चीन ने Pakistan को दी तीसरी हंगोर श्रेणी की पनडुब्बी, क्या हिंद महासागर में बदलने जा रहा है खेल?

हिंद महासागर के गहराइयों में अब पाकिस्तान की ताक़त और बढ़ गई है… क्योंकि चीन ने इस्लामाबाद को सौंप दी है उसकी तीसरी हंगोर-श्रेणी की आधुनिक पनडुब्बी! यह सिर्फ एक डील नहीं… बल्कि हिंद महासागर में शक्ति संतुलन बदलने की एक बड़ी चाल है.
पाकिस्तानी नौसेना ने शुक्रवार को ऐलान किया कि उसकी तीसरी हंगोर-श्रेणी की पनडुब्बी का निर्माण चीन में पूरा हो चुका है और उसे हुबेई प्रांत के वुहान में लॉन्च कर दिया गया है. समारोह में पाकिस्तान के उप-नौसेना प्रमुख वाइस एडमिरल अब्दुल समद ने साफ कहा– “यह पनडुब्बियां पाकिस्तान की समुद्री सुरक्षा को नई मजबूती देंगी और क्षेत्रीय शक्ति संतुलन बनाए रखेंगी.”
चीन-पाक गठबंधन का संदेश
दरअसल पाकिस्तान और चीन के बीच आठ हंगोर पनडुब्बियों का समझौता हुआ है. इनमें से चार पनडुब्बियां चीन में बनेंगी. जबकि बाकी चार कराची शिपयार्ड में तकनीकी ट्रांसफर के तहत तैयार की जाएंगी. पहली पनडुब्बी अप्रैल 2024 में लॉन्च हुई थी, दूसरी मार्च 2025 में और अब तीसरी भी पाकिस्तान को मिल गई है.
हंगोर-श्रेणी की खूबियां
चीन की हंगोर पनडुब्बियां को साइलेंट किलर मानी जाती हैं. इसमें बेहद उन्नत स्टेल्थ तकनीक है और अत्याधुनिक सेंसर सिस्टम लगा है. इसमें दुश्मन को चौंकाने वाली मारक क्षमता है. यह लंबी अवधि तक समुद्र में रह सकती है. यानी ये पनडुब्बियां आसानी से दुश्मन के रडार से बचकर गहराई में छिप सकती हैं और अचानक वार कर सकती हैं.
भारत के लिए क्या हैं संदेश
यह सिर्फ पनडुब्बी डील नहीं है… यह चीन का वो गेम है जिससे वह हिंद महासागर और अरब सागर में अपनी मौजूदगी मजबूत करना चाहता है.
याद रहे, हाल के सालों में चीन ने पाकिस्तान को चार आधुनिक नौसैनिक फ्रिगेट भी दिए हैं…साथ ही ग्वादर पोर्ट पर भी उसका दबदबा बढ़ता जा रहा है.
स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) की रिपोर्ट बताती है- पाकिस्तान के 81% से ज़्यादा सैन्य हथियार चीन से आते हैं.
हाल ही में चीन ने पाकिस्तान को दिया- जासूसी जहाज रिजवान, 600+ VT-4 टैंक, 36 J-10CE फाइटर जेट (4.5 पीढ़ी) और ये सब JF-17 के अलावा है, जिसे चीन और पाकिस्तान मिलकर बना रहे हैं. स्पष्ट है कि पाकिस्तान अब पूरी तरह चीन पर निर्भर होता जा रहा है.
लेकिन सवाल यह है- क्या ये नई हंगोर पनडुब्बियां अरब सागर में भारत के लिए नई चुनौती खड़ी करेंगी?
या भारतीय नौसेना की ताक़त – INS अरिहंत, स्कॉर्पीन श्रेणी की पनडुब्बियां और परमाणु बैलिस्टिक मिसाइल क्षमता – इसका जवाब देने के लिए काफी हैं?
क्या भारत को भी अपनी पनडुब्बी बेड़े को और तेज़ी से बढ़ाना होगा?
इन सवालों के लिए थोड़ा भारत की ताकत के बार में जान लेते है
पाकिस्तान चाहे चीन से कितनी भी पनडुब्बियां ले ले… लेकिन असली सवाल यह है कि क्या बिना परमाणु शक्ति चालित पनडुब्बियों और बिना वैश्विक निगरानी क्षमता के, पाकिस्तान भारत का मुकाबला कर सकता है?
जवाब है – नहीं!
भारत के पास पहले से ही INS अरिहंत जैसी SSBN, स्कॉर्पीन जैसी स्टेल्थ सब्स, और P-8I जैसे “पनडुब्बी शिकारी” विमान मौजूद हैं. इसके अलावा अमेरिका से मिले MH-60R Romeo हेलीकॉप्टर हैं, जो टॉरपीडो और सोनार सिस्टम से लैस हैं. वहीं भारत के पास बेहतरीन एंटी-सबमरीन वॉरफेयर कॉर्वेट और फ्रिगेट्स भी है.
Project 75I के तहत भारत 6 नई नेक्स्ट-जनरेशन एयर-इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन (AIP) स्टेल्थ पनडुब्बियां बनाने जा रहा है. भारत कम से कम 6 SSN बनाने की योजना पर काम कर रहा है.
इसका मतलब आने वाले सालों में भारत हिंद महासागर में और भी ताक़तवर हो जाएगा.
पाकिस्तान की पनडुब्बियां भले ही नई हों, लेकिन उनका दायरा अरब सागर तक ही सीमित है. वहीं भारत पूरे हिंद महासागर में अपनी फुल स्पेक्ट्रम डॉमिनेंस रखता है – अंडमान से लेकर लक्षद्वीप तक. भारतीय नौसेना का नेटवर्क-सेंट्रिक वारफेयर सिस्टम और सैटेलाइट निगरानी भी पाकिस्तान की पनडुब्बियों को आसानी से ट्रैक कर सकता है.
इसलिए भारत के लिए अभी टेंशन की बात नहीं है, लेकिन चीन औऱ पाकिस्तान की इस गठजोड़ पर नज़र जरुर रखनी होगी.