भारतीय नौसेना को मिला पहला स्वदेशी डाइविंग सपोर्ट क्राफ्ट DSC A20

भारतीय नौसेना की क्षमता को और सशक्त बनाते हुए, 16 सितम्बर 2025 को पहला डाइविंग सपोर्ट क्राफ्ट (DSC A20) आधिकारिक तौर पर नौसेना को सौंपा गया. यह जहाज़ टीटागढ़ रेल सिस्टम्स लिमिटेड (TRSL) द्वारा स्वदेशी डिज़ाइन और निर्माण के तहत तैयार किया गया है.
करार और निर्माण यात्रा
रक्षा मंत्रालय और TRSL के बीच 12 फरवरी 2021 को पाँच डाइविंग सपोर्ट क्राफ्ट बनाने के लिए समझौता हुआ था. इस परियोजना के अंतर्गत DSC A20 पहला जहाज़ है जो समय पर नौसेना को मिल गया है.
खासियत और तकनीकी क्षमता

यह जहाज़ कैटामरन पतवार (Catamaran Hull) से लैस है, जिससे समुद्र में स्थिरता और गति दोनों में सुधार होता है. DSC A20 का विस्थापन (Displacement) लगभग 380 टन है.
इसमें आधुनिक डाइविंग और सपोर्ट उपकरण लगाए गए हैं, जिससे यह समुद्री निर्माण, आपातकालीन बचाव, मरम्मत और रखरखाव जैसे कार्यों को प्रभावी ढंग से पूरा कर सके.
जहाज़ों को भारतीय नौवहन रजिस्टर (IRS) के सख्त नियमों और नौसेना की आवश्यकताओं के तहत डिज़ाइन किया गया है.
डिज़ाइन चरण में जहाज़ का हाइड्रोडायनामिक विश्लेषण और मॉडल परीक्षण विशाखापत्तनम स्थित नौसेना विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी प्रयोगशाला (NSTL) में किया गया.
आत्मनिर्भर भारत का प्रतीक
यह परियोजना ‘मेक इन इंडिया’ और आत्मनिर्भर भारत अभियान की सफलता को दर्शाती है. DSC A20 पूरी तरह से स्वदेशी संसाधनों और तकनीक से विकसित किया गया है, जो भारत की बढ़ती शिपबिल्डिंग क्षमता और रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है.
रणनीतिक महत्व
डाइविंग सपोर्ट क्राफ्ट भारतीय नौसेना को समुद्र में निर्माण कार्य, मरम्मत और आपातकालीन बचाव अभियानों के दौरान एक मजबूत आधार प्रदान करेंगे. आने वाले वर्षों में शेष चार जहाज़ों के नौसेना में शामिल होने के बाद यह बेड़ा और अधिक प्रभावी होगा.
DSC A20 की डिलीवरी न सिर्फ़ नौसेना की परिचालन क्षमता बढ़ाएगी, बल्कि यह भारत के रक्षा उद्योग की आत्मनिर्भरता की दिशा में एक ऐतिहासिक उपलब्धि है.
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