता और अर्थव्यवस्था—तीनों के लिए ‘विन-विन’ साबित होगा.