रूस की Hypersonic Missile – 7 मिनट में तबाही का वार!

रूस की हाइपरसोनिक मिसाइलें – 7 मिनट में तबाही का वार!

सोचिए… आसमान के उस पार, बादलों के ऊपर से… मौत की रफ्तार आपके शहर की ओर बढ़ रही हो— इतनी तेज़ कि राडार भी सिर्फ उसका साया पकड़ पाए… और इंटरसेप्टर मिसाइल लॉन्च करने का वक्त भी न मिले.

यही है रूस की हाइपरसोनिक मिसाइलों की असली ताकत— जिसमें शामिल हैं- Kinzhal… Zircon… और Avangard— ओरशेनिक..

यह वो हथियार हैं जिनकी स्पीड, दिशा बदलने की क्षमता और परमाणु ताकत ने अमेरिका की रातों की नींद उड़ा दी है. रूस के लिए ये सिर्फ हथियार नहीं… बल्कि 21वीं सदी का ‘गेम-चेंजर’ हैं— और अमेरिका के लिए… एक ऐसा खतरा, जिसके खिलाफ फिलहाल कोई ढाल मौजूद नहीं…

रूस ने बनाया था पहला Hypersonic Missile

रूस वह पहला देश है जिसने दुनिया में Hypersonic Missile टेक्नोलॉजी को वास्तविक युद्ध क्षमता में बदलने में सफलता हासिल की. आज उसके पास चार प्रमुख हाइपरसोनिक हथियार प्रणालियाँ मौजूद हैं—हर एक की भूमिका, रेंज और लॉन्च प्लेटफ़ॉर्म अलग-अलग हैं.

ये मिसाइलें इतनी तेज़ और उन्नत हैं कि मौजूदा किसी भी एंटी-मिसाइल डिफेंस सिस्टम को चकमा देकर अपने लक्ष्य को सटीकता से भेद सकती हैं. इन्हें परमाणु हमलों के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है और पारंपरिक वारहेड के साथ भी ये बेहद घातक साबित होती हैं.

रूस की हाइपरसोनिक मिसाइलों को समुद्र, हवा और ज़मीन—तीनों से लॉन्च किया जा सकता है, जिससे दुश्मन के लिए इनके खतरे का अनुमान लगाना लगभग असंभव हो जाता है. यही कारण है कि रूस की यह तकनीक दुनिया में सामरिक बढ़त और सैन्य शक्ति का प्रतीक मानी जाती है.

आज हम इस ख़बर में जानेंगे रूसी हाइपरसोनिक मिसाइलों के बारे में —तो चलिए जानते हैं, कैसे रूस ने इस तकनीक में बढ़त हासिल की और कौन-कौन सी मिसाइलें उसके हथियारों के ज़खीरे में शामिल हैं.

1. Avangard (एवांगार्ड)

Avangard  Hypersonic Glide Vehicle (HGV) – यानी यह एक ग्लाइडिंग हथियार है जो ICBM से लॉन्च होकर वातावरण में हाइपरसोनिक गति से ग्लाइड करता है. रूस द्वारा विकसित एवनगार्ड मिसाइल हाइपरसोनिक प्रौद्योगिकी क्षेत्र में गेम चेंजर साबित हुआ है.

प्रमुख विशेषताएं:

इसकी स्पीड Mach-20- 27 या 33,345 किमी/घंटा है. एवनगार्ड मिसाइल परमाणु और पारंपरिक पेलोड के साथ हमला करने में सक्षम है. हालांकि, इसकी संभावित विस्फोट शक्ति का अनुमान दो मेगाटन से अधिक है. जबकि इसकी रेंज 6000 किलोमीटर है. एवनगार्ड मिसाइल (Avangard Missile) का वजन करीब 2000 किलोग्राम है. यह दुश्मन के किसी भी मिसाइल डिफेंस सिस्टम को चकमा देने में सक्षम है.

