Pakistan Navy ने China में Hangor Class Submarine को किया लॉन्च

PAKISTAN NAVY ने चीन में हंगोर क्लास पनडुब्बी को लॉन्च किया है. चीन के वुहान शहर में पाकिस्तान की दूसरी हंगोर क्लास पनडुब्बी पीएनएस/एम शुशुक (PNS/M Shushuk) को लॉन्च किया गया. इस पनडुब्बी को चीन ने बनाया है और अब पाकिस्तान को सौंप दिया है.
साल 2015 में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के इस्लामाबाद की यात्रा के समय हंगोर क्लास की पनडुब्बी के लिए सौदा तय किया गया था. उस दौरान पाकिस्तान के रक्षा मंत्रालय और चाइना शिपबिल्डिंग एंड ऑफशोर इंटरनेशनल कंपनी के बीच 8 जहाजों के निर्माण के लिए सौदा किया गया था.
दोनों देशों के बीच किए समझौते के तहत चार पनडुब्बियों का निर्माण चीन में किया जाना था और बाकी चार पनडुब्बियों का निर्माण टेक्नोलॉजी ट्रांसफर के तहत कराची शिपयार्ड और इंजीनियरिंग वर्क्स में किया जाना था.
चीन निर्मित पहली हंगोर श्रेणी की पनडुब्बी को 26 अप्रैल 2024 को किया गया था लॉन्च
चीन द्वारा पाकिस्तान के लिए निर्मित पहली हंगोर श्रेणी की पनडुब्बी को 26 अप्रैल को वुहान शिपयार्ड में लॉन्च किया गया. यह इस श्रेणी की आठ पनडुब्बियों में से पहली थी जिसे पाकिस्तानी नौसेना 2028 तक अपने बेड़े में शामिल करने वाली है.
हंगोर-क्लास, चीनी टाइप 039A युआन क्लास का एक निर्यात संस्करण है, यह एक डीजल-इलेक्ट्रिक अटैक पनडुब्बी है, जिसका नाम अब सेवामुक्त हो चुके पीएनएस हंगोर के नाम पर रखा गया है, जिसने 1971 के युद्ध के दौरान भारतीय फ्रिगेट आईएनएस खुकरी को डुबो दिया था.
भारत की कलावरी क्लास और पाकिस्तान की हंगोर क्लास पनडुब्बी के बीच है काफी अंतर
पाकिस्तान की हंगोर क्लास पनडुब्बी को भारत की कलावरी क्लास पनडुब्बियों का मुकाबला करने के लिए तैयार किया गया है. भारतीय नौसेना की कलावरी क्लास पनडुब्बियां फ्रांसीसी स्कॉर्पीन-क्लास पर आधारित हैं. भारत वर्तमान में छह कलावरी क्लास पनडुब्बियों को ऑपरेट करता है और 2030 के दशक की शुरुआत तक भारत तीन और पनडुब्बियों को अपनी नौसेना को सौंप देगा.
आकार के नजरिए से तुलना करें तो पाकिस्तानी हंगोर क्लास, भारतीय कलावरी क्लास से काफी बड़ी है. भारतीय कलावरी क्लास का वजन 1,775 टन है और लंबाई 67.5 मीटर है. जबकि BEAM 6.2 मीटर (20 फीट) है. वहीं HEIGHT 12.3 मीटर (40 फीट) है. पानी के ऊपर 20 और अंदर 37 km/hr की गति से चल सकती है. इसमें आठ अधिकारी और 35 नौसैनिक तैनात होते हैं. इन पनडुब्बियां में 21 इंच के 6 टॉरपीडो ट्यूब्स होते हैं, जिनसे 18 टॉरपीडो दागी जा सकती हैं. इसके अलावा इन पनडुब्बियों में SM.39 Exocet एंटी-शिप मिसाइल माइका एंटी-एयर मिसाइल लगी होती है. टॉरपीडो हटा दें तो इस क्लास की पनडुब्बियां समंदर में 30 बारूदी सुरंग भी बिछा सकती हैं
हंगोर क्लास का वजन 2,800 टन

दूसरी तरफ, हंगोर क्लास का वजन 2,800 टन है, इसकी लंबाई 76 मीटर और चौड़ाई 8.4 मीटर है. वहीं सतह पर होने पर इसका ड्राफ्ट (पानी की सतह के नीचे जहाज की गहराई) 6.2 मीटर है.
भारतीय कलावरी क्लास पनडुब्बी, पाकिस्तानी पनडुब्बी के मुकाबले काफी ज्यादा गतिशील है. पाकिस्तानी पनडुब्बी की मैक्सिमम स्पीड 20 नॉट (37 किमी प्रति घंटा) बताई गई है. कलावरी क्लास पनडुब्बी, पाकिस्तानी हंगोर क्लास की तरह ही डीजल-इलेक्ट्रिक प्रणोदन पर चलती है.
AIP टेक्नोलॉजी से लैस है हंगोर क्लास पनडुब्बी
हालांकि, पाकिस्तानी पनडुब्बी को लेकर माना जा रहा है कि उसे AIP टेक्नोलॉजी से अपग्रेड किया जा सकता है और अगर ऐसा होता है, तो भारतीय पनडुब्बी के ऊपर ये एक बड़ी बढ़त होगी. हैंगर क्लास में एयर इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन (AIP) है. AIP पनडुब्बियों को लंबे समय तक पानी में रहने की अनुमति देता है. इस मामले में हंगोर क्लास संभावित रूप से कलावरी क्लास पर बढ़त रखती है. लेकिन छोटे कलवरी क्लास की तुलना में हैंगर क्लास का बड़ा आकार तटीय जल में इसकी गतिशीलता को बाधित कर सकता है.
दोनों पनडुब्बियों में अत्याधुनिक तकनीक और युद्धक क्षमताएं मौजूद हैं, लेकिन कलावरी क्लास अपनी स्टील्थ क्षमता और उन्नत हथियार प्रणालियों के लिए जानी जाती है.
हंगोर क्लास पनडुब्बी को लेकर पाकिस्तान का कहना है कि अत्याधुनिक हथियारों और सेंसर से लैस हंगोर क्लास की पनडुब्बियां क्षेत्र में शक्ति संतुलन बनाए रखने और समुद्री सुरक्षा को मजबूत करने में अहम भूमिका निभाएंगी. पाकिस्तान का दावा है कि यह पनडुब्बी रडार की पकड़ में आने से बचने में सक्षम है और हिंद महासागर क्षेत्र में पाकिस्तान की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद करेगी.
भारत को टक्कर देने की पाकिस्तान हरसंभव कोशिश कर रहा है. जिसमें उसकी चीन मदद कर रहा है. ऐसे में भारत को और भी सावधान रहना होगा.
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