INDIA ARMY के लिए K9 वज्र-T होवित्जर तोपों के कंपोनेंट्स की आपूर्ति करेगा हनवा एयरोस्पेस

K9 Vajra-T

दक्षिण कोरियाई कंपनी  हनवा एयरोस्पेस ने भारतीय कंपनी लार्सन एंड टुब्रो (L&T) के साथ 253 मिलियन डॉलर का अनुबंध किया है. जिसके तहत भारतीय सेना के लिए 100 अतिरिक्त K9 वज्र-T ऑटोमेटिक होवित्जर तोपों के लिए कंपोनेंट्स की आपूर्ति की जाएगी.

यह सहयोग न सिर्फ भारतीय सेना की मारक क्षमता को बढ़ाएगा, बल्कि ‘मेक इन इंडिया’ पहल के तहत स्वदेशी उत्पादन को भी अगले स्तर पर ले जाएगा. नई दिल्ली में दक्षिण कोरियाई दूतावास में इस सौदे पर दस्तखत किए गये.

यह समझौता दोनों कंपनियों के बीच चल रही साझेदारी के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है और 2017 के पिछले अनुबंध पर आधारित है. जिसमें 100 इकाइयों के शुरुआती बैच की डिलीवरी की गई थी. इस नये सौदे के तहत भारत में स्थानीय उत्पादन को 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 60 प्रतिशत कर दिया गया है.

कितना विनाशक है K9 Vajra-T

के9 वज्र-टी, दक्षिण कोरिया की के9 थंडर का भारतीय वैरिएंट है. इसे भारतीय सेना की जरूरतों के मुताबिक ढाला गया है. यह 155 मिमी/52-कैलिबर की ऑटोमेटिक होवित्जर तोप है, जो विस्तारित रेंज के गोला-बारूद के साथ 50 किलोमीटर तक की दूरी तक मार करने में सक्षम है.

इसकी उच्च फायरिंग दर और गतिशीलता इसे आधुनिक युद्ध क्षेत्र में अत्यंत प्रभावी बनाती है. भारतीय सेना ने फील्ड आर्टिलरी रेशनलाइजेशन प्लान (FARP) के तहत, विभिन्न प्रकार की 155 मिमी तोपों की खरीद और विकास का लक्ष्य रखा है.

यह तोप हर 15 सेकंड में तीन राउंड की बर्स्ट फायरिंग और तीन मिनट में छह से आठ राउंड प्रति मिनट की अधिकतम फायरिंग दर प्राप्त कर सकती है. इसके अलावा 1,000 हॉर्सपावर के इंजन के साथ, यह 67 किमी/घंटा की अधिकतम गति और 360 किमी की परिचालन रेंज प्रदान करती है.

भारतीय सेना की योजना के मुताबिक के9 वज्र-टी होवित्जर की कुल संख्या 300 तक पहुंचाने की संभावना है.

इसके अलावा, इन तोपों को उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्रों में तैनात करने की भी योजना है, जिसके लिए कई और संशोधन और टेस्ट करने होंगे. इसे हिमालयी क्षेत्र में ऑपरेशन के लिए अनुकूलित किया जा रहा है, ताकि माइनस 30 डिग्री सेल्सियस में भी ये तोप प्रभावी बना रहे.

K9 का पांच सदस्यीय चालक दल पूरी तरह से बंद वातावरण में काम करता है, जो परमाणु, जैविक और रासायनिक खतरों से सुरक्षित है, जिसमें 19 मिमी स्टील कवच है जो भारी मशीन-गन राउंड और छर्रे से सुरक्षा प्रदान करता है.

इसके अतिरिक्त, बुर्ज पर लगी .50 कैलिबर की मशीन गन नजदीकी रक्षा और सीमित वायु रक्षा क्षमता प्रदान करती है.

K9 थंडर को दुनिया भर में व्यापक रूप से अपनाया गया है, ऑस्ट्रेलिया, मिस्र, एस्टोनिया, फ़िनलैंड, भारत, नॉर्वे, पोलैंड, रोमानिया और तुर्की सहित देशों में इसकी डिलीवरी पूरी हो चुकी है या प्रगति पर है.

भारतीय सेना अपनी तोपखाने क्षमताओं का लगातार विस्तार कर रही है. के9 वज्र-टी होवित्जर की खरीदारी इस योजना का ही एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. इससे पहले भारतीय रक्षा मंत्रालय (MoD) ने भारतीय सेना के लिए 155 मिमी/52 कैलिबर K9 VAJRA-T सेल्फ-प्रोपेल्ड ट्रैक्ड आर्टिलरी गन खरीदने के लिए लार्सन एंड टुब्रो लिमिटेड के साथ एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किए थे, जिसकी कुल लागत 7,628.70 करोड़ रुपये थी.

इसके अलावा, सरकार ने हाल ही में 307 एडवांस टोएड आर्टिलरी गन सिस्टम (ATAGS) की खरीद को भी मंजूरी दी है, जो स्वदेशी रूप से विकसित की गई हैं. यह कदम भी ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहल के तहत रक्षा उत्पादन में स्वदेशीकरण को बढ़ावा देने की दिशा में है.

K9 VAJRA-T की खरीद से तोपखाने के आधुनिकीकरण को बढ़ावा मिलेगा और भारतीय सेना की समग्र परिचालन तत्परता बढ़ेगी. K9 वज्र-T तोपें भारतीय सेना के तोपखाना आधुनिकीकरण अभियान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं. इस अभियान के तहत, भारतीय सेना K-9 वज्र, धनुष और शारंग सहित कई 155 मिमी तोप प्रणालियों को एकीकृत कर रही है.

भारतीय रक्षा मंत्रालय ने एक बयान में कहा है कि यह बहुमुखी तोप, अपनी क्रॉस-कंट्री गतिशीलता के साथ, भारतीय सेना की मारक क्षमता को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी, जिससे सटीकता के साथ गहराई से हमला करना संभव होगा.

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