INDIAN NAVY को मिला तीन विध्वंसक पोत INS Surat, INS Nilgiri और INS Vagsheer

INS Vagsheer

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुंबई में आयोजित एक भव्य समारोह में तीन अत्याधुनिक स्वदेशी युद्धपोत को INDIAN NAVY को समर्पित कर दिया है. इनमें आईएनएस सूरत (गाइडेड मिसाइल डिस्ट्रॉयर), आईएनएस नीलगिरि (स्टेल्थ फ्रिगेट) और आईएनएस वागशीर (अटैक सबमरीन) शामिल हैं. ये तीनों युद्धपोत मेड इन इंडिया हैं और भारत की समुद्री शक्ति को कई गुना बढ़ाएंगे. इन युद्धपोतों के जरिए भारत चीन से आने वाली खतरों को कम कर सकेगा.

सबसे पहले बात करते है आईएनएस नीलगिरि की:

समुद्री सुरक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए तैयार आईएनएस नीलगिरि को भारतीय नौसेना ने प्रोजेक्ट 17ए के तहत बनाया है, जो पहला स्टेल्थ फ्रिगेट भी है. यह शिवालिक श्रेणी के फ्रिगेटों की तुलना में बेहतर है, जिसमें उन्नत स्टील्थ प्रौद्योगिकी और अत्याधुनिक हथियार प्रणालियाँ शामिल हैं.

सेना ने इसकी नींव 28 दिसंबर 2017 को रखी थी और 28 सितंबर 2019 को इसे लॉन्च किया गया था. आधुनिक तकनीकों से लैस इस जंगी जहाज ने समुद्री परीक्षण अगस्त 2024 में शुरू किए और सभी ट्रायल सफलतापूर्वक पूरा किए. यह 149 मीटर लंबी और 6,670 टन का डिस्प्लेस्मेंट रखती है. इसमें रडार सिग्नेचर
को कम करने के लिए विशेष डिजाइन का इस्तेमाल किया गया है
, खास तौर पर नीलगिरि को ब्लू वॉटर ऑपरेशन के लिए तैयार किया गया है, जो पारंपरिक और गैर-पारंपरिक खतरों से निपटने में सक्षम है.

इंटीग्रेटेड प्लेटफॉर्म मैनेजमेंट सिस्टम’ (IPMS) से सुसज्जित इस जंगी जहाज में सुपरसोनिक सतह-से-सतह और मीडियम रेंज सतह-से-हवा में मार करने के लिए मिसाइल लगाई गई है. साथ ही इसमें रैपिड फायर
क्लोज-इन वेपन सिस्टम भी लगाए गए हैं. जो इसे खतरनाक बनाती है.

आईएनएस सूरत भारतीय नौसेना के प्रोजेक्ट 15बी के तहत तैयार किया गया है, जो चौथा और आखिरी स्टेल्थ गाइडेड-मिसाइल डिस्ट्रॉयर है और यह अत्याधुनिक तकनीकों से लैस है. इसमें 75 प्रतिशत स्वदेशी सामग्री का उपयोग किया गया है.

17 मई 2022 को किया गया था लॉन्च

आईएनएस सूरत दुश्मनों के खिलाफ सटीक मार करने की क्षमता रखता है. भारतीय नौसेना ने आईएनएस सूरत की नींव 7नवंबर 2019 को रखी थी और 17 मई 2022 को इसे लॉन्च किया गया था. यह भारतीय नौसेना की अब तक की सबसे तेजी से बनाए गए डिस्ट्रॉयर है. अगर इसकी विशेषताओं और तकनीकी क्षमता की बात करें तो इस जंगी जहाज की लंबाई 164 मीटर है और ये 7,400 टन के डिस्प्लेस्मेंट साथ आता है. इसके अलावा ये स्टेल्थ फीचर्स और उन्नत रडार सिस्टम से लैस हैजो इसे दुश्मनों की नजरों से दूर रखता है यानी इस जंगी जहाज को ट्रैक करना मुश्किल हो जाता है.

इसमें चार गैस टर्बाइनों को संचालित करने के लिए ‘कंबाइंड गैस एंड गैस’ (COGAG) प्रोपल्शन सिस्टम मौजूद है. समुद्री परीक्षणों के दौरान इस पोत ने 30 नॉट्स (करीब 56 किमी/घंटा) की रफ्तार से गति प्राप्त की है.

आईएनएस वाग्शीर स्कॉर्पीन श्रेणी (प्रोजेक्ट 75) की छठी पनडुब्बी है. यह विश्व स्तर पर सबसे प्रभावी डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बियों में से एक है. इसे एंटी-सरफेस वारफेयर, एंटी-सबमरीन वारफेयर, खुफिया जानकारी जुटाने, क्षेत्र की निगरानी और विशेष अभियानों सहित कई तरह के मिशनों को अंजाम देने के लिए डिज़ाइन किया गया है.वायर-गाइडेड टॉरपीडो, एंटी-शिप मिसाइलों और उन्नत सोनार प्रणालियों से लैस, पनडुब्बी में मॉड्यूलर निर्माण भी है, जो भविष्य में एयर इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन (एआईपी) तकनीक के एकीकरण जैसे  UPGRADE की अनुमति देता है.

प्रोजेक्ट-75 (भारत) का लक्ष्य भारतीय नौसेना के लिये 18 पारंपरिक पनडुब्बियाँ और छह परमाणु ऊर्जा संचालित पनडुब्बियाँ बनाना है. भारतीय नौसेना आईएनएस वाग्शीर को स्कॉर्पीन-क्लास प्रोजेक्ट 75 के तहत बनाया है, जो छठी और आखिरी डीजल-इलेक्ट्रिक सबमरीन है. यह अत्याधुनिक तकनीक और गुप्त संचालन क्षमता के लिए मशहूर है. इसकी लंबाई 67 मीटर है और ये 1,550 टन वजनी है. सबमरीन में वायर-गाइडेड समेत उन्नत सोनार सिस्टम लगाए गए हैं.

इनकी तकनीकी क्षमताओं की बात करें तो यह पनडुब्बी सतह और पानी के नीचे आईएनएस सूरत, आईएनएस नीलगिरि और आईएनएस वाग्शीर सबमरीन के शामिल होने से भारतीय नौसेना की युद्ध क्षमता कई गुणा तक बढ़ गई है. यह भारतीय नौसेना और पूरे देश के लिए गर्व का क्षण है, जो एक मजबूत और आत्मनिर्भर रक्षा इकोसिस्टम के निर्माण के लिए भारत की प्रतिबद्धता को और मजबूत करता है. 

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