तालिबान की ‘ड्रोन वायुसेना’: AMERICA-IRAN टेक्नोलॉजी की कॉपी, पाकिस्तान पर हमला!

ब्रिटिश अख़बार डेली मेल की एक रिपोर्ट ने दुनिया को चौंका दिया है. इस रिपोर्ट के मुताबिक तालिबान अब सिर्फ जमीन से नहीं… आसमान से भी हमला करेगा!
डेली मेल की रिपोर्ट के अनुसार, अफगानिस्तान पर काबिज तालिबान ने कामिकेज ड्रोन एयरफोर्स का गठन किया है. कामिकेज ड्रोन के जरिए तालिबान अपनी वायुसेना को ताकतवर बनाने की कोशिश कर रहा है. कभी ब्रिटेन और अमेरिका के कब्जे में रहे बेस अब तालिबान के कामिकेज ड्रोन की फैक्ट्री बन चुके हैं!
ब्रिटिश अख़बार डेली मेल की रिपोर्ट ने बताया है कि अफगानिस्तान के लोगार प्रांत में ब्रिटिश स्पेशल फोर्स के पूर्व SAS बेस अब तालिबान की ड्रोन वायुसेना की टेस्ट साइट बन चुका है.
ड्रोन बनाए जा रहे हैं काबुल के पास ‘कैंप फीनिक्स’ में — जो कभी अमेरिका का बेस था. अब वहां गुप्त प्रोडक्शन लाइन है.
2021 में अफगानिस्तान की सत्ता हासिल करने के बाद तालिबान के इंजीनियरों ने परित्यक्त सैन्य हार्डवेयर के बड़े हिस्से का अध्ययन करना शुरु किया.
पाकिस्तान पर हमला!
यह स्पष्ट नहीं है कि ड्रोन के कंपोनेंट पीछे छोड़े गए उपकरणों के शस्त्रागार में शामिल थे या नहीं, लेकिन रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि बेस में अब मानव रहित युद्धक विमानों के लिए एक गुप्त उत्पादन लाइन है.
खुफिया सूत्रों का कहना है कि काबुल के दक्षिण में लोगार प्रांत में पूर्व एसएएस बेस पर ‘आत्मघाती’ या ‘कामिकेज़’ युद्धक विमानों की कई परीक्षण उड़ानें सफलतापूर्वक की गई हैं, जो अपने लक्ष्य से टकराने पर फट जाते हैं. इनमें से कुछ का इस्तेमाल हाल ही में पाकिस्तान के सीमावर्ती क्षेत्र पर हुए हमले में किया गया था.
कौन-कौन से ड्रोन की हो रही नकल?
कहा जाता है कि तालिबान के डेवलपर्स कई ड्रोन मॉडल की नकल कर रहे हैं – जिसमें MQ9 रीपर, एक अमेरिकी सिस्टम और शाहिद 136 शामिल है जो ईरानी है.
तालिबान के इंजीनियरों के बारे में कहा जा रहा है कि इनमें से कईयों ने काबुल विश्वविद्यालय के इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट में उन दो दशकों के दौरान अध्ययन किया था जब ब्रिटिश और अमेरिकी सेनाएं अफगानिस्तान में थीं.
इसके अलावा तालिबान शासन ने सैकड़ों ड्रोन बनाने के लिए अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों की भर्ती की है. ये विशेषज्ञ लंबी दूरी के कामिकेज और विस्फोटक ‘पेलोड’ के आकार को बढ़ाने की कोशिश कर रहे है.
खुफिया सूत्रों ने खुलासा किया कि तालिबान का ड्रोन विकास कार्यक्रम कम से कम दो साल से चल रहा है और इसकी ‘क्षमता काफ़ी बढ़ रही है. यह परियोजना पश्चिमी खुफिया एजेंसियों के लिए चिंता का विषय होगी.
One thought on “तालिबान की ‘ड्रोन वायुसेना’: AMERICA-IRAN टेक्नोलॉजी की कॉपी, पाकिस्तान पर हमला!”