भारत के लिए क्यों जरुरी है Sukhoi Su-57, जानिए इसकी खासियत!

भारत एक साथ चीन और पाकिस्तान जैसे परमाणू संपन्न राष्ट्रों से जूझ रहा है. उसे एक साथ दो मोर्चों पर युद्ध की तैयारी करना पड़ रहा है. क्योंकि इन दोनों देशों का कोई भरोसा नहीं है. दोनों ही देश पीठ पीछे छूरा भोंकने में माहिर है. हाल के दौर में युद्ध का तरीका काफी बदला है.
ड्रोन ने अजरबैजान-अर्मीनिया युद्ध हो या रुस- यूक्रेन युद्ध, दिखा दिया है कि युद्ध कितना खतरनाक रुप ले चुका है. ऐसे में हर देश अपनी वायुसेना को मजबूत करने में जुट गई है. इसके लिए हर देश आधुनिक विमानों को खरीदना चाहता है. इसके लिए अमेरिका, रुस. फ्रांस और चीन बड़ा मॉर्केट है.
भारत के दो शक्तिशाली पड़ोसी देश चीन और पाकिस्तान के पास भी आधुनिक विमान है. चीन के पास इसकी अच्छी खासी संख्या है. जबकि पाकिस्तान के पास एफ-16 के अलावा चीन से प्राप्त स्टेल्थ फाइटर जेट J-31, J-10C हैं. इसके अलवा पाकिस्तान चीन से JF-17 Block 3 फाइटर जेट भी खरीद रहा है. ऐसे में भारत की वायुसेना को भी अपने बेड़े में खतरनाक विमानों का होना जरुरी हो जाता है.
भारतीय वायुसेना के पास भी बेहद शक्तिशाली फाइटर जेट है.जिन में राफेल, सुखोई, मिराज, एमआईजी 29 और तेजस जैसे फाइटर जेट शामिल है. लेकिन चीन की शक्तिशाली वायुसेना के लिए यह काफी नहीं है. हालांकि राफेल के आने से भारतीय वायुसेना काफी हद तक मजबूत हुई है. लेकिन इसे पाकिस्तान के मुकाबले ही देखा जाए तो बेहतर होगा.
चीन से निपटने के लिए भारतीय वायुसेना को मल्टी रोल फाइटर एयरक्राफ्ट की जरूरत है. भारत की इस कमी को रुस की फाइटर जेट Su-57 पूरा कर सकता है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रुस दौरे के दौरान इस बात की संभावना जताई जा रही थी कि रूस एक बार फिर अपने सबसे खतरनाक फाइटर जेट Su-57 के ज्वाइंट प्रोडक्शन का प्रपोजल भारत को दें. लेकिन इस बारे में भारत और रुस की तरफ से कोई ऑफिसियल बयान नहीं आया. वैसे भी इस तरह की डील एक दिन में नहीं हो सकती है.
इसलिए इस बारे में कोई बयान न देना भी रणनीति का हिस्सा हो सकता है. हालांकि पिछले साल नवंबर में इस फाइटर जेट को बनाने वाली कंपनी रोसोबोरोएक्सपोर्ट के सीआईओ ने भारत के सामने यह ऑफर रखा था.
भारत को क्यों है पांचवीं पीढ़ी के विमान की जरूरत
भारत के साथ दिक्कत ये है कि भारतीय वायुसेना का एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (AMCA) प्रोजेक्ट पूरा होने में कम से कम दस साल लगेंगे. वहीं चीन के पास पांचवीं पीढ़ी के 200 फाइटर जेट्स है. विभिन्न मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, चीन ने तय किया है कि वो साल 2035 तक 1000 पांचवीं पीढ़ी के विमान जे-20 का निर्माण करेगा. J-20 एक ट्विनजेट ऑल-वेदर स्टील्थ 5वीं पीढ़ी का लड़ाकू विमान है, जिसे चीन के चेंगदू एयरोस्पेस कॉरपोरेशन ऑफ द पीपल्स लिबरेशन आर्मी एयर फोर्स (PLAAF) ने डिजाइन किया है.
20230 पाकिस्तान को मिल सकता है पांचवीं पीढ़ी की फाइटर जेट
इधर पाकिस्तान को 2030 तक चीन या तुर्की से पांचवीं पीढ़ी के फाइटर जेट मिल जाएंगे. पाकिस्तान और तुर्की मिलकर पांचवीं पीढ़ी का एक लड़ाकू विमान को विकसित कर रहे हैं. यह विमान स्टील्थ तकनीक से लैस होगा.
