NATO ने शुरू किया “Eastern Sentry” अभियान: पूर्वी सीमा पर सुरक्षा और मजबूत

NATO ने अपनी पूर्वी सीमा (Eastern Flank) पर रूस से बढ़ते खतरों और हालिया ड्रोन घुसपैठ की घटनाओं के बीच एक बड़ा कदम उठाया है. इस पहल का नाम है “Eastern Sentry”, जिसका उद्देश्य है सदस्य देशों की सामूहिक सुरक्षा को और मजबूत करना और पूर्वी यूरोप में NATO की उपस्थिति को बढ़ाना.
पोलैंड ने NATO सहयोगियों से मदद की अपील की
हाल ही में रूस से आए ड्रोन पोलैंड के वायुक्षेत्र में घुसे, जिसके बाद सुरक्षा चिंताएँ और गहरी हो गईं. पोलैंड ने NATO सहयोगियों से मदद की अपील की और इसी संदर्भ में इस अभियान को शुरू किया गया. NATO का कहना है कि यह कदम केवल पोलैंड की सुरक्षा के लिए नहीं, बल्कि पूरे पूर्वी यूरोप की रक्षा प्रणाली को मजबूत करने के लिए है.
“Eastern Sentry” अभियान क्या है?
यह एक multi-domain अभियान है, जिसमें वायु, भूमि और समुद्री क्षमताओं को मिलाकर तैनात किया जाएगा.
फ्रांस, जर्मनी, डेनमार्क और यूनाइटेड किंगडम जैसे देशों ने लड़ाकू विमान, ड्रोन-रोधी प्रणालियाँ और नौसैनिक संसाधन उपलब्ध कराने की घोषणा की है.
इस पहल के तहत NATO के लड़ाकू विमान और रडार सिस्टम लगातार निगरानी करेंगे ताकि किसी भी नए खतरे पर तुरंत प्रतिक्रिया दी जा सके.
रणनीतिक महत्व
NATO ने साफ कर दिया है कि किसी भी सदस्य देश की सुरक्षा को चुनौती देना पूरे गठबंधन को चुनौती देने के समान है. यह अभियान रूस को यह संदेश देता है कि NATO अपनी पूर्वी सीमा को लेकर अब और अधिक सतर्क और सक्रिय है.
“Eastern Sentry” NATO की उस नई रणनीति की झलक है जिसमें गठबंधन केवल खतरे का जवाब देने तक सीमित नहीं रहेगा बल्कि पहले से तैयारी और रोकथाम पर भी ध्यान देगा. पूर्वी यूरोप में बढ़ती सुरक्षा चुनौतियों के बीच यह कदम NATO की एकजुटता और सामूहिक सुरक्षा सिद्धांत को फिर से मज़बूत करता है.
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