मिसाइल से नौसेना तक: DMRL ने रेडोम, DMR-1700 और DMR-249A का टेक-ट्रांसफर किया

भारत की रक्षा क्षमता और स्वदेशीकरण को नई दिशा देते हुए, रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) की हैदराबाद स्थित Defence Metallurgical Research Laboratory (DMRL) ने उद्योग जगत को तीन महत्वपूर्ण और उन्नत उपकरण प्रौद्योगिकियां हस्तांतरित कीं.
इस अवसर पर DRDO प्रमुख एवं रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव डॉ. समीर वी. कामत ने भागीदार कंपनियों को तकनीक हस्तांतरण हेतु लाइसेंसिंग समझौते (LAToT) के दस्तावेज सौंपे.
हस्तांतरित प्रौद्योगिकियां

उच्च शक्ति वाले रेडोम का निर्माण – BHEL, जगदीशपुर
मिसाइल प्रणालियों के लिए महत्वपूर्ण सेंसरों को सुरक्षा प्रदान करने हेतु उच्च गुणवत्ता वाले रेडोम का स्वदेशी उत्पादन संभव होगा.
DMR-1700 स्टील शीट एवं प्लेट्स – JSPL, अंगुल
यह स्टील उच्च शक्ति और फ्रैक्चर कठोरता का बेहतरीन संयोजन देता है, जो आधुनिक रक्षा अनुप्रयोगों में बेहद उपयोगी है.
DMR-249A HSLA स्टील प्लेट्स – BSP, भिलाई (SAIL)
नौसेना जहाजों के निर्माण हेतु कठोर आयामी और भौतिक आवश्यकताओं को पूरा करने वाली उन्नत सामग्री.
सहयोग और भविष्य की दिशा

कार्यक्रम में DRDO अध्यक्ष ने अनुसंधान एवं विकास प्रक्रियाओं और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण की सराहना करते हुए कहा कि यह आत्मनिर्भर भारत के विज़न को मजबूत करेगा.
इस मौके पर DMRL और नागर विमानन मंत्रालय के वायुयान दुर्घटना अन्वेषण ब्यूरो (AAIB) के बीच एक समझौता ज्ञापन (MoU) भी हुआ, जिसके तहत DMRL की विशेषज्ञता का उपयोग विमानन सुरक्षा गतिविधियों में किया जाएगा.
इस कार्यक्रम में DG (नौसेना प्रणाली एवं सामग्री) डॉ. आर.वी. हारा प्रसाद, DG (संसाधन एवं प्रबंधन) डॉ. मनु कोरुल्ला, और DMRL निदेशक डॉ. आर. बालामुरलीकृष्णन भी मौजूद रहे.

यह तकनीक हस्तांतरण भारत की रणनीतिक आवश्यकताओं और स्वदेशीकरण को नई गति देने वाला साबित होगा. DRDO और उद्योग जगत की साझेदारी रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता, तकनीकी नवाचार और भविष्य की चुनौतियों से निपटने की क्षमता को और मजबूत करेगी.
2 thoughts on “मिसाइल से नौसेना तक: DMRL ने रेडोम, DMR-1700 और DMR-249A का टेक-ट्रांसफर किया”