रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने जारी की नई रक्षा खरीद नियमावली 2025, आत्मनिर्भरता और पारदर्शिता पर बड़ा ज़ोर

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रक्षा मंत्रालय में राजस्व खरीद प्रक्रिया को और अधिक सुव्यवस्थित, सरल और पारदर्शी बनाने के लिए रक्षा खरीद नियमावली (Defence Procurement Manual – DPM) 2025 को मंज़ूरी दे दी है. यह नई नियमावली न केवल सशस्त्र बलों की आधुनिक ज़रूरतों को पूरा करेगी बल्कि भारत को रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में भी बड़ा कदम साबित होगी.
आत्मनिर्भरता और तेज़ फैसले पर ज़ोर
नई डीपीएम का उद्देश्य संचालन और भरण-पोषण से जुड़ी आवश्यकताओं को पूरा करने में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देना है. इसके ज़रिए तीनों सेनाओं के बीच इंटरऑपरेबिलिटी (एकजुटता) बढ़ेगी और तेज़ निर्णय लेने की प्रक्रिया से उच्च स्तर की सैन्य तैयारियां सुनिश्चित होंगी.
वर्तमान वित्त वर्ष (2025-26) के लिए रक्षा मंत्रालय की राजस्व खरीद का अनुमान लगभग 1 लाख करोड़ रुपये है. इस विशाल बजट को पारदर्शी और प्रौद्योगिकी-संचालित प्रक्रियाओं के ज़रिए लागू किया जाएगा.
उद्योग, MSME और स्टार्टअप को बढ़ावा
नए प्रावधानों के तहत भारतीय उद्योग, MSMEs और स्टार्ट-अप्स की भागीदारी को प्रोत्साहन मिलेगा. रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों (DPSUs) के साथ-साथ निजी कंपनियों को भी रक्षा क्षेत्र में सक्रिय भागीदारी का अवसर मिलेगा.
इसके तहत अनुसंधान एवं विकास (R&D), नवाचार और स्वदेशीकरण के लिए एक नया अध्याय जोड़ा गया है. IIT, IISc और अन्य प्रमुख संस्थानों की मदद से युवा प्रतिभाओं की भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी.
दंड और अनुबंध प्रावधानों में राहत
उद्योगों की चिंता दूर करने के लिए कई बदलाव किए गए हैं— विकास अनुबंधों पर तरलता क्षति (LD) अब विकास चरण के दौरान नहीं लगेगी. प्रोटोटाइप के बाद न्यूनतम LD केवल 0.1% होगी. अधिकतम LD शुल्क घटाकर 5% कर दिया गया है, जबकि केवल गंभीर देरी पर ही यह 10% होगा. यह बदलाव उद्योगों और आपूर्तिकर्ताओं को समय पर डिलीवरी के लिए प्रोत्साहित करेगा. तेज़ खरीद और सप्लाई की गारंटी मिलेगी.
नई नियमावली में पाँच साल तक की ऑर्डर गारंटी का प्रावधान है. तकनीकी जानकारी और उपकरण साझा करने की सुविधा दी जाएगी ताकि विकास प्रक्रिया तेज़ हो.
CFA (सक्षम वित्तीय प्राधिकारी) को ज़्यादा अधिकार देकर फाइल मूवमेंट और निर्णय लेने की गति बढ़ाई जाएगी. आपूर्तिकर्ताओं को समय पर भुगतान सुनिश्चित किया जाएगा.
विशेष प्रावधान
हवाई और नौसैनिक प्लेटफार्मों के रीफिटिंग/मेंटेनेंस में 15% अग्रिम भुगतान का प्रावधान.
50 लाख रुपये तक की सीमित निविदा की अनुमति, विशेष परिस्थितियों में इससे ज़्यादा राशि पर भी लागू.
सरकार-से-सरकार समझौतों को और सरल बनाया गया है.
डीपीएसयू से No Objection Certificate (NOC) लेने की बाध्यता खत्म, अब टेंडर पूरी तरह प्रतिस्पर्धी होंगे.
पारदर्शिता और लेवल प्लेइंग फ़ील्ड
संशोधित नियमावली में पारदर्शिता, जवाबदेही और समान अवसर सुनिश्चित करने पर विशेष बल दिया गया है. इससे उद्योग जगत को निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा का माहौल मिलेगा और भारतीय रक्षा क्षेत्र में निजी व सार्वजनिक दोनों सेक्टर की भागीदारी संतुलित होगी.
DPM 2025 भारत की रक्षा खरीद व्यवस्था में एक बड़ा सुधार है. यह सशस्त्र बलों को समय पर संसाधन उपलब्ध कराएगा, उद्योगों को आत्मनिर्भरता की दिशा में मज़बूत करेगा और भारत को वैश्विक स्तर पर डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग हब बनाने की राह प्रशस्त करेगा.
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