क्या BANGLADESH में होने वाला है तख्तापलट? या फिर सफल होगी AMERICAN साजिश!

BANGLADESH में होने वाला है तख्तापलट? या फिर सफल होगी AMERICAN साजिश!

BANGLADESH की राजनीति और सामाजिक ताना-बाना बहुत तेज़ी से बदल रही है. यूँ कहे की पिछले एक साल से तो कुछ ज्यादा ही तेज़ी से बदली है.  जब  5 अगस्त 2024 को शेख हसीना ने सत्ता छोड़ी तब भी किसी ने यह उम्मीद नहीं की होगी की शेख हसीना इतनी जल्दी बांग्लादेश छोड़कर भारत में शरण लेगी. लेकिन हिंसक झड़पों के बाद आखिरकार उन्हें सत्ता से हाथ धोना पड़ा.

आंदोलन के पीछे अमेरिकाः शेख हसीना

इसके पीछे हसीना ने अमेरिका का हाथ बताया. उन्होंने साफ कहा कि अमेरिका सेंट मार्टिन द्वीप को लेकर हमसे समझौता करना चाहता था लेकिन मैं इसके खिलाफ थी. इसलिए अमेरिका ने साजिश के तहत आंदोलन करवाया है. सवाल उठता हैं कि बिना किसी अंदरूनी समर्थन के अमेरिका ने ऐसे ही शेख हसीना को हटाने का फैसला कर लिया होगा? बिल्कुल नहीं! अमेरिका को जानने और समझने वाले अच्छी तरह से जानते है कि अमेरिका पहले किसी भी देश में अपना मोहरा तैयार करता है, उसकी अच्छी ब्रांडिंग करता है. फिर समय आने पर उसका उपयोग करता है.

फिल्म ‘राजनीति’ के डॉयलॉग की तरह- राजनीति में मुर्दे कभी गाड़े नहीं

जाते…उन्हें जिंदा रखा जाता है…ताकि टाइम आने पर वो बोले..

अमेरिका ने भी पहले मोहरा तैयार किया और फिर शेख हसीना के खिलाफ हो रहे प्रदर्शन में अपनी ताकत और पैसे का निवेश किया.

जब आप पूरी लेख पढ़ेंगे तो आपको पता चलेगा की वो मोहरा और पैसे कहा गए..

शेख हसीना के जाते ही आंदोलन का नेतृत्व कर रहे छात्रों ने अर्थशास्त्री मोहम्मद यूनुस से सत्ता संभालने का आह्वान किया. जोकि दूसरी आश्चर्यजनक घटना थी आम लोगों के लिए. अमेरिकी समर्थक यूनुस ने इस आह्वान को तुंरत लपक लिया. उन्होंने इसे एक महान क्रांति बताते हुए ऐतिहासिक घटना बताया. यूनुस को लगा कि अब रास्ता आसान है. इसलिए उन्होंने लपक कर इसे स्वीकार कर लिया. लेकिन यूनुस अच्छी तरीके से जानते थे कि भले ही बांग्लादेश का जन्म भाषाई आधार पर हुआ हो लेकिन उसकी पहचान अब इस्लामी है. ऐसे में यदि बांग्लादेश पर अपनी पकड़ मजबूत करनी है तो कट्टर इस्लामी ताकतों को खुश करना होगा..

यूनुस ने कट्टरपंथी नेताओं को किया खुश

Mohammad-Yunus
Mohammad-Yunus

यूनुस ने मझे हुए नेता की तरह हर वो काम किया जिससे वो कट्टरवादी वर्ग खुश हो.. देश में जगह-जगह हिन्दुओं पर हमले हुए.. कई मंदिरों और हिन्दु देवी-देवताओं की मूर्तियों को तोड़ा गया. बंगबंधु के नाम से प्रसिद्ध शेख मुजीबुर रहमान के घर और देश में लगे कई जगहों पर उनकी प्रतिमाओं को तोड़ा गया. इस दौरान शेख हसीना के समर्थकों और हिन्दुओं को खास तोड़ पर निशाना बनाया गया.