यह वातावरण में घुसने के बाद दिशा और ऊंचाई बार-बार बदल सकता है. अगर तापमान 20 डिग्री सेल्सियस है और हवा में नमी नहीं है, तो यह एवनगार्ड मिसाइल करीब 10 किलोमीटर की दूरी एक सेकेंड में पार कर सकती है. यह 30 मिनट के अंदर दुनिया के किसी भी कोने में परमाणु हमला करने में सक्षम हैं. एक बार लॉन्च होने के बाद इसे रोका नहीं जा सकता है.

लॉन्च प्लेटफॉर्म:

इसे ICBM  RS-28 Sarmat या UR-100N के ज़रिए स्पेस की ऊंचाई तक लॉन्च किया जाता है.

यह क्यों इतना खतरनाक है?

इसकी ग्लाइडिंग क्षमता इसे पारंपरिक ICBM से कई गुना घातक बनाती है. पारंपरिक ICBM एक तय “बैलिस्टिक” ट्रैक पर चलते हैं, लेकिन Avangard ट्रैक बदल सकता है. इसके ज़रिए रूस बिना किसी परमाणु युद्ध के भी विरोधी देश की रणनीतिक क्षमता को पंगु बना सकता है

ऑपरेशनल स्टेटस:

पहली बार 2018 में राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने इसका ज़िक्र किया. जबकि 2019 में इसे रूस की Strategic Rocket Forces में तैनात किया गया. 2020 से इसकी सीरियल डिप्लॉयमेंट शुरू हो चुकी है.

पुतिन ने इसे क्यों कहा “अजेय”? पुतिन ने इसको लेकर कहा है

“Avangard is invincible. It flies to its target like a meteorite. It’s like a fireball…” – Vladimir Putin

यह हथियार अमेरिका की लंबे समय से चली आ रही मिसाइल डिफेंस प्रणाली (जैसे THAAD, Aegis या GMD) को बेमानी बना देता है. यही कारण है कि अमेरिका और NATO इसे “Strategic Deterrence Disruptor” मानते हैं.

Avangard सिर्फ एक मिसाइल नहीं है – यह रूस की “First Strike Credibility” और अमेरिका की “Defensive Superiority” को सीधी चुनौती है.

यह वो हथियार है जिससे परमाणु युद्ध की गति और दिशा दोनों बदल सकती हैं.

2- Kinzhal

अब बात करते है रूस की Kinzhal (किंझाल) हाईपरसोनिक मिसाइल की.

रुस-यूक्रेन युद्ध में जिस एक मिसाइल का रुस ने सबस ज्यादा उपयोग किया है, वो मिसाइल है- Kh-47M2 Kinzhal किंझल मिसाइल..जिसे Dagger भी कहा जाता है.

इस मिसाइल को लेकर रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने एक बार कहा था कि NATO में शामिल किसी देश के पास किंझल मिसाइल को रोकने की ताकत नहीं है. हालांकि रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान यूक्रेन ने कई बार मिसाइल को मार गिराने का दावा किया है. लेकिन रूसी डिफेंस ने हमेशा इस बात से इंकार किया है.

आखिर ऐसी क्या खासियत है इस मिसाइल की जो रूसी राष्ट्रपति पुतिन तक इस मिसाइल की इतनी तारीफ करते रहे है..

तो आज हम जानते है कि किंझल हाइपरसोनिक मिसाइल आखिर है क्या.. और इसकी क्षमता क्या है..

