कामिकेज़ ड्रोन का नाम तो जरुर सुना होगा; लेकिन नागास्त्र का नाम सुना है कभी, जानिए इसकी खासियत

आपने कामिकेज़ ड्रोन का नाम तो जरुर सुना होगा. पिछले तीन सालों से चल रही रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध में इस हथियार का जमकर उपयोग हुआ है. खासकर तुर्की और ईरान के कामिकेज़ ड्रोन ने यूक्रेन में कहर बरपा दिया है. कामिकेज़ ड्रोन को Loitering Munition Weapons या सुसाइड ड्रोन भी कहा जाता है.
यह नाम द्वितीय विश्व युद्ध के समय के जापानी कामिकेज़ पायलटों से लिया गया है जिन्होंने जानबूझकर अपने विस्फोटक से भरे विमान को दुश्मन के ठिकानों पर गिराकर आत्मघाती हमले किये थे. ये छोटे मानव रहित विमान होते हैं जो विस्फोटकों से भरे होते हैं, इन्हें सीधे एक टैंक या सैनिकों के समूह में उड़ाया जा सकता है जो लक्ष्य से टकराने व विस्फोट होने पर नष्ट हो जाते हैं. इन छोटे घातक ड्रोन का रडार द्वारा पता लगाना मुश्किल होता है. कामिकेज़ ड्रोन के मामले में तुर्की ईरान और चीन काफी आगे है, लेकिन भारत भी धीरे-धीरे इस खेल में शामिल होता जा रहा है. भारत के पास भी ऐसा ही एक खतरनाक कामिकेज़ ड्रोन है- जिसका नाम है “नागास्त्र’
रूस-यूक्रेन युद्ध से लेकर इजराइल और हमास के बीच लड़ाई में जिस तरीके से ड्रोन का इस्तेमाल हुआ है, उस लिहाज से भारत का ‘नागास्त्र-1’ भारत के लिए गेमचेंजर साबित हो सकता है. जिसे सेना में शामिल किया गया है.
टारगेट से टकराकर खुद को समाप्त कर लेता है. Nagastra-1
Nagastra-1 को नागपुर स्थित सोलर इंडस्ट्रीज की सहायक कंपनी इकोनॉमिक्स एक्सप्लोसिव्स लिमिटेड (ईईएल) और बैंगलोर की जेड-मोशन के सहयोग से डिजाइन और विकसित किया गया है. ‘नागास्त्र-1’ सैनिकों की जान खतरे में डाले बिना आसानी से दुश्मन के ट्रेनिंग कैंप या लॉन्च पैड पर हमला कर तबाह कर सकता है. नागास्त्र एक सुसाइड ड्रोन है. इसकी खास बात यह है कि जैसे ही इसे अपना टारगेट मिलता है, ये अपने टारगेट से टकराकर उसे समाप्त कर देता है. Nagastra-1 में खास जीपीएस सिस्टम है, जिसके जरिये यह टारगेट को ढूंढता और फिर उससे टकराकर टारगेट को नष्ट कर देता है.
Nagastra-1 करीब 9 किलो वजनी है. यह ड्रोन 4500 मीटर ऊपर उड़ान भरते हुए सीधे दुश्मन के टैंक, बंकर, बख्तरबंद वाहनों, हथियार डिपो या सैन्य समूहों पर घातक हमला कर सकता है. इसमें खास इलेक्ट्रिक प्रोपल्शन सिस्टम लगा है, जिससे इसकी आवाज का पता नहीं चलता है. 200 मीटर से अधिक की ऊंचाई पर इसकी आवाज का पता लगाना लगभग असंभव है.
1 केजी वजन का वॉरहेड ले जा सकता है नागास्त्र-1
‘नागास्त्र-1’ (Nagastra-1) ऑटो मोड में अधिकतम 30 किलोमीटर की स्पीड तय कर सकता है. जब इसे रिमोट से ऑपरेट किया जाता है तो स्पीड 15 किलोमीटर हो जाती है. यह अपने टारगेट के ऊपर 60 मिनट तक मंडरा सकता है. 45 KM जीपीएस टारगेट रेंज है. इसमें एक kg वजन का वॉरहेड लोड किया जा सकता है. इसके विस्फोट से 20 मीटर का इलाका खत्म हो सकता है. इसमें रीयल टाइम वीडियो बनता है.
‘नागास्त्र-1’ (Nagastra-1) की एक और खास बात यह है कि इसमें नाइट विजन कैमरे भी लगे हैं. इसके जरिये 24 घंटे दुश्मनों पर निगाह भी रखी जा सकती है. इसके अलावा इन ड्रोन्स की खासियत है कि इनका टारगेट मिड-फ्लाइट के दौरान भी बदला जा सकता है. अगर मिशन अबॉर्ट करना पड़े तो नागास्त्र पैराशूट के सहारे सॉफ्ट लैंडिंग में भी सक्षम है. इसमें एक ग्राउंड कंट्रोल स्टेशन, कम्युनिकेशन कंट्रोल, पेलोड और न्यूमेटिक लॉन्चर भी शामिल है. ‘नागास्त्र-1’ को बनाने वाली कंपनी के मुताबिक इसमें 75 प्रतिशत से अधिक स्वदेशी सामग्री है.
इन्हीं खासियत की वजह से नागास्त्र –1 भारतीय सेना के लिए काफी अहम है. भारतीय सेना को अब तक 480 नागास्त्र –1 कामिकेज़ ड्रोन मिल चुका है.