IAEA की रिपोर्ट से मचा हड़कंप, Iran और Israel के बीच बस 1 कदम दूर परमाणु युद्ध!

संयुक्त राष्ट्र की परमाणु निगरानी संस्था अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) की एक गोपनीय रिपोर्ट में कहा गया है कि ईरान ने परमाणु हथियार बनाने के लिए संवर्धित यूरेनियम का भंडार और बढ़ा लिया है. आईएईए की इस रिपोर्ट ने दुनिया भर में खलबली मचा दी है.
इससे पहले फरवरी में जारी पिछली रिपोर्ट में यह मात्रा 274.8 किलोग्राम बताई गई थी, यानी इस बार 133.8 किलोग्राम की बढ़ोतरी हुई है. यह रिपोर्ट ऐसे समय सामने आई है जब तेहरान और वॉशिंगटन के बीच एक संभावित परमाणु समझौते को लेकर कई दौर की बातचीत चल रही है.
विभिन्न मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, 17 मई तक ईरान ने 60 प्रतिशत तक संवर्धित 408.6 किलोग्राम यूरेनियम जमा कर लिया है, जो कि हथियार बनाने योग्य स्तर (90%) से महज एक तकनीकी कदम दूर है. यह रिपोर्ट ईरान और उसके विरोधी देशों के बीच तनाव को बढ़ा सकती है.
ट्रंप ने बेंजामिन नेतन्याहू से ईरान पर हमला करने से रुकने को कहा
ईरानी अधिकारियों का कहना है कि कोई भी समझौता तब तक स्वीकार्य नहीं होगा जब तक तेहरान पर से सभी प्रतिबंध पूरी तरह नहीं हटाए जाते और देश के परमाणु कार्यक्रम को जारी रखने की अनुमति नहीं दी जाती. इससे पहले डोनाल्ड ट्रंप ने कहा था कि उन्होंने इज़रायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू से ईरान पर हमला करने से फिलहाल रुकने को कहा है, ताकि अमेरिका को तेहरान के साथ नए परमाणु समझौते की कोशिश के लिए समय मिल सके.
ईरान के इस अड़ियल रुख को देखते हुए सऊदी अरब ने भी ईरान को अपना संदेश भेजा है. सऊदी अरब के रक्षा मंत्री प्रिंस खालिद बिन सलमान ने पिछले महीने तेहरान में ईरानी अधिकारियों को स्पष्ट संदेश दिया था कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के परमाणु समझौते पर बातचीत के प्रस्ताव को गंभीरता से लें. इससे इजरायल के साथ युद्ध से बचने का रास्ता निकल सकता है. कहा जा रहा है कि सऊदी अरब के रक्षा मंत्री प्रिंस खालिद बिन सलमान ने एक हाईलेवल मीटिंग में इस बाद की जानकारी ईरान को दी थी. उन्होंने कहा कि वार्ता विफल होने पर इजरायली हमले का सामना करने की अपेक्षा अमेरिका के साथ समझौता करना बेहतर होगा.
IRAN को परमाणु संपन्न राष्ट्र बनने से रोकने के लिए कुछ भी कर सकता है इजरायल
ईरान अपने रुख में फिलहाल कोई परिवर्तन करता हुआ नजर नहीं आ रहा है. ईरान चाहता है अमेरिका के साथ परमाणु डील ऐसी हो, जिसे वह अपनी जीत के रुप में देखें.
ईरान की तरफ से भी काफी कड़े बयान आमने आए है. ईरान ने डोनाल्ड ट्रंप के एक बयान पर कहा है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ईरान के परमाणु संयंत्रों को नष्ट करने की धमकी एक स्पष्ट रेड लाइन है और इसके गंभीर परिणाम होंगे.
ईरान इजरायल के वजूद को मिटाने की बात करता है, जबकि इजरायल किसी भी कीमत पर नहीं चाहता है कि ईरान परमाणु संपन्न राष्ट्र बने. ऐसे में इजरायल ईरान को परमाणु संपन्न राष्ट्र बनने से रोकने के लिए किसी भी हद तक जा सकता है.
यदि ऐसा होता है तो निश्चित रुप से ईरान-इजरायल के बीच युद्ध छिड़ने की नौबत आ सकती है. यह बात सऊदी अरब बखूबी जानता है, तभी उसने ईरान को समझाने की कोशिश की है. अमेरिका लगातार हूती से परेशान है, जो अमेरिकी हथियारों की लगातार परीक्षा ले रहा है.
कहा जाता है कि हूती को हथियार ईरान दे रहा है. इसी हथियार के बल पर वह लगातार अमेरिकी सैनिकों और उनके ठिकानों पर हमला कर रहा है. जिससे अमेरिका खुश नहीं है. अमेरिका और साउदी अरब का कहना है कि ईरान ने हूती विद्रोहियों को बैलिस्टिक मिसाइलें दी हैं. ऐसे में ईरान की एक गलती महायुद्ध का बिगुल बजा सकती है.
सवाल अब यह है:
क्या यह सब बातचीत से सुलझेगा… या मिसाइलों से?
एक गलती… एक मिसफायर… और इतिहास बदल सकता है.