रूस की किंझल मिसाइल एक हाइपरसोनिक मिसाइल है. यह मिसाइल हवा से लॉन्च होती है, और एक बार हवा में छोड़े जाने के बाद इसकी स्पीड साउंड की स्पीड से 10-12 (12,350 km/h) गुना ज्यादा होती है. किंझल मिसाइल दुनिया के किसी भी एयर डिफेंस सिस्टम को चकमा दे सकती है. आसानी से दिशा और गति बदल सकती है. किंझल मिसाइल को ट्रैक करना मुश्किल है. यह बेहद सटीक, मारक और घातक होती है. यह एयर लॉन्च्ड बैलिस्टिक मिसाइल है. जिसे जमीन और पानी में चल रहे या छिपे टारगेट पर दागते हैं. 2,000 किमी तक मार करने वाली यह मिसाइल पारंपरिक और परमाणु दोनों प्रकार के हथियार ले जा सकती है. इसका वजन लगभग 4,300–4,800 किलोग्राम है. जबकि इसकी लंबाई 8 मीटर है.

लक्ष्य की दिशा में बढ़ते हुए यह बार-बार दिशा और ऊँचाई बदलती है, जिससे किसी भी आधुनिक एंटी-मिसाइल डिफेंस सिस्टम के लिए इसे ट्रैक और नष्ट करना बेहद कठिन हो जाता है.

किंझल हाइपरसोनिक मिसाइल में एक बार में 1000 पाउंड का विस्फोटक लोड हो सकता है. साथ ही 480 किलोटन का परमाणु बम भी लोड हो सकता है. इस मिसाइल को रूस ने Mig-31k,Tu-22M3 और Tu-160 फाइटर एयरक्राफ्ट में तैनात किया है.

2018 में पहली बार हुआ था प्रदर्शन

Russia ने इसका प्रदर्शन पहली बार साल 2018 में किया था. रूस ने ग्रेट पैट्रियॉटिक वॉर के 73वें वर्षगांठ पर विक्ट्री डे मिलिट्री परेड में रेड स्क्वायर पर प्रदर्शित किया था.

 यह दुश्मन के Carrier Battle Group, एंटी-एयर डिफेंस, और फिक्स्ड कमांड सेंटर जैसे उच्च मूल्य वाले लक्ष्यों को खत्म करने में सक्षम है.

अगर Avangard एक “Strategic Nuclear Hammer” है, तो Kinzhal tactical battlefield का “सर्जिकल खंजर” है. यह उन दुश्मनों के लिए है जो सोचते हैं कि एयर डिफेंस उन्हें बचा लेगा.

3- Zircon

रुस के पास तीसरा हाइपरसोनिक है- Zircon (Tsirkon / 3M22 ज़िरकॉन)

Zircon दुनिया की पहली ऐसी हाइपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल है जो समंदर से लॉन्च होकर Mach 8–9 की गति (लगभग 10,000 किमी/घंटा) से उड़ती है और दुश्मन के किसी भी नौसेना या ज़मीनी ठिकाने को चंद मिनटों में तबाह कर सकती है. यह Ship/Submarine-Launched Hypersonic Cruise Missile है. इसकी रेंज लगभग 1,000 किमी है. यह 300–400 किलोग्राम (पारंपरिक या परमाणु) हथियार ले जाने में सक्षम है.

यह समुद्र और जमीन दोनों लक्ष्यों को भेद सकता है. इसे Frigates, Submarines से लॉन्च किया जाता है. Zircon को सबसे पहले रूसी युद्धपोत “Admiral Gorshkov” से लॉन्च किया गया था. अब इसे “Yasen-class” अटैक पनडुब्बियों में भी इंटीग्रेट किया जा चुका है. भविष्य में यह रूस के अन्य पोतों और परमाणु सबमरीन का मुख्य हथियार बन सकता है. भविष्य में MiG-31 या अन्य एयर प्लेटफॉर्म से भी लॉन्च की संभावना है. यह Aircraft Carriers, Naval Fleets, Ground Radars, Coastal Bases को तबाह करने में सक्षम है.

Zircon क्यों है असाधारण?

ज़िरकॉन कोई साधारण क्रूज़ मिसाइल नहीं है — यह हवा के अंदर scramjet इंजन की मदद से हाइपरसोनिक स्पीड हासिल करती है, और साथ ही अपने रास्ते में आने वाले किसी भी एयर डिफेंस सिस्टम को चकमा दे सकती है.

