हिंद-प्रशांत में शक्ति का टकराव: पुतिन-किम संग चीन का शक्ति प्रदर्शन और America-सहयोगियों का जवाब

हिंद-प्रशांत क्षेत्र 3 सितंबर को दो अलग-अलग शक्ति प्रदर्शनों का साक्षी बना. एक ओर बीजिंग में चीन ने अपनी ताक़त का अब तक का सबसे बड़ा सैन्य परेड आयोजित किया, वहीं दूसरी ओर America, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और फिलीपींस ने चीन के करीब ही समुद्र में बहुपक्षीय समुद्री सहकारी गतिविधि (MCA) आयोजित कर दुनिया को जवाबी संदेश दिया.
चीन का शक्ति प्रदर्शन
बीजिंग में आयोजित इस परेड का आयोजन द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति की 80वीं वर्षगांठ के अवसर पर किया गया. इस दौरान चीन ने पहली बार अपने पूर्ण नाभिकीय त्रिपक्षीय क्षमता (Nuclear Triad) – ज़मीन, हवा और समुद्र से लॉन्च हो सकने वाले परमाणु हथियार – का प्रदर्शन किया.
परेड में नए हाइपरसोनिक मिसाइल, लेज़र हथियार, AI सक्षम ड्रोन और ‘रोबोट वुल्फ़्स’ जैसी उन्नत तकनीकों को भी दिखाया गया.
इस समारोह की सबसे अहम झलक रही, जब मंच पर शी जिनपिंग, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग-उन एक साथ दिखाई दिए. यह तस्वीर पश्चिमी देशों के लिए एक स्पष्ट संदेश मानी जा रही है कि चीन, रूस और उत्तर कोरिया का सामरिक गठजोड़ और मज़बूत हो रहा है.
हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अमेरिका और सहयोगियों का जवाब
चीन के इस शक्ति प्रदर्शन के जवाब में अमेरिका ने भी समुंद्र में जवाब देने की कोशिश की. इसी दिन, चीन के प्रभाव वाले क्षेत्र में अमेरिका और उसके सहयोगी देशों ने एक बड़ा सैन्य अभ्यास किया.
यह बहुपक्षीय समुद्री सहकारी गतिविधि (MCA) फिलीपींस के विशेष आर्थिक क्षेत्र (EEZ) में आयोजित हुई.
इसमें रॉयल ऑस्ट्रेलियाई नौसेना का एचएमएएस ब्रिस्बेन (DDG 41), रॉयल कैनेडियन नौसेना का एचएमसीएस विले डी क्यूबेक (FFH 332), फिलीपींस नौसेना के फ्रिगेट बीआरपी जोस रिज़ल (FF 150) और बीआरपी मिगुएल मालवर (FFG 06) जैसे प्रमुख युद्धपोत और विमान शामिल थे.
अमेरिकी नौसेना और ऑस्ट्रेलिया की वायु सेनाओं के P-8A Poseidon समुद्री गश्ती विमान भी शामिल था.
अमेरिका का कहना है कि इस अभ्यास का उद्देश्य था- नौवहन की स्वतंत्रता और अंतर्राष्ट्रीय कानून के पालन पर बल देना साथ ही सहयोगी सेनाओं के बीच रणनीति, तकनीक और संचालन में बेहतर तालमेल बनाना था.. लेकिन हकीकत में यह अभ्यास चीन को एक मैसेज देना था.
शक्ति बनाम सहयोग
3 सितंबर 2025 की घटनाएं यह साफ कर गईं कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शक्ति संतुलन की जंग अब और तेज़ होगी.
चीन ने अपनी सैन्य ताक़त का प्रदर्शन और भू-राजनीतिक एकजुटता दिखाया. वहीं अमेरिका और उसके सहयोगी देशों ने सहयोग, साझेदारी और सामरिक एकजुटता का परिचय दिया.
यह दिन इतिहास में उस क्षण के रूप में दर्ज हो गया, जब दुनिया ने दो विपरीत दृष्टिकोणों को एक साथ देखा – एक तरफ़ सैन्य ताक़त का प्रदर्शन, और दूसरी तरफ़ सहयोग और साझेदारी का भरोसा.
यह घटना स्पष्ट रूप से बताती है कि युद्ध और शक्ति आश्वासन के दो अलग-अलग मॉडल सामने आये हैं—एक जो संगठित ताक़त और शक्ति की निशानी के रूप में है, और दूसरा जो साझेदारी, विश्वास और अंतर्राष्ट्रीय नियमों के सहारे क्षेत्रीय शांति कायम करने का ढंग है.
चीन के शक्ति प्रदर्शन के बीच अमेरिका और उसके सहयोगियों का यह संयुक्त नौसैनिक अभ्यास केवल एक सैन्य गतिविधि नहीं, बल्कि एक सामरिक संदेश भी है. यह दर्शाता है कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति और स्वतंत्रता सुनिश्चित करने के लिए साझेदार देश किसी भी चुनौती का डटकर सामना करने को तैयार हैं.
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