GRSE ने Indian Navy को सौंपा दूसरा ASW शैलो वाटर क्राफ्ट ‘Androth, स्वदेशी तोप से लैस

गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (GRSE) लिमिटेड ने भारतीय नौसेना की तटीय एंटी-सबमरीन ताकत को और बढ़ाते हुए दूसरा एंटी-सबमरीन वॉरफेयर शैलो वाटर क्राफ्ट (ASW SWC) ‘Androth’ शनिवार को नौसेना को सौंपा.
यह डिलीवरी इस साल 8 मई 2025 को पहले जहाज ‘Arnala’ की सुपुर्दगी और उसके 18 जून 2025 को नौसेना में कमीशन किए जाने के मात्र चार महीने बाद हुई है.
स्वदेशी 30 मिमी नेवल सरफेस गन से लैस

‘Androth’ का नाम लक्षद्वीप द्वीपसमूह के अंद्रोत द्वीप पर रखा गया है. यह इस क्लास का दूसरा जहाज है, जिस पर GRSE द्वारा निर्मित स्वदेशी 30 मिमी नेवल सरफेस गन (NSG) लगाई गई है.
भारतीय नौसेना ने कुल 16 उन्नत ASW SWCs का ऑर्डर दिया है, जिनमें से आठ जहाज GRSE और शेष आठ एक अन्य भारतीय शिपयार्ड द्वारा बनाए जा रहे हैं. GRSE अब तक इन आठ में से दो जहाज सौंप चुका है.
GRSE के अनुसार, इन जहाजों में करीब 88% स्वदेशी सामग्री का उपयोग किया गया है, जो भारत सरकार की आत्मनिर्भरता और मेक इन इंडिया पहल के अनुरूप है.
जहाज की क्षमताएँ
यह तटीय जल में पनडुब्बी-रोधी निगरानी और सर्च एवं अटैक ऑपरेशन करने में सक्षम है. एयरक्राफ्ट के साथ मिलकर समन्वित ASW ऑपरेशन कर सकता है. बोर्ड पर कॉम्बैट मैनेजमेंट सिस्टम, हल्के टॉरपीडो और ASW रॉकेट्स लगे हैं.
इन जहाजों में सात अधिकारियों सहित 57 कर्मियों का दल होगा. तीन शक्तिशाली वॉटर जेट्स, जो समुद्री डीज़ल इंजनों से संचालित होते हैं, से लैस यह जहाज़ बेहद चुस्त और कुशल साबित होता है.
इसकी सबसे बड़ी ताक़त है सिर्फ 2.7 मीटर का ड्राफ्ट, जिसके चलते एंड्रॉथ आसानी से तटीय क्षेत्रों तक पहुँच सकता है। यही नहीं, यह क्षमता इसे उप-सतह खतरों का पता लगाने और नज़दीकी समुद्री इलाक़ों में ऑपरेशन करने में बेहद उपयोगी बनाती है. यह तटीय इलाकों तक आसानी से पहुंचकर पनडुब्बी खतरे खोज सकता है.
GRSE की प्रगति

GRSE फिलहाल 13 और युद्धपोत बना रहा है, जिनमें शामिल हैं:
2 x P17A उन्नत स्टेल्थ फ्रिगेट्स, 6 x ASW SWCs, 1 x Survey Vessel (Large) और 4 x Next Generation Offshore Patrol Vessels (NGOPVs) शामिल है.
इसके अलावा, शिपयार्ड 26 अन्य पोत भी बना रहा है, जिनमें से 9 एक्सपोर्ट प्लेटफॉर्म हैं. GRSE को इस वित्तीय वर्ष में 05 न्यू जेनरेशन कोरवेट्स के लिए एक बड़ा अनुबंध मिलने की उम्मीद है.
‘Androth’ की डिलीवरी भारतीय नौसेना की तटीय सुरक्षा को नई धार देती है और यह स्वदेशी निर्माण क्षमता में GRSE की विश्वसनीयता व आत्मनिर्भर भारत के संकल्प का एक और बड़ा उदाहरण है.
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