US Navy के Aegis और SM-6 सिस्टम भी Zircon को रोकने में विफल माने जाते हैं. इसकी गति और Sea-skimming flight path इसे लगभग अदृश्य और अजेय बनाते हैं.

रूस ने 2022 में आधिकारिक तौर पर Zircon को तैनात किया. 2023–24 में इसे पनडुब्बी से सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया. 2025 में इसकी सीरियल प्रोडक्शन और फ्लोटिला इंटीग्रेशन शुरू कर दी गई है.

Zircon अब सिर्फ रूस का हथियार नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के समुद्री सामरिक समीकरण को बदल देने वाला शस्त्र बन चुका है.

निष्कर्ष:

NATO की चिंता क्यों बढ़ी?

Zircon के आने से अब रूस के पास ऐसी मिसाइल है जिसे: Atlantic या Pacific Ocean से ही अमेरिका के पूर्वी या पश्चिमी तट पर दागा जा सकता है. और सिर्फ 7-8 मिनट में वॉशिंगटन या लंदन तक पहुँचाया जा सकता है. इसीलिए NATO इसे “first-strike capable naval threat” मानता है.

4- ओरेशनिक

रूस के पास चौथा हाइपरसोनिक मिसाइल है ओरेशनिक

ओरेशनिक मिसाइल आवाज की रफ्तार से भी 10 गुना तेजी के साथ उड़ान भर सकती है. कहा जा रहा है कि 13500kmph की रफ्तार से यह अपने टार्गेट की तरफ दौड़ सकती है.

यह मिसाइल 5,000 किलोमीटर से अधिक दूरी तक मार करने में सक्षम है. इसकी यही खासियत इसे इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइलों की कैटेगरी में रखती है. इसमें अत्याधुनिक जीपीएस और इनर्शियल नेविगेशन सिस्टम का इस्तेमाल किया गया है, जिससे यह टारगेट पर बेहद सटीकता से हमला कर सकती है.

ओरेशनिक मिसाइल दोनों प्रकार के वारहेड (पारंपरिक और परमाणु) ले जाने में सक्षम है. इसमें उन्नत स्टेल्थ और ईसीएम (Electronic Countermeasure) तकनीक है, जिससे यह किसी भी रडार और एंटी-मिसाइल सिस्टम को भेद सकती है. यह तकरीबन तीन किलोमीटर प्रति सेकंड की गति से अपने टारगेट की तरफ जाती है.

ओरेशनिक एक परमाणु हथियार नहीं है लेकिन जब बड़े पैमाने पर हमलों में इसका इस्तेमाल किया जाता है तो ये परमाणु हथियारों के बराबर ही तबाही मचा सकती है. 4,000 डिग्री सेल्सियस तक के तापमान के साथ इस मिसाइल के वारहेड विस्फोट के दायरे में मौजूद चीजों को धूल में बदल देते हैं. रूस की ओरेशनिक मिसाइल इस लिहाज से अहम है कि ये इससे पूरे यूरोप में हमला किया जा सकता है. ऐसे में यूरोपीय देशों की चिंता बढ़ गई है.

21 नवंबर 2024 को छह वॉरहेड से लैस इस मिसाइल को यूक्रेनी शहर निप्रो पर पहली बार दागा गया था. एक्सपर्ट ने इस हमले को असामान्य बताया है. ओरेशनिक मिसाइल ने दुनियाभर के सुरक्षा विशेषज्ञों का ध्यान खींचा है. इसका मकसद रूस की रणनीतिक क्षमता को मजबूत करना और संभावित खतरों के खिलाफ रक्षा करना है.

यह मिसाइल अमेरिका, चीन, और अन्य देशों के बीच हथियारों की दौड़ को और तेज कर सकती है. रूस की यह नई उपलब्धि रक्षा के क्षेत्र में उसकी बढ़ती ताकत को दिखाती है.

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