मोहम्मद यूनुस अपने इन कदमों की वजह से जनता के बीच थोड़ी बहुत लोकप्रिय हो गए. लेकिन इस खुशी में भूल गए कि वो एक फुल टाइम पॉलिटिशियन नहीं है और अब न ही उनकी उम्र रही है फुलटाइम राजनीति की… भले ही यह बात बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुखिया पीएम मोहम्मद युनूस भूल गए हो,

लेकिन अमेरिका नहीं भूला.. जैसा कि मैंने पहले ही कहा है, अमेरिका मोहरा तैयार करता है और सही टाइम पर उसका इस्तेमाल करता है.. इसके लिए वह प्लान A, प्लान B और प्लान C भी तैयार रखता है.

अब अमेरिका ने प्लान A चल दिया था जो कि सक्सेस हो गया था. शेख हसीना बांग्लादेश छोड़ कर भारत आ चुकी थी. बांग्लादेश में अब अमेरिकी समर्थित सरकार है. लेकिन वह बांग्लादेश पर लंबे समय के लिए नियंत्रण चाहती है. ऐसे में समय आ गया था प्लान B चलने का.

सत्ता मिलने के कुछ ही दिन बाद बांग्लादेश के अंतरिम पीएम मोहम्मद यूनुस अमेरिका गए. वहां उन्होंने तत्कालीन राष्ट्रपति जो बाइडेन का आर्शीवाद लिया. बाइडेन ने भी दिल खोलकर उनकी तारीफ की. इस दौरान मोहम्मद यूनुस ने एक लड़के की काफी तारीफ की. युनूस ने लोगों का ध्यान महफूज आलम की तरफ दिलाया. या यूं कहे कि अपना राजनीतिक वारिश अमेरिका से सामने अप्रत्यक्ष रुप से रखा.

मफहूज आलम को अपना वारिश बनाना चाहते थे मोहम्मद यूनुस

मफहूज आलम यूनुस सरकार में मंत्री है. वो आंदोलन का एक प्रमुख चेहरा रहे है. यूनुस को लगा कि मेरे जाने के बाद भी बांग्लादेश में अप्रत्यक्ष रुस से मेरा शासन पर पकड़ रहेगा. लेकिन अमेरिका ने कुछ और सोचा था जो इतनी जल्दी सामने आने वाला नहीं था. अमेरिका को जो चाहिए था, वो 6 महीने में उसे नहीं मिला.. मौजूदा विश्व राजनीति में अमेरिका इतना इंतजार नहीं कर सकता. उसके लिए अब प्लान B चलने का वक्त आ गया है. बांग्लादेश के आर्मी चीफ का बयान हो या फिर आंदोलन के एक और प्रमुख चेहरा और युनूस सरकार में मंत्री रहे नाहिद राणा का मंत्री से इस्तीफ देकर अपनी पार्टी बनाना प्लान B का ही एक हिस्सा है.

अब जरा, बांग्लादेश के आर्मी चीफ के बयान पर गौर करते है.

बांग्लादेश की सेना प्रमुख वकर उज जमान ने पिलखाना नरसंहार की बरसी पर आयोजित एक कार्यक्रम में कहा, “मैं चेतावनी दे रहा हूं. बाद में यह मत कहना कि मैंने आगाह नहीं किया. अगर आप अपने मतभेदों को भूलाकर मिलकर काम नहीं करते और एक-दूसरे पर आरोप लगाते हैं तो देश की स्वतंत्रता और संप्रभुता खतरे में पड़ जाएगी. सभी नेता एक दूसरे पर आरोप लगाने में व्यस्त हैं, जिससे शरारती तत्वों को माहौल बिगाड़ने का मौका मिल रहा है.”

बांग्लादेश की आर्मी को आंदोलन के शुरुआत में कुछ समझ में नहीं आया. उसे बिल्कुल उम्मीद नहीं थी कि शेख हसीना को इस आंदोलन के जरिए सत्ता छोड़नी पड़ेगी. इस आंदोलन को इतनी सफाई से अंजाम तक पहुंचाया गया की किसी को यह उम्मीद नहीं था. अमेरिका का पहले का अनुभव इस मामले में काम आया. लेकिन जब तक बांग्लादेश की आर्मी और आर्मी चीफ को समझ में आता तब तक बहुत देर हो चुकी थी.

