GRSE को जर्मनी से मिला $62.44 मिलियन का ऑर्डर, बनाएगा चार हाईब्रिड मल्टी-पर्पज वेसल्स

GRSE ने जर्मनी की Carsten Rehder से $62.44 मिलियन का कॉन्ट्रैक्ट जीता, बनाएगा चार हाईब्रिड मल्टी-पर्पज वेसल्स

भारत की सार्वजनिक क्षेत्र की प्रमुख शिपबिल्डिंग कंपनी Garden Reach Shipbuilders & Engineers (GRSE) ने एक और बड़ी अंतरराष्ट्रीय सफलता हासिल की है. कंपनी ने जर्मनी की Carsten Rehder Schiffsmakler und Reederei GmbH & Co. KG के साथ US$ 62.44 मिलियन का करार किया है, जिसके तहत चार हाईब्रिड मल्टी-पर्पज वेसल्स (MPVs) का निर्माण होगा.

इन जहाज़ों में बैटरी-सहायता प्राप्त हाईब्रिड प्रणोदन प्रणाली होगी, जो ईंधन दक्षता बढ़ाएगी और उत्सर्जन कम करेगी. इनके डिज़ाइन में मल्टी-कार्गो हैंडलिंग सिस्टम शामिल किया गया है, जिससे बल्क, जनरल, प्रोजेक्ट कार्गो और कंटेनर आसानी से ढोए जा सकेंगे.

एक विशेष फीचर यह है कि ये जहाज़ अपने डेक पर बड़े पवन चक्कियों के ब्लेड्स भी ले जाने में सक्षम होंगे. प्रत्येक वेसल की लंबाई 120 मीटर, चौड़ाई 17 मीटर और क्षमता लगभग 7,500 डेडवेट टन होगी.

क्यों अहम है यह सौदा?

भारत की वैश्विक पहचान – यह ऑर्डर साबित करता है कि भारतीय शिपयार्ड अब सिर्फ रक्षा निर्माण ही नहीं, बल्कि वाणिज्यिक और पर्यावरण-अनुकूल जहाज़ों के निर्माण में भी दुनिया भर का भरोसा जीत रहे हैं.

ग्रीन शिपिंग – IMO (International Maritime Organization) के डिकार्बोनाइजेशन लक्ष्यों को ध्यान में रखते हुए बैटरी-हाइब्रिड प्रणोदन का इस्तेमाल.

नवीकरणीय ऊर्जा सेक्टर को सहयोग – जहाज़ों का डिज़ाइन खासतौर पर पवन ऊर्जा उद्योग की जरूरतों के लिए तैयार किया गया है.

आर्थिक योगदान – पश्चिम बंगाल और भारतीय शिपबिल्डिंग उद्योग को नए रोजगार और वैश्विक स्तर पर बड़ी पहचान मिलेगी.

निष्कर्ष

यह करार GRSE की अंतरराष्ट्रीय उपस्थिति को मज़बूत करता है और “Make in India, Make for World” की सोच को हकीकत में बदलता है. आने वाले समय में ये हाईब्रिड वेसल्स भारत को ग्रीन और ग्लोबल शिपबिल्डिंग इंडस्ट्री में नई ऊंचाइयों पर ले जाएंगे.

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