पाकिस्तानी एयरफोर्स के चीफ ने घोषणा की थी कि पाकिस्तान चीन से निर्मित जे-31 स्टील्थ फाइटर जेट को लेगा. यह पांचवीं पीढ़ी का मल्टीरोल स्टील्थ लड़ाकू विमान है, जिसे एफ-35 और अन्य उन्नत विमानों के साथ युद्ध लड़ने के लिए डिजाइन किया गया है.
चीन और पाकिस्तान की वायुसेना की बढ़ती ताकत को देखते हुए संभव है कि भारत एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (AMCA) प्रोजेक्ट पूरा होने से पहले अमेरिका या रूस से पांचवीं पीढ़ी के फाइटर जेट खरीदें. भारत अपनी भूराजनीति स्थिति, भोगौलिक स्थिति और अपनी जरुरतों के हिसाब से इसका चयन कर सकता है.
भारत की फेवरेट लिस्ट में यूएस के F-35 और रूसी Su-57 शामिल
पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों के लिए भारत की फेवरेट लिस्ट में यूएस के F-35 और रूसी Su-57 हैं. संभवत: अमेरिका अपना एफ-35 भारत को इसलिए नहीं बेचेगा क्योंकि भारतीय सेना रूसी S-400 रक्षा प्रणाली का उपयोग करती है. हालांकि अमेरिका में एक बड़े वर्ग का मानना है कि अमेरिका अगर भारत को F-35 देता है तो उसे चीन का मुकाबला करने में मजबूत मिलेगी. फिलहाल नई दिल्ली के लिए स्टील्थ लड़ाकू विमान का एकमात्र विकल्प रूसी SU-57 ही सामने आता है.
जानिए, SU-57 फाइटर जेट की खासियत
Su-57 दुनिया के दस सबसे खतरनाक फाइटर जेट्स में से एक है. सुखोई Su-57 रूस का पहला स्टेल्थ एयरक्राफ्ट है. इसे एक पायलट उड़ाता है. इस फाइटर जेट की लंबाई 65.11 फीट, विंगस्पैन 46.3 फीट और ऊंचाई 15.1 फीट है. मैक्सिमम स्पीड 2135 KM/घंटा है. सुपरसोनिक रेंज 1500 KM है. यह 2019 से रूस के वायुसेना में शामिल है. यह अधिकतम 66 हजार फीट की ऊंचाई तक जा सकता है. इसकी रेंज 3500 km है. अगर दो आउटबोर्ड फ्यूल टैंक लगाएं तो यह 4500 km तक जा सकता है.
हर मिनट 1500 से 1800 गोलियां दाग सकती है 30 मिमी की ऑटोकैनन गन
इसमें 30 मिमी की ऑटोकैनन लगी है. यह गन हर मिनट 1500 से 1800 गोलियां दाग सकती है. इस गन की रेंज 1800 मीटर तक है. रूसी फाइटर जेट में 12 हार्ड प्वाइंट्स हैं. 6 अंदर और 6 बाहर. जिसमें अलग-अलग तरह के हथियार लगाए जा सकते हैं. या फिर उनका मिश्रण बनाया जा सकता है. यानी रॉकेट, बम और मिसाइलें. इसमें हवा से हवा में मार करने के लिए R-77M, R-74M2 और R-37 मिसाइलें लगी होती हैं.
हवा से सतह में मार करने के लिए चार Kh-38M, चार Kh-59Mk2 मिसाइलें लगा सकते हैं. एंटी शिप मिसाइलों के लिए दो Kh-35U या 2 × Kh-31 का इस्तेमाल किया जा सकता है. इस फाइटर जेट में 4 × Kh-58UShK एंटी-रेडिएशन मिसाइलें लगा सकते हैं. इसके अलावा गाइडेड, अनगाइडेड, क्लस्टर बम, एंटी-टैंक बम और एक्टिव होमिंग बम लगाए जा सकते है.
इस प्रकार हम देखते है कि SU-57 भारत की लगभग हर जरुरतों को पूरा करती है.
2 thoughts on “भारत के लिए क्यों जरुरी है Sukhoi Su-57, जानिए इसकी खासियत!”