आखिर खेल में क्यों शामिल हुए आर्मी चीफ 

ऐसे में आर्मी चीफ ने बहती गंगा में हाथ धोना मुनासिब समझा और इस खेल में शामिल हो गए. शेख हसीना के जाते ही सत्ता अमेरिका समर्थक मोहम्मद यूनुस को मिल गई. जबकि आंदोलन में सक्रिय भाग लेने वाले नेताओं ने मंत्रीपद हासिल कर लिया है. ऐसे में आर्मी चीफ को चाहिए था फुल इज्जत.. जोकि उसे मिल नहीं

रहा था. आर्मी चीफ ने थोड़ी बहुत हाथ पैर मारना शुरु किया.. पाकिस्तान से तालुक्कात बढ़ाने की कोशिश की. पाकिस्तान से हथियार भी खरीदे.. लेकिन पाकिस्तानी सेना और आईएसआई के एक तबका बांग्लादेश के वर्तमान आर्मी चीफ को पसंद नहीं करता है. इसकी एक बानगी तब देखने को मिला जब आईएसआई प्रमुख ने ढाका का दौरा किया था.

बांग्लादेश के आर्मी चीफ को हटाना चाहता है पाकिस्तान

 इस दौरान उन्होंने बांग्लादेश सेना के क्वार्टर मास्टर जनरल (क्यूएमजी) लेफ्टिनेंट जनरल मुहम्मद फैजुर रहमान से मुलाकात की. फैजुररहमान सीनियरिटी में चौथी रैंक पर हैं, ऐसे में आईएसआई प्रमुख की इस मुलाकात को वकर उज जमान का अपमान माना जा रहा है. जमां को हटाकर लेफ्टिनेंट जनरल मोहम्मद

फैजुर्रहमान को नया सेना प्रमुख बनाए जाने की भी चर्चा चल रही है. रहमान को अपने कट्टरपंथी रुख के लिए जाना जाता है.

बांग्लादेश में अमेरिका भी नहीं चाहता है कि लोकतंत्र मजबूत हो. बल्कि वो चाहता है कि सेना बदनाम हो. इसके लिए सेना के अंदर से ही विद्रोह को हवा दी जाए.. कहा ये जा रहा है कि बांग्लादेश की आर्मी चीफ

को पाकिस्तान पसंद नहीं करता है. जबकि वास्तविकता यह है कि पाकिस्तान ही नहीं बल्कि अमेरिका भी पसंद नहीं करता है. इसलिए वो किसी भी प्रकार से हटाना चाहता है. लेकिन इसके लिए वो दुनिया को दिखाना चाहता है कि सबकुछ लोकतांत्रिक प्रक्रिया के तहत हो रहा है.

विभिन्न मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, वकर उज जमान का शेख हसीना के साथ उनके पारिवारिक संबंध भी हैं. उनकी पत्नी शेख हसीना की चचेरी बहन हैं और उनके ससुर 9वें सेना प्रमुख रहे है. ऐसे में सेना पर उनकी पकड़ पहले से है. शायद इसलिए भी अमेरिका और पाकिस्तान का विश्वास वकर उज जमान पर नहीं

है.

इसलिए मौका देखकर वकर उज जमान ने अपने तेवर दिखाए है, ताकि उन्हें भी कुछ मिल सके. अमेरिका वकर उज जमान के जरिए मोहम्मद यूनुस सरकार को भी कंट्रोल में रखना चाहती है.. लेकिन अमेरिका इतने भर से खुश होने वाला नहीं है.

छात्र नेता नाहिद इस्लाम को लेकर क्या हैं अमेरिका का प्लान

अब बात करते है मोहम्मद यूनुस सरकार में मंत्री और आंदोलन के प्रमुख चेहरा रहे 27 वर्षीय छात्र नेता नाहिद इस्लाम की. नाहिद इस्लाम ने पहले तो मोहम्मद युनूस सरकार से इस्तीफा दिया फिर 28 फरवरी को दोपहर माणिक मिया एवेन्यू से अपनी नई पार्टी लॉन्च कर दी. पार्टी का नाम रखा- जातीय नागरिक पार्टी

जैसा कि मैंने पहले ही कहा है कि अमेरिका पहले अपना मोहरा चुनता है फिर उसे ट्रेनिंग देता है. इसके बाद उसकी मॉर्केटिंग करता है. इसके लिए वह अपने हर टूल का इस्तेमाल करता है. इसी मॉर्केटिंग के जरिए टाइम मैगजीन ने उन्हें टाइम 100 नेक्स्ट लिस्ट में शामिल किया. उसका इंटरव्यू मैगजीन में प्रकाशित हुआ.

बांग्लादेशी आवाम को अमेरिका यह बताना चाह रहा था कि देखो वो हीरा है, दुनिया जानती है बस तुम नहीं जानते हो.. देखो टाइम मैगजीन में उसका इंटरव्यू प्रकाशित हो रहा है.. वो मसीहा है… मसीहा… नाहिद इस्लाम की छवि सरकार विरोधी रहा है. जो अमेरिका के मुफिद है.

सवाल उठता है कि आखिर नाहिद इस्लाम ने यूनुस सरकार से इस्तीफा क्यों दिया?

मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार में नाहिद इस्लाम की नियुक्ति अक्तूबर में हुई थी. इस्तीफे की वजह बताते हुए नाहिद खुद कहते है कि “देश की मौजूदा स्थिति को देखते हुए एक नई राजनीतिक ताकत का उभार जरूरी है. मैंने एक बार फिर सड़कों पर सामूहिक विद्रोह छेड़ने के लिए अपने पद से इस्तीफा दे दिया. अंतरिम सरकार में रहते हुए मैंने दो मंत्रालय और एक अन्य जिम्मेदारी संभाली. छह महीने का समय काफी छोटा होता है और लोग मेरे काम को तौलेंगे. आज से मैं सरकार में किसी पद पर नहीं हूं.

अब एक सवाल उठता है कि पहले आप सरकार मतलब शेख हसीना से नाराज थे , आपने आंदोलन कर उनको हटा दिया. फिर जब अंतरिम सरकार बनी तो आपने मंत्रीपद स्वीकार करते हुए दो मंत्रालय लिया. अब आप कह रहे है कि सड़कों पर सामूहिक विद्रोह छेड़ने के लिए अपने पद से इस्तीफा दे दिया. इसका मतवब है कि जब आपके पास सत्ता थी तो आपने काम नहीं किया या फिर आपका उदेश्य कुछ और है.

यहीं उदेश्य अमेरिका का प्लान बी का हिस्सा है.

अब बात करते है अमेरिका के प्लान-सी का..जिसका असर आपको अभी आने वाले समय में दिखेगा..

बांग्लादेश की आर्मी चीफ का बयान इसी का एक हिस्सा है. आर्मी चीफ के बयान के बाद ऐसा कयास लगाया जा रहा है कि बांग्लादेश में जल्द ही तख्तापलट होने वाला है..

लेकिन ऐसा है नहीं. बांग्लादेश में अभी कुछ महीना कुछ नहीं होने वाला है.. हां कुछ महीने के बाद शॉर्ट टर्म के लिए सेना सत्ता कब्जे में ले सकती है. इस दौरान कई गिरफ्तारियां देखने को मिल सकती है.

सबसे दिलचस्प होगा नाहिद इस्लाम और उनकी पार्टी का काम करने का तरीका. जब सेना सत्ता में होगी तब सबसे ज्यादा विरोध में बुलंद आवाज करेगी जातीय नागरिक पार्टी. लोगों को ऐसा लगेगा कि यहीं पार्टी उनकी अपनी पार्टी है. फिर लोगों के दवाब में सेना करवाएंगी चुनाव.. हो सकता है इस चुनाव में शेख हसीना की पार्टी भी चुनाव लड़े.. लेकिन चुनाव में बहुमत मिलेगी जातीय नागरिक पार्टी को… नाहिद इस्लाम बनेगा बांग्लादेश का

पीएम… यह सब होगा लोकतांत्रिक तरीके से, लोकतंत्र के नाम पर. लोगों की चुनी हुई वोट से. जिसके पीछे होगा अमेरिका. फिर होगा अमेरिकी निवेश. जिसके बाद शुरु होगा अमेरिका का असली मकसद सेंट मार्टिन द्वीप को अपने कब्जे में लेने का काम. अमेरिका लोकतंत्र और धार्मिक स्वतंत्रता के नाम पर किसी भी देश में घुसपैठ करता है.. फिर धीरे-धीरे राजनीति को प्रभावित करने की कोशिश करता है. इन सबसे बीच जब तक आम लोग जान पाएंगे तब तक बांग्लादेश कई साल पीछे जा चुका होगा. अमेरिकी निवेश और ऋण के बोझ तले बांग्लादेश के पास हाँ में हाँ मिलाने के अलावा कोई चारा नहीं बचेगा..

 

आने वाला वक्त बांग्लादेश के लिए आसान नहीं होने वाला है.

 

 

One thought on “क्या BANGLADESH में होने वाला है तख्तापलट? या फिर सफल होगी AMERICAN साजिश!

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *